Jul 28, 2009

प्रबोध पाठमाला (मूल हिन्दी पाठ)

प्रबोध पाठमालासौजन्य (rajbhasha.gov.in)
पाठ - 26
कक्षा में
(प्राध्यापक का कक्षा में प्रवेश । सभी शिक्षार्थी नमस्कार करते हैं ।)
प्राध्यापक : नमस्कार, मैं हिंदी प्राध्यापक हूँ । मेरा नाम गोपाल वर्मा है ।
आपका नाम क्या है ?
कविता : मेरा नाम कविता है ।
प्राध्यापक : आप कहाँ काम करती हैं ?
कविता : मैं गृह मंत्रालय में काम करती हूँ ।

प्राध्यापक : आप किस पद पर काम करती हैं ?
कविता : मैं सहायक के पद पर काम करती हूँ ।
प्राध्यापक : आप कहाँ रहती हैं ?
कविता : मैं गांधी नगर में रहती हूँ ।
प्राध्यापक : आप यहाँ कैसे आती हैं ?
कविता : मैं बस से आती हूँ ।
प्राध्यापक : आपका नाम क्या है ?
अहमद : मेरा नाम अहमद है ।
प्राध्यापक : आप कहाँ काम करते हैं ?
अहमद : मैं केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में काम करता हूँ ।
प्राध्यापक : आप किस पद पर काम करते हैं ?
अहमद : मैं अभियंता के पद पर काम करता हूँ ।
प्राध्यापक : आप कहाँ रहते हैं ?
अहमद : मैं तिलक नगर में रहता हूँ ।
प्राध्यापक : आप यहाँ कैसे आते हैं ?
अहमद : मैं स्कूटर से आता हूँ । कभी-कभी बस से भी आता हूँ ।
प्राध्यापक : अच्छा, कल मिलते हैं । नमस्कार ।
सभी : नमस्कार ।

पाठ - 27
दिनचर्या
अंजलि : नमस्ते, क्या आप आजकल इस बस से नहीं आतीं ?
शीला : नहीं, आजकल मैं अपनी सहेली राधा के साथ कार से आती हूँ ।
अंजलि : क्या राधा आपके साथ ही रहती है ?
शीला : हाँ, हम दोनों यहाँ साथ ही रहती हैं ।
अंजलि : इससे मिलो । यह मेरा छोटा भाई दिनेश है ।
शीला : दिनेश, तुम भी नौकरी करते हो ?
दिनेश : नहीं, मैं अभी नौकरी नहीं करता । मैं बी.ए. में पढ़ता हूँ ।
अंजलि : शीला, आप राधा के साथ कभी घर आइए ।
शीला : आजकल मैं सारा दिन बहुत व्यस्त रहती हूँ, सारा दिन कैसे बीतता है, पता ही नहीं चलता ।
अंजलि : आप सारा दिन क्या करती हैं ?
शीला : मैं सुबह छह बजे उठती हूँ, थोड़ी देर पार्क में टहलती हूँ । घर आकर नहाती हूँ । उसके बाद नाश्ता बनाती हूँ ।
अंजलि : मैं भी अपनी माँ के साथ घर के काम में मदद करती हूँ ।
शीला : नाश्ता करने के बाद मैं नौ बजे कार्यालय के लिए निकलती हूँ ।
अंजलि : क्या आप दोपहर का खाना साथ लाती हैं ?
शीला : नहीं, मैं दोपहर में कैन्टीन में खाती हूँ । कभी इडली, दोसा तो कभी सिर्फ फल खाती हूँ ।
अंजलि : आप शाम को घर कब जाती हैं ?
शीला : मैं शाम को कंप्यूटर सीखती हूँ, इसलिए देर से घर जाती हूँ ।








पाठ - 28
घर पर मुलाकात
वह ........जाता/जाती है । वे ...........जाते/जाती हैं ।
तनूजा - आओ सरला, बैठो ।
सरला - नमस्ते । तुम कैसी हो ?
तनूजा - नमस्ते । मैं अच्छी हूँ । इनसे मिलो, ये हैं मेरे पति श्री वर्मा और यह मेरा बेटा वरुण है ।
सरला - नमस्ते ।
वर्मा व वरुण - नमस्ते, अच्छा बैठिए । हम अभी आते हैं । बाजार में कुछ काम है । (वर्मा और वरुण
बाजार चले जाते हैं )
तनूजा - मैं तुम्हारे लिए शर्बत लाती हूँ ।
सरला - श्री वर्मा कहाँ काम करते हैं ?
तनूजा - वे दिल्ली हाईकोर्ट में काम करते हैं । तुम्हारे पति कहाँ काम करते हैं ?
सरला - वे " पोलर " कंपनी में मैनेजर हैं ।
तनूजा - इस समय तुम्हारी दोनों बेटियाँ कहाँ हैं ?
सरला - वे रोज्र इस समय संगीत विद्यालय जाती हैं तथा शास्त्रीय संगीत सीखती हैं ।
तनूजा - वे दोनों किस स्कूल में पढ़ती हैं ?
सरला - वे जवाहर विद्यालय में पढ़ती हैं । आपका बेटा वरुंण किस स्कूल में पढ़ता है ?
तनूजा - वरुण माडर्न स्कूल में पढ़ता है ।
सरला - आजकल छुट्टियाँ हैं । वरुण सारा दिन क्या करता है ?
तनूजा - सुबह वह आठ बजे से नौ बजे तक स्कूल में तैराकी सीखता है । घर आकर वह नहाता है,
नाश्ता करता है फिर थोड़ी देर स्कूल का काम करता है ।
सरला - शाम को वह खेलता है या नहीं ?
तनूजा - शाम को वह चार से छह बजे तक चित्रकारी सीखता है । छह बजे के बाद वह पार्क में खेलने
जाता है । कभी-कभी साइकिल भी चलाता है । तुम्हारी बेटियों की क्या दिनचर्या रहती है ?
सरला - वे दोनों सुबह आठ बजे से नौ बजे तक कंप्यूटर सीखती हैं, फिर आकर नाश्ता करती हैं ।
कुछ देर पढ़ने के बाद टी.वी. देखती हैं । शाम को वे पाँच से छह बजे तक संगीत सीखती हैं ।
तनूजा - क्या वे कुछ खेलती भी हैं ?
सरला - नहीं, वे रोज्र नहीं खेलतीं । कभी-कभी शाम को बैडमिंटन खेलती हैं ।
तनूजा - किसी दिन तुम सबको लेकर घर आना ।
सरला - जरूर, तुम भी सपरिवार मेरे घर आओ ।
तनूजा -हाँ, आऊँगी ।

