Nov 28, 2010

हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान, त्रिभाषा सूत्र एवं सेवाकालीन प्रशिक्षण : कुछ परिकल्पनाएं, कुछ व्यक्तिगत विचार

हिन्दी का कार्यसाधक ज्ञान से अभिप्राय:-
सामान्य परिभाषा
शाब्दिक विश्लेषण के स्तर पर हिंदी के कार्यसाधक ज्ञान से यही अभिप्राय हो सकता है कि संबधित कर्मचारी जिस पद पर कार्यरत है उस पद के कर्तव्यों के निर्वहन यानी कार्यालयीन कामकाज करने के लिए जितने न्यूनतम हिंदी ज्ञान की अपेक्षा की जा सकती है, उतनी हिंदी वह जानता है।

Nov 22, 2010

विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ

हिंदी विकिस्रोत का लिंक हमने बहुत पहले दिया था. अब प्रस्तुत हैं हिंदी विकिस्रोत के सौजन्य से
विश्व की सर्वश्रेष्ठ कहानियां -


प्रेमचंद की कहानियाँ
कितनी जमीन? / लियो टोल्स्टोय

भारत का 41वां अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव 2010



भारत का 41वां अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव 2010 आज से गोवा में
 

वेस्ट इज़ वेस्ट का एक दृश्य

Nov 19, 2010

'शाइरी' के सौजन्य से पेश हैं कुछ शायरों के चुनिंदा शे'र

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ य'अनी
हमारे दोस्तों के बे-वफ़ा होने का वक़्त आया
-पंडित हरि चंद अख़्तर

'वोह दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे' -तीन बेहतरीन गज़लें

'शाइरी'  के सौजन्य से तीन बेहतरीन ग़ज़लें पेश हैं  

1
तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली
मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली


नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते
लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली

तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था
और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली

फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी
अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली

बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद मैं हमें
सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली
- नोशी गिलानी

कृपया हैरान न हों, मगर यह सच भी हो सकता है !!

बताएं तो जानें-
1. क्या यह सही है कि हमारे देश के मात्र 4 राज्यों (हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान  और  दिल्ली ) में ही  कक्षा 1 से 10 तक प्रथम भाषा के रूप में हिंदी  पढ़ना अनिवार्य  है?
2. क्या यह सही है कि हमारे देश के मात्र 5 राज्यों अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश,राजस्थान  और  दिल्ली में ही  कक्षा 1 से 10 तक प्रथम अथवा द्वितीय  भाषा के रूप में हिंदी  पढ़ना अनिवार्य  है?
3.  क्या यह सही हैं कि उत्तर-प्रदेश में भी कक्षा 1 से दस तक बिना हिंदी पढ़े मैट्रिक पास करना संभव है?
4. क्या यह सही है कि 12 राज्यों आंध्र-प्रदेश, असम, मणिपुर,मेघालय,मिजोरम,नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु , त्रिपुरा, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल  में मैट्रिक यानी 10  वीं  कक्षा में हिंदी पढ़ना अनिवार्य नहीं है?   

कृपया उत्तरों के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें-  
 LANGUAGES IN EDUCATION - Ministry of HRD

Nov 17, 2010

राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की स्थिति का पता लगाने के लिए निरीक्षणकर्ता के लिए कुछ उपयोगी बातें

मेरे कई हिंदी अधिकारी मित्रों ने मुझसे पूछा है कि उन्हें अपने अधीनस्थ कार्यालयों के राजभाषा सम्बन्धी निरीक्षणों के समय क्या करना चाहिए? मैं उनके लिए कुछ साधारण से नुक्ते बताना चाहता था मगर इसी चिंतन के दौरान मैं अपने कभी न पूरे हो सकने वाले अधूरे शोध प्रबंध तक जा पहुंचा।   मैंने वर्ष 1996 में अपना शोध कार्य सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन  पर शुरू किया था जो कभी भी पूरा नहीं हो सका।

Nov 14, 2010

"कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा" - वसीम बरेलवी

आज एक बार फिर से पेश  हैं सुप्रसिद्ध शायर जनाब वसीम बरेलवी जी  की तीन ग़ज़लें 'कविता कोश' के सौजन्य से। ये गज़लें विशेष रूप से कुछ मित्रों और कुछ बेहद 'परिचित अजनबियों' के लिए हैं।

1
कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा
मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा

समन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेता ,
ज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगा

मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता ,
कहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा

2

तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को
मैंने महफूज़ समझ रखा था तन्हाई को

जिस्म की चाह लकीरों से अदा करता है
ख़ाक समझेगा मुसव्विर तेरी अँगडाई को

अपनी दरियाई पे इतरा न बहुत ऐ दरिया ,
एक कतरा ही बहुत है तेरी रुसवाई को

चाहे जितना भी बिगड़ जाए ज़माने का चलन,
झूठ से हारते देखा नहीं सच्चाई को

साथ मौजों के सभी हो जहाँ बहने वाले ,
कौन समझेगा समन्दर तेरी गहराई को.



