Jun 24, 2013

इस संबंध में कानून अभी मौन है


एक नाग और साँप में अंतर तो सिर्फ सपेरे ही बता सकते हैं। एक आम आदमी के लिए नाग और साँप में कोई विशेष अंतर नहीं है। उसके आस-पास अनेक साँप पल-बढ़ रहे हैं और उसके मन में साँपों को लेकर एक जन्मजात स्वाभाविक डर भी है। वह सोचता है कि जितना हो सके साँपों से दूर रहे, मगर यहाँ साँप इतने ज्यादा हैं कि उनसे दूर रह पाना असंभव हैं। साँप के दंश से बचने की गुंजाइश कम है मगर  बचाव के लिए भी साँप को मारना दंडनीय अपराध है। साँप अगर डस ले और डसा हुआ मर जाए, तब भी साँप को मारना कानूनन जुर्म है। साँपों के संरक्षण के लिए अनेक संस्थाएं हैं और उन्हें बेहिसाब पैसा और सुविधाएं भी इस नेक काम के लिए मिलते हैं। साँपों को बचाकर रखना और आदमी को साँप के काटे जाने लायक बनाना हमारे धर्मनिरपेक्ष समाज का विधि द्वारा विधानित धर्म है। सदियों से आदमी साँपों को खोज-खोजकर मारता आया है। कभी डर से मारता है तो कभी डसे जाने के बाद मारता है मगर आदमी साँपों को मारता जरूर रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। आदमी को हर कीमत पर साँपों को पालना होगा, साँप के साथ रहना होगा और इस बात का पूरा-पूरा ध्यान रखना होगा कि साँप के जहरीले दातों पर एक खरोंच तक न आए। जहरीले दांतों की सुरक्षा और पैनेपन को बनाए रखने के साथ-साथ यह भी पक्का करना होगा कि साँप की नैसर्गिक प्रवृत्तियों पर किसी भी तरह की कोई आंच न आए। साँप के काटने की आदत बरकरार रखने के लिए समय-समय पर साँप से कटवाना भी होगा। इससे दो लाभ होंगे एक तो साँप स्वस्थ रहेगा और दूसरे काटे जाने पर जो आदमी मर जाएगा उसे साँपों के साथ रहने की मजबूरी के नरक से मुक्ति मिलेगी। जो डसे जाने पर भी नहीं मरेगा और जीने का हौसला बनाए रखेगा, उसे धीरे-धीरे विष सहन करने की आदत पड़ जाएगी। आदमी भी अंतत: विषैला बन जाएगा। तब अगर आदमी भी पलटकर साँप को डंक मारने लगे और साँप आदमी के जहर से मर जाए तो क्या होगा? क्या तब भी आदमी को दंड दिया जाएगा? इस संबंध में कानून अभी मौन है।       

Jun 23, 2013

कुत्ते की दुम का कॉपी राइट


कुत्ते की दुम पर किसका सर्वाधिकार सुरक्षित है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। कुछ कहते हुए डर रहा हूँ कि कॉपी राइट उल्लंघन के किसी चक्कर में न पड़ जाऊँ। कुत्ते की दुम की कहानी सभी जानते हैं मगर यह कोई नहीं बताता कि इस पर सर्वाधिकार यानी कॉपी राइट किसका है। जिनका भी है वे मुझे क्षमा करते हुए बताएं कि उन्हें यह वह कब हुआ कि जब बारह बरस तक टेढ़ी दुम सीधी नली अर्थात पाइप में थी तब वह किसी एक वर्ष, किसी एक दिन, किसी एक क्षण के लिए सीधी हो गई थी?  पाइप में सीधापन था मगर दुम तो वही घुमावदार टेढ़ी की टेढ़ी ही रही होगी। सीधी नली के सीधेपन से जनाब गच्चा खा गए होंगे और वह के शिकार हो गए होंगे कि दुम भी सीधी हो गई है। कुत्ते की वह दुम ही क्या जो सीधी हो जाए। ये और बात है कि टेढ़ी, तिरछी दुम से प्रभावित होकर आजकल पाइपें हर तरह  की तिरछी-घुमावदार-स्प्रिंगदार आने लगी हैं। दुम को बारह बरस की बजाय तेरह, चौदह, बीस बरस या अपने जीवन के बाकी बचे-खुचे वर्षों तक भी किसी भी कठोरतम धातु, प्लास्टिक, फाइबर वगैरा की नली में रखिए, चाहें तो सीमेंटिड करा लीजिए, अगर वह असली दुम है तो हर तरह की पाइप को बदल डालेगी मगर अपना स्वाभाविक टेढ़ापन कभी न छोड़ेगी। हो सकता है इतने सालों में पाइप ही गल-गला कर धुआँ-धुआँ हो जाए। कुत्ते की दुम अमर है, उसका टेढ़ापन अजर-अमर है। उसका कोई सानी नहीं, उसका मुक़ाबला कोई कर ही नहीं सकता। उसके सात्विक टेढ़ेपन का सर्वाधिकार भी सुरक्षित है। आखिर दुम कुत्ते की जो है। दुम से कुत्ता है या कुत्ते से दुम है, इसका आंकलन आप कीजिए। मैं तो बस इतना जानता हूँ कि आजकल विज्ञान ने इतनी तरक्की तो कर ही ली है कि बारह साल में सैंकड़ों बिना दुम वाले कुत्तों की नई नस्लें विकसित की जा सकती हैं। समस्या दुम नहीं बल्कि उसका टेढ़ापन है जिसे दुम के रहते सही नहीं किया जा सकता। इसलिए या तो बिना दुम वाला कुत्ता विकसित कीजिए या फिर कुत्ते की दुम को जड़मूल से उखाड़ फेंकिए । बारह साल के चक्कर को छोड़िए और सीधी नली को भी इतनी लंबी तपस्या के धर्मसंकट से बचाइए। मगर आप ऐसा कर तभी सकते हैं जब आपको दुम हिलाने वाले कुत्ते नापसंद हों। कुत्ते की वफादारी की परिचायक भी तो हिलती हुई दुम ही होती है और जब वह हिलेगी तो अपना स्वभाव छोड़कर टेढ़ी हुए बिना कैसे रह सकती है भला? 
- अजय मलिक     