पाठ - 29
जन्मदिन का निमंत्रण
गणेशन : नमस्ते, रमेश जी ।
रमेश : गणेशन जी, आइए । लता जी, आप भी आइए । बैठिए ।
सीमा : नमस्ते भाई साहब, नमस्ते बहन जी । आइए, स्वागत है ।
गणेशन-लता : धन्यवाद ।
रमेश : कहिए । चाय या कॉफ़ी क्या लेंगे ? (ड्राइंग रूम में बैठने के बाद)
गणेशन : बस पानी दीजिए । चाय-कॉफ़ी न लाएँ ।
सीमा : लीजिए, पानी लीजिए ।
(भूषण का प्रवेश)
भूषण: नमस्ते अंकल । नमस्ते आंटी ।
गणेशन : आओ बेटे । इधर आओ, यहाँ बैठो ।
रमेश : बेटे भूषण । अपना एलबम लाओ, चाचा जी को दिखाओ ।
(भूषण एलबम लेकर आता है ।)
भूषण: देखिए अंकल । यह मेरे जन्मदिन का एलबम है । यह देखिए, ये मेरी दादी हैं । ये मेरी बुआजी हैं ।
रमेश : भूषण, लाओ एलबम मुझे दो । लीजिए गणेशन जी, इसमें हमारे परिवार के चित्र भी हैं, जरा इन्हें भी देखिए ।
गणेशन : चित्र बहुत सुंदर हैं । अच्छा, कल मेरी बेटी का जन्मदिन है । आप लोग आइए । हमारे साथ भोजन कीजिए ।
सीमा : अच्छा, आएँगे । कितने बजे ?
लता : कार्यक्रम सात बजे है । आप लोग जरूर आइए । भूलिएगा नहीं । अच्छा, चलते हैं ।
गणेशन : अच्छा, इजाजत दीजिए । नमस्ते ।

पाठ - 30
खाने की मेज पर
चाहिए ।
पसंद है ।
(दरवाजे की घंटी बजती है)
रमेश - (दरवाजा खोलते हैं) आइए, रंगनाथन जी । वाह ! भाभी जी भी हैं । बड़ी खुशी हुई भाभी जी को देखकर । आपकी तबीयत तो ठीक है न ?
रंगनाथन - हाँ, इनकी तबीयत पहले से बेहतर है । देरी से आने की माफ़ी माँगता हूँ ।
रमेश - कोई बात नहीं, रंगनाथन जी ।
(आवाज देकर अपनी पत्नी सुषमा को बुलाते हैं ।)
सुषमा - अरे ! जयश्री भाभी ! बड़ी खुशी हुई आपको स्वस्थ देखकर । चलिए, अंदर बैठें । आज गर्मी बहुत है - आप लोगों के लिए मैंने एक पेय बनाया है । आप लोगों को पसंद आएगा ।
(रसोईघर से चार गिलासों में भरकर पना लाती है)
लीजिए, इसे पना कहते हैं ।
रंगनाथन - (पना पीते हुए) वाकई । यह बहुत स्वादिष्ट है । मुझे तो बहुत पसंद आया । मुझे एक गिलास पना और चाहिए । यह कच्चे आम का बना है न ?
सुषमा - ठीक पहचाना आपने । मुझे अच्छा लगा कि आपको यह पसंद आया । मैं और पना लाती हूँ ।
रमेश - चलिए, खाने की मेज पर बैठते हैं । वहीं बातचीत भी होगी और खाना भी ।
(सभी खाने की मेज पर जाकर बैठते हैं । सुषमा पने के दो गिलास लाती है ।)
सुषमा - लीजिए भाई साहब पना, भाभी जी आप भी लीजिए ।
जयश्री - धन्यवाद, सुषमा जी । मुझे उत्तर भारतीय खाना बहुत पसंद है ।
सुषमा - अरे ! जयश्री भाभी मुझे दक्षिण भारतीय व्यंजन बहुत पसंद हैं । दोसा, इडली, उत्तपम तथा सांभर विशेष रूप से पसंद हैं ।
रंगनाथन - भाभी जी, आज आपने मेरी पसंद की कौन-कौन सी चीज्रें बनाई हैं ?
रमेश - रंगनाथन जी, अभी आपके सामने आपकी पसंद की चीजें आ जाएँगी - जमकर खाना खाइए ।
(सुषमा मेज पर तरह-तरह के व्यंजन रखती है । सब खाना शुरूं करते हैं ।)
जयश्री - यह कौन सी दाल है ? मुझे पसंद आई । सब्जियाँ भी बहुत स्वादिष्ट हैं । मुझे दाल और सब्ज्री थोड़ी और चाहिए ।
सुषमा - यह लीजिए, यह अरहर की दाल है । उत्तर प्रदेश के लोग इसे बहुत पसंद करते हैं । थोड़ी मिठाई भी लीजिए ना ।
जयश्री - मुझे मिठाई पसंद नहीं है । मैं मिठाई नहीं खाती । एक दिन हमारे यहाँ खाने के लिए आइए । आपकी पसंद के दक्षिण भारतीय व्यंजन बनाऊँगी ।
रमेश - हम दोनों अवश्य आएँगे । हम दोनों को दक्षिण भारतीय व्यंजन बहुत पसंद हैं ।
रंगनाथन - अगले रविवार का दिन पक्का रहा । भाभी जी मुझे एक गिलास पानी चाहिए ।
जयश्री - सुषमा जी, मुझे भी एक गिलास पानी चाहिए ।










पाठ -31
दुकान में
दुकानदार : आइए साहब आइए । आपको क्या चाहिए ?
ग्राहक : हमें टूथपेस्ट, नहाने का साबुन और कपड़े धोने का पाउडर दिखाइए ।
दुकानदार : यह देखिए, कोलगेट टूथपेस्ट, यह बबूल टूथपेस्ट और यह है वज्रदंती, कौन सा दूँ ?
ग्राहक : हमें कोलगेट दीजिए । दो सौ ग्राम ट्यूब का क्या दाम है ?
दुकानदार : पैंसठ रुपए ।
ग्राहक : यह तो महँगा लगता है ।
दुकानदार : महँगा नहीं है साहब, दाम ठीक है । ले लीजिए ।
ग्राहक : अच्छा दे दीजिए । साबुन दिखाइए ।
दुकानदार : यह लीजिए । यह छोटा और यह बड़ा साबुन है । कौन-सा लेंगे ?
ग्राहक : बड़ा दीजिए । कितने का है ?
दुकानदार : बीस रुपए का ।
ग्राहक : दो टिकिया दे दीजिए ।
दुकानदार : साहब, मेरी बात मानिए तो आप हमाम साबुन लीजिए । इसके साथ साबुनदानी मुफ़्त मिलती है ।
ग्राहक : ठीक है, इसकी दो टिकिया दे दीजिए ।
दुकानदार : बहुत अच्छा । और बोलिए ?
ग्राहक : अच्छा, कपड़े धोने का सबसे अच्छा पाउडर कौन-सा है ।
दुकानदार : निरमा सबसे बढि़या है । फेना भी अच्छा है ।
ग्राहक : निरमा ही दीजिए ।
दुकानदार : छोटा दूँ, मीडियम या बड़ा ?
ग्राहक : बड़ा दीजिए ।
दुकानदार : और क्या दूँ, साहब ?
ग्राहक : चाय ।
दुकानदार : चाय तो हमारे यहाँ नहीं मिलती, साहब । और कहिए ?
ग्राहक : बस । बिल बना दीजिए ।
दुकानदार : यह लीजिए आपका बिल ।
ग्राहक : ये लीजिए पैसे ।
दुकानदार : ये लीजिए बाकी पैसे, गिन लीजिए ।
ग्राहक : (गिनकर) ठीक है ।
दुकानदार : नमस्ते साहब ।
ग्राहक : नमस्कार ।