3

उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है

नई उम्रों की ख़ुदमुख़्तारियों को कौन समझाये
कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है

थके हारे परिन्दे जब बसेरे के लिये लौटे
सलीक़ामन्द शाख़ों का लचक जाना ज़रूरी है

बहुत बेबाक आँखों में त'अल्लुक़ टिक नहीं पाता
मुहब्बत में कशिश रखने को शर्माना ज़रूरी है

सलीक़ा ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है

मेरे होंठों पे अपनी प्यास रख दो और फिर सोचो
कि इस के बाद भी दुनिया में कुछ पाना ज़रूरी है

Nov 11, 2010

आइए संस्कृत सीखें

देववाणी संस्कृत के नए विद्यार्थियों के लिए बहुत ही अच्छे लिंक्स विभिन्न  वेबसाइट्स  से  साभार  यहाँ दिए जा रहे हैं। ये लिंक्स आपको सीधे संस्कृत दीपिका, संस्कृतम्, संस्कृतं शिक्षामहै वेबसाइट्स जो जोड़ देंगे। आप यह जानकर अवश्य प्रसन्न होंगे कि इंटरनेट पर संस्कृत की अपार ज्ञान संपदा उपलब्ध है मगर हम ही भ्रमित हैं-

संस्कृत दीपिका

आपसे अनुरोध है कि उपर्युक्त वेबसाइट्स को धन्यवाद देना न भूलें। 

Nov 10, 2010

तीन दिनों के दो बड़े अनुभव

एक बात खुशी की है और एक दुख की ... किसे पहले बताऊँ !!
        परंपरा का निर्वाह करना हमेशा कठिन रहा है और बेबाकी का खामियाजा भी खूब उठाया है। जो खामियाजा भुगता है वह दिखाई नहीं देता... मगर हर दिखाई न देने वाली चीज़ का कोई अस्तित्व ही न हो, यह तो नहीं माना जा सकता। कितने ही वायरस आम आदमी को दिखाई नहीं देते मगर उनके फैलाए जानलेवा रोग अच्छे अच्छों की छुट्टी कर देते हैं। अब यह तो हर आदमी का अपना शगल है याकि अदा है कि कोई चोट खाकर खुश है तो कोई घाव देखर शुकून का अनुभव करता है। 'आन' फिल्म के एक गीत की पंक्तियाँ हैं-"बेदर्द से ए दिल प्यार न कर, तड़पे जा यूंही फरियाद न कर... क्यूँ रहम करे कातिल ही तो है ...
         बहरहाल, कोरिन होर्नी के मनोवैज्ञानिक सिद्धांत को यहीं छोड़कर परम्परा का निर्वाह करने की कोशिश करते हुए मैं पहले आपको सुखद अनुभव से ही रूबरू कराता हूँ.
आज चेन्नै के एक प्राइवेट यानी गैर सरकारी  उच्चतर  माध्यमिक विद्यालय में लगभग दो घंटे तक चले हिंदी दिवस समारोह में शामिल होने का अवसर मिला. तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै स्थित १८५२ में स्थापित इस विद्यालय के छात्रों ने हिंदी में कई सारगर्भित भाषण दिए, कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए. न कोई लाग, न लपेट, न कोई रिपोर्ट भेजने की चिंता, न दिखावे की दिक्कत... सब कुछ बेहद सहज और सादगी भरा... दिलों  में अपनी हिंदी भाषा के प्रति श्रृद्धा  और अपनी अघोषित राष्ट्रभाषा के प्रति कर्तव्य का भाव. हिन्दू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, ट्रिप्लिकेन, चेन्नै में आयोजित आज का हिंदी दिवस समारोह अच्छा लगा और महसूस हुआ कि हिंदी के प्रति लगाव के कारण भले ही कुछ समझदार लोग मुझे मूर्ख का दर्जा दें मगर हिंदी हारी नहीं है. हाँ, मैं जरूर अब कुछ बूढ़ा होने लगा हूँ. 
       दूसरा अनुभव सोमवार शाम का है. उस दिन यानी ८ नवम्बर को एक बड़े सरकारी अधिकारी को एक सरकारी बिल्डिंग के भूतल पर दो लोगों से एक बैनर दीवार के पास पकड़वाकर  फोटो उतरवाते हुए देखा.  बैनर पर लिखा था- 
"हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह २०१०."
समारोह तो कहीं दिखाई नहीं दे रहा था मगर बैनर का फोटो झूठ कैसे बोल सकता है भला!!      