Jun 22, 2013

"एक पत्र पुत्र के नाम अर्थात प्रबंधन सूत्र" - शैलेंद्र नाथ

(श्री शैलेंद्र नाथ, भारी वाहन निर्माणी में अपर महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। हिंदी एवं अङ्ग्रेज़ी साहित्य में उनकी पैठ अच्छे-अच्छे साहित्य के विद्यार्थियों को मात देने वाली है। नई-नई भाषाएँ सीखना भी उनका शगल है। यद्यपि इस आलेख का मूल शीर्षक 'पिता का पत्र पुत्र के नाम' है किन्तु मुझे लगा कि इसे 'प्रबंधन सूत्र' शीर्षक भी दिया जा सकता है। यह आलेख राजभाषा ज्ञानधारा ब्लॉग पर दिसंबर, 2012 में प्रकाशित हुआ था। थोड़ा सा संपादित करने के बाद इसे साभार यहाँ दिया जा रहा है।)
पिता का पत्र पुत्र के नाम
- शैलेंद्र नाथ
                                                                                                                                                                                                                                                                                                        
मेरे प्‍यारे बेटे,
                हाँ, मैं तुम्‍हें अब भी "मेरे प्‍यारे बेटे" कह कर सम्‍बोधित कर रहा हूँ यद्यपि अब तुम किशोर हो चुके हो। ऐसा इसलिए क्‍योंकि पिता के लिए एक बच्‍चा, बच्‍चा ही रहता है, इस बात का ध्‍यान किए बिना कि वह बच्‍चा कितना और कितना दूर तक वि‍कसित हो चुका है।
                क्‍योंकि हर इंसान में कहीं न कहीं एक बच्‍चा छुपा होता है। विशेषत: तुममें अभी भी काफी बाल-सुलभ सरलता, निष्‍कपटता और गुण बचे हैं, यद्यपि अब तुम उम्र में बड़े हो गए हो। सच पूछा जाए तो मेरी इच्‍छा है कि जब तक तुम इस पृथ्‍वी पर हो, तब तक ये गुण तुममें विद्यमान रहें।
                इसलिए कि आप एक बच्‍चे से आदमी को निकाल सकते हैं लेकिन एक आदमी से बच्‍चा या बचपना नहीं निकाल सकते। इसलिए कि, जैसा कि विलियम वर्डस्‍वर्थ ने कहा है, "बच्‍चा ही मुनष्‍य का पिता होता है।यद्यपि मैं तुम्‍हारा पिता हूँ, तम्‍हारे में पितृत्‍व के बीज हैं। तुममें अभी भी वो तत्‍व हैं जिन्‍हें जीवन और वर्षों ने मुझसे छीन लिया है और इस प्रकार तुम मेरे पिता हो।
                इसलिए जब मैं तुमकों प्‍यारे बेटेकह कर सम्‍बोधित करता हूँ तो तुम अपने को कमज़ोर मत समझो बल्कि तुम अनन्‍त संभावनाओं,सकारात्‍मकता, कोमलता एवं आंतरिक शक्ति से युक्‍त एक प्राणी हो।

Jun 7, 2013

"कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने के लिए बेसिक प्रशिक्षण कायर्क्रम" वर्ष 2013-14

राजभाषा विभाग द्वारा वर्ष 2013-14 में आयोजित किए जाने वाले "कंप्यूटर पर हिंदी में काम करने के लिए बेसिक प्रशिक्षण कायर्क्रम" का कलेंडर जारी कर दिया गया है। पूरे देश में कुल 100 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें से 9 कार्यक्रम चेन्नई में आयोजित किए जाएंगे। इन 9 कार्यक्रमों में से 3 कार्यक्रम आयोजित करने का दायित्व मुझे मिला है। इन 03 कार्यक्रमों का विस्तृत विवरण नीचे दिया जा रहा है-
 
 
पूरे देश में आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों का विवरण राजभाषा विभाग की वेब साइट के नीचे दिए लिंक पर उपलब्ध है-
 

http://www.rajbhasha.nic.in/comptrg201314.pdf

(सौजन्य www.rajbhasha.gov.in)