पाठ - 32
यात्रा की तैयारी
पत्नी : उफ, इस साल गर्मी बहुत है । बताइए, क्या करें ?
पति : चलो, पहाड़ पर चलें । ठंडी-ठंडी हवा का आनंद लें । बोलो, कहाँ जाना चाहती हो - शिमला या अल्मोड़ा ?
पत्नी : मैं तो कौसानी चलना चाहती हूँ । उसे भारत का स्विट्जरलैंड कहते हैं । कौसानी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म स्थान भी है ।
पति : तब तो अल्मोड़ा ठीक है । वहाँ से कौसानी पास है । वहाँ अच्छे होटल भी हैं ।
पत्नी : सुझाव तो ठीक है, मगर गाड़ी में रिजर्वेशन शायद न मिले ?
पति : क्यों न हम बस से चलें ?
पत्नी : ना बाबा ना, एक तो पहाड़ का रास्ता और दूसरे बस की यात्रा ।
पति : कोई बात नहीं । हम टैक्सी से चलते हैं । मेरा एक मित्र है संजय कुमार । वह टैक्सी चलाता है । उसे फ़ोन करूँ ?
पत्नी : यह भी कोई पूछने की बात है ? अभी कीजिए ।
पति : चिंता न करो । टैक्सी का इंतजाम पक्का समझो । अब यात्रा की तैयारी शुरू करें ?
पत्नी : चार जोड़ी कपड़े काफी हैं । और क्या-क्या चीज्रें लें ?
पति : पहाड़ पर हल्की ठंड पड़ सकती है । स्वेटर और ऊनी शाल रख लो ।
पत्नी : और क्या ले चलें ?
पति : शायद वहाँ पर बारिश भी हो । छतरी या रेन-कोट रख लें ।
अच्छा यह बताओ, कब लौटना चाहती हो ?
पत्नी : शुक्रवार शाम को ।
पति : अच्छी बात है । टैक्सी के लिए अभी फ़ोन करता हूँ ।


पाठ - 33
डिस्पेंसरी में
मेहता : नमस्ते, डॉक्टर साहब ।
डॉक्टर : आइए, कहिए, आपको क्या तकलीफ़ है ?
मेहता : डॉक्टर साहब, यह मेरा बेटा मोहन है । इसे कल से बुखार है । इसके शरीर में दर्द भी है । मुझे बहुत चिंता है ।
डॉक्टर : बेटे, जरा मेरे पास आओ । तुम्हें क्या तकलीफ़ है,......बताओ ।
मोहन : डॉक्टर साहब, मुझे रात को खाँसी आती है । एक पल भी चैन नहीं आता । खाँसी से नींद भी नहीं आती ।
(डॉक्टर स्टेथोस्कोप से मोहन की जाँच करते हैं ।)
डॉक्टर : तेज्र साँस लो । अपनी जीभ दिखाओ बेटे, शाबाश ।
मेहता : डॉक्टर साहब, कोई परेशानी की बात तो नहीं ?
डॉक्टर : नहीं, चिंता की कोई बात नहीं । आपके बेटे का गला खराब है । छाती में शायद बलगम है । एक्सरे कराना ठीक रहेगा ।
मेहता : डॉक्टर साहब, एक्सरे कहाँ कराएँ ?
डॉक्टर : क्यों ? आपको सी.जी.एच.एस. डिस्पेंसरी की सुविधा मिलती ही है । आपको वहीं जाना चाहिए । मैं पर्ची पर लिख देता हूँ ।
मेहता : मोहन को खाने में क्या दूँ, डॉक्टर साहब ?
डॉक्टर : इसे फल और ताज्री सब्ज्रियाँ दीजिए ।
मोहन : डॉक्टर साहब, मुझे संतरा और सेब पसंद हैं । खा सकता हूँ ?
डॉक्टर : हाँ, खूब फल खाओ ।
मेहता : डॉक्टर साहब, इसे दूध दूँ या कॉफ़ी ?
डॉक्टर : चाय-कॉफ़ी नहीं, सिर्फ दूध दीजिए ।
मेहता : ठीक है, डॉक्टर साहब और कोई दवा ?
डॉक्टर : तीन दवाएँ लिख रहा हूँ । चार-चार घंटे के अंतराल से ये दवाएँ मोहन को दीजिएगा ।
मेहता : धन्यवाद, डॉक्टर साहब, नमस्ते ।
डॉक्टर : नमस्ते ।






पाठ - 34
क्रिकेट मैच
(आँखों देखा हाल)
यह आकाशवाणी है । इस समय आप भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे चौथे एक दिवसीय क्रिकेट मैच का आँखों देखा हाल सुन रहे हैं । भारत इंग्लैंड के तीन सौ पच्चीस रनों का पीछा कर रहा है । एक-एक रन के साथ ही भारत जीत की तरफ बढ़ रहा है । दर्शक ढोल-नगाड़े पीट रहे हैं । कुछ दर्शक तिरंगा लेकर दौड़ रहे हैं । आकाश में तिरंगे गुब्बारे भी दिखाई दे रहे हैं । लार्ड््स के ऐतिहासिक मैदान में पहली बार इतना उत्साह दिखाई दे रहा है । तिरंगे को लहराता देखकर इंग्लैंड में लघु भारत का दृश्य दिखाई दे रहा है ।

गेंदबाज्र हर तरह की गेंद फेंक रहे हैं लेकिन मध्यक्रम के बल्लेबाज्र मोहम्मद कैफ़ आज गेंदबाज्रों की गेंदों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं । हर गेंद को वे ऑफ साइड की तरफ आसानी से धकेल रहे हैं । गेंद बल्ले पर लगते ही तेज्र गति से भागी जा रही है । दो खिलाड़ी उसे पकड़ने के लिए दौड़ रहे हैं और भारत के खाते में दो और रन । अब भारत को जीत के लिए सिर्फ एक रन की ज्ररूंरत है और यह रही गेंदबाज्र की अगली गेंद । गेंद बल्ले के निचले हिस्से से लगकर ऑफ साइड की तरफ तेज्री से भाग रही है । क्षेत्ररक्षक गेंद रोकने में असमर्थ, और यह रहा चौका । इसी के साथ भारत की दो विकटों से ऐतिहासिक जीत ।

दर्शक उत्साहित हैं । भीड़ मैदान की ओर दौड़ रही है । भारतीय टीम के कप्तान सौरभ गांगुली भी खुद को संभाल नहीं पा रहे हैं । वे मैदान की ओर दौड़ रहे हैं । वे अब अपनी कमीज उतारकर हवा में लहरा रहे हैं । भीड़ तिरंगा लहराते हुए भारत माता की जय बोल रही है । इंग्लैंड टीम के खिलाड़ी भी खड़े होकर भारतीय टीम का सम्मान कर रहे हैं । भारत की इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही हम स्टूडियो वापस चलते हैं ।