Nov 8, 2010

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी ब्लॉग

यह ब्लॉग यद्यपि अँग्रेज़ी में है मगर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए उपयोगी हो सकता है. जरा एक नज़र नीचे क्लिक कर देखें-

भारत 2010 वार्षिकी डाउनलोड लिंक

भारत 2010 वार्षिकी (हिंदी ) अथवा इंडिया ईयर बुक 2010 (अँग्रेज़ी) निशुल्क डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक्स पर क्लिक करें-



Nov 7, 2010

प्राज्ञ पाठमाला : पाठ 1 से 6 तक का अँग्रेज़ी अनुवाद

(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lesson 1
Bharat is a sovereign democratic republic. The persons who framed our constitution had the concept of federal system before their eyes. The Supreme head of the union is President. There is Vice-President for his assistance. There are three main parts of the administrative set up - Legislature, Executive and Judiciary.

Nov 4, 2010

आओ दिये जलाकर हम सब जगमग-जगमग जगभर कर दें ...





सारे संसार को दीपावली की शुभकामनाएं.
सभी देशवासियों  को दिवाली के दिये मुबारक.

03 नवंबर 2010 को संपन्न प्राज्ञ ऑनलाइन परीक्षा में चेन्नै केंद्र पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले श्री शेरिफ़ परीक्षा कक्ष में

03 नवंबर को सी-डेक चेन्नै में प्राज्ञ ऑनलाइन परीक्षा देते हुए परीक्षार्थी








Nov 3, 2010

राजभाषा विभाग में नए सचिव

उत्तर प्रदेश कैडर की 1976 बैच की वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी सुश्री वीणा उपाध्याय  ने राजभाषा विभाग के सचिव का कार्यभार संभाल लिया है. इससे पूर्व वे उत्तर प्रदेश प्रशासन एवं प्रबंधन अकादमी के महा निदेशक के पद को सुशोभित कर चुकी हैं. 

Nov 2, 2010

प्रवीण पूरक पाठों का तमिल अनुवाद

(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lessons supplementary 1


இன்று நம் நாட்டின் நுகர்வாளர் முன்னைவிட அதிக விழிப்படைந்தவராகியுள்ளார்.

பாரத அரசும் நுகர்வோர்களின் உரிமைகள் பாதுகாப்புக்கு முதன்மை தந்து 1986-இல் நுகர்வோர் பாதுகாப்புச் சட்…….

नए प्राज्ञ पाठ्यक्रम के विभिन्न मसौदे

(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक )ये मसौदे अभ्यास के लिए दी गई स्थितियों पर आधारित हैं. ब्लॉग की कुछ बंदिशों के कारण हम सही लेआउट नहीं दे पा रहे हैं. निकट भविष्य में ले आउट सही करने की कोशिश की जाएगी.



1. केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान ने राष्ट्रीय प्रशिक्षण नीति के अंतर्गत लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के लिए पुनश्चर्या कार्यक्रम में नामांकन हेतु अपने सभी क्षेत्रीय उपनिदेशकों को पत्र भेजा था किंतु अभीतक अपेक्षित नामांकन प्राप्त नहीं हुआ है । अतः शीघ्र कार्रवाई के लिए अनुस्मारक का मसौदा तैयार करें ।

Nov 1, 2010

जैसे शून्य समा गया

             दिल, दिमाग और दृष्टि सभी में जैसे शून्य समा गया है. एक अजीब सा मोहभंग सा महसूस होता है. कुछ कहना चाहता हूँ, कुछ करना चाहता हूँ मगर फल यानी परिणाम तक पहुँच जाता हूँ... कर्म रह जाता है, निष्फल परिणाम के बारे में सोचकर. शायद इसी निष्क्रियता से बचाने के लिए कर्म करने और फल के बारे में न सोचने का उपदेश दिया गया है श्रीमद्भागवत गीता में.
           शायद यही वज़ह है कि आदमी फल के बिना कोई काम नहीं करता, अपेक्षाएं और अधिक आग्रह करती हैं. कोई भी काम पूरा नहीं हो पाता. मरने के भय से आदमी जीना ही अगर छोड़ दे तो फिर बचता क्या है? शून्य भी तो कुछ है. सभी तो शून्य है... फिर संज्ञाशून्य हो जाने से डरने की क्या आवश्यकता है.  सारा ब्रह्माण्ड याकि परमात्मा ही जब शून्य है तो ब्रह्मा के अंश यानी आत्मा के शून्य होने से शरीर को आपत्ति क्यों होती है?  फिर इस माया का मोह भी शून्य क्यों नहीं हो जाता...    
-अजय मलिक