इस मामले में विशेष यह है कि 9 अप्रेल 2009 को पहली बार माननीय मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने वादी को कुछ देर तक हिंदी में भी बहस करने की अनुमति दी थी। खंडपीठ के दोनों माननीय न्यायाधीश , वादी -जिसने स्वयं हिंदी में भी बहस की और प्रतिवादी पक्ष के सहायक महाधिवक्ता सहित सभी हिंदीतर भाषी थे ।
आदेश को पूरा पढ़ने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें -
(www.judis.nic.in के सौजन्य से )
No comments:
Post a Comment