पाठ - 35
फ़ोन पर
पात्र : मोहन (भाई)
रेणु (बहन)
मीरा (बड़ी बहन)
अमरनाथ (नौकर)
( ट्रिन-ट्रिन घंटी बजती है)
नौकर : (फ़ोन उठाकर) हैलो । कौन बोल रहे हैं ?
मीरा : मैं मीरा बोल रही हूँ । अमरनाथ बोल रहे हो ?
अमरनाथ : हाँ, दीदी जी नमस्ते । मैं अमरनाथ बोल रहा हूँ । आप लोग कैसे हैं ?
मीरा : अमरनाथ तुम कैसे हो ?.........हाँ, हम सब ठीक हैं । अच्छा, जरा रेणु को बुलाओ ।
अमरनाथ : बहन जी, आपकी जीजी फ़ोन पर हैं ।
रेणु : अभी आ रही हूँ । (आकर फ़ोन उठाती हैं) हैलो दीदी, नमस्ते । क्या हाल हैं ? सब ठीक है ?
मीरा : सब मजे में हैं । तुम लोग क्या कर रहे हो ?
रेणु : आज छुट्टी है न । घर पर ही हैं । अभी तो कुछ कर नहीं रही हूँ । नाश्ता कर रही हूँ और रेडियो पर गाने सुन रही हूँ । हाँ, आजकल एक चित्र बना रही हूँ । कैनवस पर तैल चित्र है । समुद्र तट का दृश्य बना रही हूँ ।
मीरा : बहुत अच्छा । तुम तो आजकल चित्रकारी सीख रही हो न ?
रेणु : हाँ, तीन-चार महीने से सीख रही हूँ । हमारे घर के पास कला महाविद्यालय है, वहीं सीख रही हूँ ।
मीरा : रोज चित्र बनाने का अभ्यास करती हो न ?
रेणु : हाँ दीदी । रोज्र थोड़ी देर अभ्यास करती हूँ । फिर गुरू जी को दिखाती हूँ । वे मुझे सुझाव देते हैं । दीदी, मुझे लगता है कि मैं तेजी से सीख रही हूँ ।
मीरा : बहुत अच्छा । और तुम्हारी पढ़ाई ?
रेणु : ठीक चल रही है दीदी । आप क्या कर रही हैं ?
मीरा : मैं एक उपन्यास पढ़ रही हूँ । भीष्म साहनी का उपन्यास है " तमस " । बहुत अच्छा है । दो- तीन
दिन से पढ़ रही हूँ । इस पर फ़िल्म भी बनी है । आज शाम को देखने जा रही हूँ । अच्छा, मोहन कहाँ है ?
रेणु : अभी बुलाती हूँ । भैया, जल्दी आओ । दीदी बात करना चाहती हैं ।
मोहन : (फ़ोन उठाकर) हैलो दीदी । कैसे हैं आप सब ? क्या चल रहा है ?
मीरा : सब बढि़या है । तुम बताओ, अभी क्या कर रहे हो ?
मोहन : खास कुछ नहीं, अख़बार देख रहा हूँ ।
मीरा : तुम्हारे संगीत का अभ्यास ठीक चल रहा है न ?
मोहन : हाँ, दीदी । अगले महीने कॉलेज्र में संगीत की प्रतियोगिता है । उसी की तैयारी कर रहा हूँ ।
मीरा : क्या आइटम्स पेश कर रहे हो ? भजन ?
मोहन : नहीं दीदी । इस बार रवींद्र संगीत की प्रतियोगिता है । हमारी टीम एक गीत गा रही है ।
मीरा : बहुत अच्छा । तुम रवींद्र संगीत कब से सीख रहे हो ?
मोहन : करीब चार महीने से । इसके लिए मैं बंगला भाषा भी सीख रहा हूँ ।
मीरा : बढि़या । तुम्हें अभी से हार्दिक बधाई । अच्छा, फ़ोन रखती हूँ ।
मोहन : अच्छा दीदी ।



पाठ - 36
पिकनिक
अध्यापक : अगले रविवार को हम लोग कहीं पिकनिक के लिए चलें ।
सुभाष : तब तो मजा आएगा सर, कहाँ चलेंगे ?
अध्यापक : कहाँ चलेंगे, यह तो आप लोग ही तय करेंगे ।
जावेद : सर, सूरजकुंड ठीक रहेगा ।
गीता : नहीं सर, आगरा अच्छा रहेगा ।
अध्यापक : नहीं गीता, हम इतनी दूर नहीं जाएँगे । सूरजकुंड चलेंगे ।
गीता : कब चलेंगे ?
अध्यापक : हम सुबह नाश्ता करके नौ बजे निकलेंगे और दस बजे वहाँ पहुँचेंगे, वहाँ घूमेंगे, खेलेंगे और गाना गाएँगे । बड़ा ही सुंदर पहाड़ी क्षेत्र है । बीच में कुंड बना है ।
जावेद : अच्छा, खाने का क्या प्रबंध होगा ?
सुभाष : दो विद्यार्थी मिठाई लाएँगे । दो विद्यार्थी नमकीन और दो विद्यार्थी फल लाएँगे ।
अध्यापक : गीता और शीला पूड़ियाँ बनाकर लाएँगी और सुरेंद्र छोले लाएगा । रीटा केक लाएगी ।
जावेद और सुरैया : और हम खीर लाएँगे ।
अध्यापक : रविवार को बस साढ़े आठ बजे आ रही है । आप सब आठ बजे यहाँ पहुँचिए ।
सुभाष : क्या सुषमा मैडम भी चलेंगी ?
अध्यापक : नहीं, वे नहीं आएँगी । उनको कुछ काम है ।
अध्यापक : क्या मीरा जी आएँगी ?
सुभाष : मुझे मालूम नहीं । शायद नहीं आएँगी ।
जावेद : सर, वहाँ मौसम कैसा रहेगा ?
अध्यापक : आजकल बारिश हो रही है, इसलिए वहाँ मौसम सुहावना होगा ।



पाठ -37
साक्षात्कार
उम्मीदवार : नमस्ते ।
बोर्ड का अध्यक्ष : नमस्ते, आप प्रियरंजन मुखर्जी हैं न ? बैठिए ।
मुखर्जी : धन्यवाद ।
अध्यक्ष : अच्छा, आप नागपुर यूनिवर्सिटी के स्नातक हैं । बी.ए. में आपके विषय कौन-कौन से थे ?
मुखर्जी : अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीतिशास्त्र, अंग्रेज्री और हिंदी ।
अध्यक्ष : क्या आपको मराठी भी आती है ?
मुखर्जी : जी हाँ, मुझे मराठी भी आती है । अच्छी तरह लिख-पढ़ सकता हूँ ।
सदस्य 1 : क्या आप टंकण, मेरा मतलब है, टाइपिंग जानते हैं ?
मुखर्जी : जी हाँ, मैं हिंदी और अंग्रेज्री दोनों में टाइप कर सकता हूँ ।
सदस्य : क्या आपको आशुलिपि यानी शार्टहैंड भी आती है ?
मुखर्जी : जी, आजकल मैं हिंदी आशुलिपि सीख रहा हूँ । अंग्रेज्री शार्टहैंड भी जानता हूँ ।
सदस्य 2 : मुखर्जी यह बताइए, आपको लेखा का काम आता है ?
मुखर्जी : इस समय मैं एक निजी कंपनी में काम कर रहा हूँ । वहाँ लेखा का काम मैं ही देखता हूँ ।
सदस्य 2 : अच्छा, बैलेंस शीट को हिंदी में क्या कहते हैं ?
मुखर्जी : (जरा सोचकर) तुलन-पत्र ।
सदस्य 2 : ठीक है । बताइए, हिंदी को संघ की राजभा−ाा कब बनाया गया ?
मुखर्जी : क्षमा करें, मुझे इसकी जानकारी नहीं है ।
अध्यक्ष : आप निजी कंपनी की नौकरी क्यों छोड़ना चाहते हैं ?
मुखर्जी : कंपनी मुझे इटली भेजना चाहती है, लेकिन मेरे पिताजी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता । इसलिए इस समय मैं विदेश नहीं जा सकता ।
अध्यक्ष : हम अहमदाबाद में एक शाखा खोलना चाहते हैं । यह पद अहमदाबाद के लिए है। क्या आप अहमदाबाद जा सकेंगे ?
मुखर्जी : जी हाँ, खुशी से जा सकता हूँ । मेरी पत्नी गुजराती है । उसका मायका अहमदाबाद में ही है ।
अध्यक्ष : बहुत अच्छा, अब आप जा सकते हैं ।
मुखर्जी : धन्यवाद ।



पाठ - 38
विवाह का निमंत्रण
(घर के ड्राइंगरूंम में परिवार के सदस्यों के बीच बातचीत)
माँ : परसों राजीव की शादी है । शादी में क्या सब लोग चलेंगे ?
पार्थ : माँ, मैं तो शादी में जरूर चलूँगा ।
माँ : शादी से एक दिन पहले महिला संगीत का कार्यक्रम है । मुझे तो महिला संगीत में भी जाना होगा ।
अनु : महिला संगीत में मैं भी चलूँगी, माँ । वहाँ ढोलक बजेगी, सब गीत गाएँगे और खूब नाचेंगे । माँ, वहाँ मेंहदी भी लगेगी ?
माँ : हाँ, वहाँ मेंहदी भी लगेगी । दूसरे दिन राजीव की बारात जाएगी ।
पार्थ : मैं बारात में खूब नाचूँगा । माँ, मैं राजीव भैया के साथ घोड़ी पर भी बैठूँगा । द्वार-चार में भी भैया के साथ रहूँगा । अनु दीदी, बारात में तुम भी डांस करना ।
अनु : नहीं, मैं डांस नहीं करूँगी । बारात में, मैं दुल्हन की तरह लहँगा-चुनरी पहन कर जाऊँगी तो डांस कैसे करूँगी ? पार्थ, तुम शादी में क्या पहनोगे ?
पार्थ : मैं अपनी शेरवानी पहनूँगा पर उसके साथ नई जूतियाँ खरीदनी होंगी । पिताजी, हम बाजार कब जाएंगे ।
पिताजी : बाजार तो कल ही जाना है । राजीव की शादी के लिए कोई अच्छा-सा उपहार भी लेना है ।
माँ : हाँ, मैं राजीव और उसकी दुल्हन को शादी की यादगार के तौर पर एक बहुत सुंदर सा उपहार देना चाहूँगी ।
अनु : माँ, मैं अपने लिए एक नई ड्रेस भी खरीदूँगी ।
माँ : ठीक है, तुम्हारे लिए एक नई ड्रेस भी देखेंगे ।
पार्थ : शादी में बहुत मजा आएगा । हम खूब गोलगप्पे, आलू की चाट और आइसक्रीम खाएँगे ।
अनु : माँ, क्या हम रातभर वहीं रुकेंगे ? फेरे तो देर से होंगे और उसके बाद ही जूता छुपाई की रस्म होगी । दूल्हे की सालियाँ मिलकर गाएँगी " पैसे दे दो, जूते ले लो " । शादी का असली मज्रा तो वहाँ आएगा ।
माँ : हाँ, हम लोग विदाई तक वहीं रहेंगे । विदाई तो सुबह चार बजे तक ही हो पाएगी ।
पिताजी : मैं और पार्थ तो खा-पीकर घर आ जाएँगे । तुम माँ-बेटी विदाई तक रुक जाना । अनु को अपने दूल्हे भैया और नई दुल्हन भाभी के साथ रहना अच्छा लगेगा ।
माँ : ठीक है, फिर हम दोनों अगली सुबह दुल्हन की मुँह-दिखाई की रस्म के बाद ही घर लौटेंगी ।
पिताजी : हाँ, यही अच्छा रहेगा ।


पाठ - 40
मुंबई की बारिश
बचपन से लेकर अठारह वर्ष की आयु तक मैं मुंबई में रही हूँ । मुंबई एक सुंदर महानगर है । यहाँ ऊँची-ऊँची इमारतें हैं तो यहाँ समुद्रतट, हरियाली तथा सुंदर पार्क भी हैं ।
मुंबई में जून से अगस्त माह तक खूब बारिश होती है । बारिश भी ऐसी कि हफ़्ते-दस दिन तक सूरज के दर्शन नहीं होते । मुंबई में हम उन दिनों आरे मिल्क कॉलोनी में रहते थे । यह कॉलोनी एक पहाड़ी पर बसी है । कॉलोनी के बीच-बीच में यहाँ जंगल भी संरक्षित है । बारिश के दिनों में यह कॉलोनी खूब हरी-भरी हो जाती थी । सड़क के दोनों तरफ गुलमोहर के पेड़ थे । गुलमोहर के फूलों से ढकी सड़कें बहुत सुंदर लगती थीं । हमारी कॉलोनी के पास ही फ़िल्म सिटी थी । फ़िल्म सिटी तथा कॉलोनी में फ़िल्मों की शूटिंग होती थी । हम लोग भी अक्सर शूटिंग देखने जाते थे ।
बचपन में बारिश के दिनों में स्कूल जाने में खूब आनंद आता था । हम सब बच्चे गमबूट और बरसाती पहनकर स्कूल जाते थे । बारिश अधिक होने पर रेलवे लाइन पर पानी भर जाता था । ट्रेनें रुक जाती थीं । बसें धीरे-धीरे चलती थीं । हम लोगों को आने-जाने में असुविधा होती थी, फिर भी हम लोग इस मौसम का खूब आनंद उठाते थे ।
बारिश के दिनों में मुंबई के लोग खूब पिकनिक मनाते हैं । यहाँ का हाजी अली, जुहू बीच, चौपाटी का समुद्रतट, जहाँगीर आर्ट गैलरी, प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, गेटवे-ऑफ़ इंडिया, जीजा माता उद्यान, नेहरू विज्ञान केंद्र, मछलीघर तथा महालक्ष्मी मंदिर पर्यटन के प्रमुख स्थल हैं । मैं भी परिवार के साथ अक्सर जुहू बीच जाती थी । घंटों हम समुद्र में उठने वाली उँची-ऊंँची लहरें देखते रहते थे । कभी-कभी हम समुद्र में नहाते भी थे । रेत के घरौंदे बनाकर उन्हें रंग-बिरंगी कागज्र की झंडियों से सजाते थे । शाम होने के बाद समुद्रतट पर भीड़ बढ़ने लगती थी । खाने-पीने की दुकानों पर भी खूब भीड़ हो जाती थी । हम मुंबई की मशहूर "भेलपूरी " और "पानी पूरी " (गोलगप्पे) अवश्य खाते थे । मिर्च लगने पर सब नारियल पानी पीते थे ।
समुद्रतट पर होने वाले सूर्यास्त का अद्भुत दृश्य देखकर ही हम सब घर लौटते थे । आज भी मुझे बचपन के उन दिनों की याद आती है ।


पाठ - 41
अंतरराष्टीय व्यापार मेले में
हर साल की तरह इस साल भी प्रगति मैदान में 14 नवंबर से अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला लगा है । हमने पिछले साल यह मेला देखा था । इस बार भी बच्चों ने आग्रह किया । इसलिए हम पिछले रविवार को मेला देखने गए।
इस बार मेले में भारत के सभी राज्यों के साथ-साथ कई अन्य देशों ने भी हिस्सा लिया । यहाँ चीन, जापान तथा कोरिया आदि देशों की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अपना सामान लेकर आई हैं । पिछले साल कुछ विदेशी कंपनियाँ मेले में नहीं आई थीं ।
पिछली बार भीड़ की वजह से हम जापान पैवेलियन नहीं देख सके थे इसलिए सबसे पहले हम जापान के पैवेलियन में गए । जापानी मंडप में मशीनें देखने लायक थीं व इसमें हर तरह के इलैक्ट्रॉनिक सामान जैसे टी.वी., वाशिंग मशीनें तथा फ्रिज्र आदि का प्रदर्शन किया गया था । हमने भी यहाँ से सोनी का फ़्लेट स्क्रीन टी.वी. खरीदा । मेले में कोरिया का मंडप बहुत अच्छा था ।
इसके बाद हम मेले का मुख्य आकर्षण चीन का पैवेलियन देखने गए थे । यहाँ के सस्ते बिजली के सामान तथा खिलौनों ने सबको आकर्षित किया । हमने भी यहाँ से "सिएफल" लाइट्स ली जिससे बिजली की बचत हो सके ।
पिछले साल मुझे आंध्र प्रदेश के मोतियों से बने गहनों ने बहुत आकर्षित किया था लेकिन मैं ले नहीं सकी थी । इस बार मैंने यहाँ से पटोला की एक साड़ी और मोतियों का हार लिया ।
हमने गुजरात के मंडप में जाने की कोशिश की लेकिन अंदर नहीं जा सके । भीड़ बहुत थी । हमने बाहर ही पाव-भाजीञ्ज् और ढोकला खाया ।
इसके बाद खूबसूरत गरम शालें खरीदने के लिए हम हिमाचल प्रदेश के पैवेलियन में गए । जम्मू-कश्मीर के पैवेलियन में कश्मीरी कढ़ाई के गरम सूट, शालें तथा अखरोट की लकड़ी का फर्नीचर देखने लायक था । पिछले साल यहाँ से हमने कश्मीरी कालीन लिया था । इस बार मैंने यहाँ से एक गरम सूट खरीदा ।
इसके पश्चात् हम असम तथा नागालैंड के पैवेलियन में भी गए । यहाँ बेंत का बना हुआ आकर्षक फर्नीचर देखा । पिछली बार बच्चों ने यहाँ से जूट का बना झूला खरीदा था । इस बार उन्होंने यहाँ से सूखे हुए फूल, आकर्षक तथा रंग-बिरंगी पत्तियाँ तथा फूलदान खरीदा ।
सारा दिन घूमते-घूमते हम लोग थक चुके थे लेकिन मन अभी नहीं भरा था । मेले का समय समाप्त हो रहा था, इस वजह से हम अन्य पैवेलियन नहीं देख सके । शाम के आठ बजे हम मैदान से बाहर आ गए ।

पाठ - 42
पाँच प्रश्न
एक बार बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था । बीरबल सहित सभी दरबारी वहाँ उपस्थित थे । बादशाह ने दरबारियों की बुद्धि-परीक्षा लेने के लिए कुछ प्रश्न पूछने शुरू किए । उनका पहला प्रश्न था - " फूलों में सबसे सुंदर फूल कौन-सा है ? " एक दरबारी तुरंत बोला - जहाँपनाह, गुलाब । दूसरे ने कहा - कमल । बीरबल ने इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया ।
बादशाह ने दूसरा प्रश्न किया - " सबसे पौष्टिक दूध किसका होता है ? " एक दरबारी ने तपाक से कहा - जहाँपनाह, गाय का दूध । दूसरे ने कहा - बकरी का दूध । कुछ दरबारियों ने भैंस के दूध को सबसे उत्तम बताया । बीरबल केवल मुस्कुराते रहे, कुछ बोले नहीं ।
अकबर ने अगला सवाल किया - " सबसे मीठी चीज्र क्या है ? " एक दरबारी ने कहा- हुज्रूर, बरफ़ी । दूसरे ने कहा - रसगुल्ला । अन्य दरबारियों ने भी किसी न किसी मिठाई को सबसे अच्छा बताया। अकबर अब भी बीरबल की चुप्पी पर हैरान थे ।
बादशाह ने अगला प्रश्न पूछा - " सबसे अच्छा पत्ता कौन-सा है ? " किसी ने भी तुरंत जवाब नहीं दिया । कुछ सोचने के बाद एक दरबारी ने कहा - " बादशाह, नीम का पत्ता । इसका पत्ता अनेक बीमारियों को दूर करता है । " कुछ ने तुलसी तो किसी ने केले के पत्ते को अच्छा बताया । उन्होंने कहा ये पवित्र हैं, पूजा के काम आते हैं ।
अकबर ने मुस्कुराते हुए पाँचवाँ प्रश्न किया - "सभी बादशाहों में सर्वश्रेष्ठ बादशाह कौन है ? " सभी ने एक स्वर में कहा - " बादशाह अकबर । "
अंतिम प्रश्न का उत्तर सुनकर बादशाह को बहुत प्रसन्नता हुई । फिर भी बीरबल चुप थे । बादशाह ने कहा - " बीरबल तुमने कुछ भी नहीं कहा ? " इस पर बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा- महाराज, कपास का फूल सबसे सुंदर होता है । इसके रेशों से बने कपड़े मनुष्य के शरीर को ढकते हैं । जवाब सुनकर सभी दरबारी एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे ।
बीरबल ने आगे कहा - माँ का दूध सबसे उत्तम होता है । मिठास जबान में होती है जिससे मीठे शब्द निकलते हैं । उत्तर सुनकर अकबर भी मुस्कराने लगे । बीरबल ने पत्तों में पान के पत्ते को सर्वश्रे-ठ बताया । पूजा में काम आने के साथ रिश्तेदारों और मेहमानों का स्वागत पान से ही किया जाता है ।
अंतिम प्रश्न का उत्तर सुनने के लिए सारा दरबार उत्सुक था । बीरबल ने कहा - सभी राजाओं में इंद्र सर्वश्रेष्ठ हैं । दरबारियों ने हैरानी से पूछा - कैसे ? बीरबल बोले - इंद्र वर्षा के देवता हैं, वर्षा से वनस्पतियाँ पैदा होती हैं, जीव-जंतु जीवित रहते हैं ।
बीरबल के बुद्धिमत्तापूर्ण जवाब सुनकर अकबर और सभी दरबारियों को अपार प्रसन्नता हुई, सबके चेहरे खिल उठे ।

पाठ - 43
जयपुर की सैर
पिछले महीने एल.टी.सी. लेकर मैं अपने परिवार के साथ जयपुर की यात्रा पर गया । जयपुर के लिए हमने रात की गाड़ी पकड़ी । सुबह पाँच बजे हम जयपुर पहुँच गए । कुछ-कुछ अँधेरा था । हमने अपना सामान क्लोक-रूंम में जमा किया । थोड़ी देर हमने प्रतीक्षालय में विश्राम किया । वहीं पर नहा-धोकर तैयार हो गए ।
इतने में दिन निकल आया । हम लोग बाहर निकले । सामने कई दुकानें थीं । कुछ होटल भी थे । एक होटल में हमने नाश्ता किया । मैंने मावाबाटी खाई । मेरी पत्नी ने पराठा खाया । बच्चों ने बीकानेरी रसगुल्ले खाए ।
जयपुर से लगभग चौदह कि.मी. की दूरी पर आमेर का किला है । यह बहुत पुराना और बड़ा किला है । हमने टैक्सी ली और आमेर पहुँचे । आमेर में शीशमहल देखने लायक है । शीशमहल के पास ही देवी का मंदिर है । हमने मंदिर में देवी के दर्शन किए । वहाँ हमने मंदिर के पास का बाज्रार देखा । बाज्रार से मेरी पत्नी ने चूड़ियाँ खरीदीं । हमने टैक्सी की और शहर वापस आए ।
हमने एक होटल में खाना खाया । उसके बाद हमने हवामहल देखा । हवामहल के पास ही जंतर-मंतर है । यहाँ एक वेधशाला है । इसका निर्माण राजा जयसिंह ने किया था । हमने घूम-घूमकर जंतर-मंतर देखा । इसके बाद हम राम निवास बाग गए । वहाँ कला संग्रहालय है जो बड़ा दर्शनीय है । वहाँ हमने सुंदर कलाकृतियाँ देखीं । संग्रहालय में जयपुर के राजा-महाराजाओं के कपड़े, अस्त्र-शस्त्र और उनके चित्र रखे गए हैं । राजस्थान को पहले राजपूताना कहा जाता था । राजपूत अपनी आन, बान और शान के लिए प्रसिद्ध थे । राजस्थान अतिथि सत्कार के लिए भी जाना जाता है । " पधारो म्हारे देश " लोकगीत इसी भावना पर लिखा गया है ।
शाम को "बड़ा बाज्रार " में हमने खरीददारी की । मेरी पत्नी ने बँधेजी साड़ियाँ खरीदीं । बच्चों ने लकड़ी का सामान और खिलौने खरीदे । मैंने जयपुरी जॉकेट खरीदी ।
एक मित्र ने हमें शहर से दस कि.मी. दूर स्थित चौकी ढाणी में आमंत्रित किया । चौकी ढाणी राजस्थानी जीवन शैली का जीता जागता उदाहरण है । हमने वहाँ लोक नृत्य देखे । फिर हमने राजस्थानी व्यंजन दाल-बाटी-चूरमा खाया ।
दूसरे दिन हमने झीलों के शहर उदयपुर के लिए प्रस्थान किया ।




पाठ - 44
आतिथ्य
रतनपुर गाँव में रामदीन पटेल का घर मंदिर वाली सड़क पर है । रामदीन का एक बेटा है - किसन । पिछले साल रामदीन ने बेटे की शादी की है । बहू सुशीला गुणवती है । उसने जल्दी ही पूरा घर सँभाल लिया । रामदीन दो साल पहले सेवामुक्त हो चुके हैं । किसन की पक्की नौकरी नहीं लगी है । घर का खर्च मुश्किल से चलता है ।
घर के सामने सड़क पर नीम का एक पेड़ है । रास्ता चलने वाले पेड़ की छाया में बैठकर आराम करते हैं और चले जाते हैं । एक दिन सुशीला ने देखा, तीन महिलाएँ आकर बैठी हैं । दोपहर को वहाँ से बाकी लोग जा चुके हैं लेकिन महिलाएँ अब भी बैठी हैं । उन्होंने न कुछ खाया है, न पिया है । सुशीला ने यह बात अपनी सास को बताई । सास ने कहा, जाओ बेटी, उनसे प्रार्थना करो कि हमारे घर पधारकर भोजन करें ।
सुशीला ने जाकर उनको प्रणाम किया और घर आने का निमंत्रण दिया । तीनों महिलाओं ने आशीर्वाद दिया । उनमें से एक ने कहा - मैं भाग्यलक्ष्मी हूँ, ये समृद्धि हैं और ये शांति हैं । हम तीनों एक साथ नहीं चल सकतीं । किसी एक को तुम बुला सकती हो । घर में पूछ आओ कि हममें से कौन तुम्हारे घर आए ।
सुशीला ने सास को पूरा हाल बता दिया । रामदीन भी घर पर थे । तीनों विचार करने लगे, किसे बुलाएँ । रामदीन ने अपने अनुभव से कहा - भाग्यलक्ष्मी को बुला लाओ । भाग्य से ही सब कुछ मिलता है । सास ने कहा - मेरे विचार में समृद्धि को बुलाना ठीक है । समृद्धि रहेगी तो खुशहाली होगी ।
सास-ससुर अपनी राय दे चुके तो बहू सुशीला बोली - मेरे विचार में हमें शांति को बुलाना चाहिए । घर में शांति रहेगी तो सुख और समृद्धि भी आ जाएगी । रामदीन ने कहा - तुम्हारी बात ठीक लगती है । शांति को बुला लाओ ।
सुशीला फिर तीनों महिलाओं के सामने खड़ी थी । उसने बड़े आदर के साथ शांति देवी को बुलाया । सुशीला का निमंत्रण सुनकर शांति देवी उठकर उसके पीछे चलने लगी । सुशीला ने मुड़कर देखा । उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि शांति के पीछे समृद्धि और भाग्यलक्ष्मी भी चली आ रही थीं । उसे बहुत पहले पढ़ी पंक्तियाँ याद आ गईं :-
गोधन गजधन वाजिधन और रतन धन खान ।
जब आए संतोष धन, सब धन धूल समान ।।



पाठ - 45
त्योहार
भारतीय संस्कृति में त्योहारों का बड़ा महत्व है । भारत को कृषि प्रधान देश तथा त्योहार प्रधान देश कहा जाता है । यहाँ जब-जब कोई त्योहार आता है तब-तब लोग खुशियाँ मनाते हैं । त्योहार पर बच्चे बहुत खुश होते हैं, क्योंकि उन्हें उपहार मिलते हैं, नए कपड़े मिलते हैं, खाने को मिठाइयाँ मिलती हैं । सभी धर्मों के लोग त्योहार मनाते हैं ।
दीवाली हिंदुओं का त्योहार है । क्रिसमस को हम बड़ा दिन भी कहते हैं । यह ईसाइयों का बड़ा त्योहार है । ईद मुसलमानों का त्योहार है । यह एक धार्मिक त्योहार है ।
कुछ त्योहार कृषि से संबंधित हैं जैसे संक्रांति । जब फसल कटती है तो किसानों का मन खुशी से भर उठता है । वे ही क्यों, सारे लोग खुशियाँ मनाते हैं, वे नए अनाज से पकवान बनाते हैं और ईश्वर की प्रार्थना करते हैं । इसी तरह जब मौसम बदलता है तब भी लोग खुशियाँ मनाते हैं । होली इसी तरह का त्योहार है । जब जाड़े का मौसम खत्म हो जाता है और वसंत का मौसम शुरूं होता है तब होली का त्योहार आता है । जहाँ ज्यादा ठंड नहीं पड़ती, वहाँ होली का त्योहार नहीं होता जैसे दक्षिण में ।
त्योहार में लोग खुशियाँ मनाते हैं और खुशियाँ बाँटते हैं । लोग एक-दूसरे को त्योहार की शुभकामनाएँ देते हैं, " मुबारक " कहते हैं । लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं । जो अमीर हैं वे गरीबों को दान देते हैं । जो गरीब हैं, वे भी एक-दूसरे की सहायता करते हैं । त्योहार का दिन भाईचारे का दिन होता है । लोग त्योहारों पर शत्रुता भूल जाते हैं और प्यार का व्यवहार करते हैं । जहाँ हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई साथ रहते हैं, वहाँ एक-दूसरे की खुशी में भाग लेते हैं ।
त्योहार हमारे जीवन में नवीनता लाते हैं । जब त्योहार आता है, लोग पुरानी चीजें हटा देते हैं । घर में नए कपड़े, नए बरतन आते हैं । जिस तरह नई चीजें आती हैं, उसी तरह मन में नया उल्लास और नई उमंगे आती हैं ।

पाठ - 46
भारत देश
भारत एक विशाल देश है । यह एक प्रायद्वीप है । इसके तीन ओर समुद्र है, उत्तर की तरफ हिमालय पर्वत है । भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी है, दक्षिण में हिंद महासागर है और पश्चिम में अरब सागर है ।
भारत के पड़ोस में कई देश हैं । पश्चिम में पाकिस्तान है, पूर्व में बंगला देश है, उत्तर में चीन, नेपाल और भूटान हैं । पूर्व में म्यांमार (बर्मा देश) भी भारत की सीमा पर है । दक्षिण में हिंद महासागर में श्रीलंका है ।
भारत एक बहुत बड़ा देश है । इसमें 28 राज्य हैं और सात केंद्र शासित प्रदेश हैं । ये केंद्र शासित प्रदेश हैं चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप आदि । दिल्ली भारत की राजधानी है । उत्तर में उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब आदि राज्य हैं, पश्चिम में महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्य हैं, पूर्व में असम, पश्चिम बंगाल आदि राज्य हैं और दक्षिण में तमिलनाडु, केरल आदि राज्य हैं । भारत में क्षेत्र की दृष्टि से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है । इसका क्षेत्रफल 342239 वर्ग किलोमीटर है । गोवा सबसे छोटा राज्य है । इसका क्षेत्रफल 3702 व.कि. है । आबादी की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है । 2001 में इसकी आबादी 16.61 करोड़ थी । सिक्किम की आबादी सबसे कम है, 5.40 लाख । भारत दुनिया के देशों में आबादी में दूसरे स्थान पर है ।
भारत में कई नदियाँ हैं । गंगा, यमुना उत्तर की बड़ी नदियाँ हैं । मध्य में नर्मदा, ताप्ती बड़ी नदियाँ हैं । गोदावरी, कृष्णा, तुंगभद्रा, कावेरी दक्षिण की बड़ी नदियाँ हैं । गंगा भारत की सबसे बड़ी और सबसे लंबी नदी है । यह हिमालय से निकलती है और उत्तर प्रदेश, बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल में बंगाल की खाड़ी में गिरती है ।
भारत में लोग कई भाषाएँ बोलते हैं । यहाँ लगभग 650 भाषाएँ हैं । इनमें 20-25 भाषाएँ प्रमुख हैं । सबसे ज्यादा लोग हिंदी भाषा बोलते हैं । बहुत लोग हिंदी भाषा जानते हैं । भारत में कई धर्मों के लोग रहते हैं । यहाँ हिंदू, बौद्ध, सिख, ईसाई, मुस्लिम, पारसी कई धर्म हैं ।
भारत में सब जगह मौसम की स्थिति भी अलग-अलग है । जैसे-जैसे हम उत्तर भारत से दक्षिण भारत की तरफ जाते हैं वैसे-वैसे मौसम भी बदलता जाता है । उत्तर भारत में दिसंबर-जनवरी में बहुत ठंड पड़ती है । हिमाचल प्रदेश, कश्मीर आदि प्रदेशों में बर्फ पड़ती है । दक्षिण में ठंड नहीं होती । भारत में चेरापूंजी (मेघालय) आदि स्थानों में सबसे अधिक वर्षा होती है । राजस्थान में सबसे कम बारिश होती है । उत्तर भारत में मई-जून में बहुत गर्मी पड़ती है । चेन्नै, मुंबई, कोलकाता में दिन में समुद्र से ठंडी हवा आती है । इसलिए यहाँ ज्यादा गर्मी नहीं पड़ती । आंध्र प्रदेश में रामागुंडम भारत का सबसे गर्म स्थान है ।
भारत विविधता का देश है । भारत में जितने विविध धर्म हैं उतनी ही विविध भाषाएँ एवं संस्कृतियाँ हैं । पोशाकें विविध हैं, खान-पान में विविधता है । फिर भी देश एक है, लोगों में एकता है । इसीलिए कहते हैं कि भारत में अनेकता में एकता है ।


पाठ - 47
जीने की कला
(सद्भावना दिवस पर कार्यालय प्रमुख का भाषण )
आधुनिक युग में हमारा जीवन जटिल हो गया है । औद्योगिक क्रांति के बाद जीवन में सुख-सुविधाएँ बढ़ गई हैं । मशीनों ने हमारा जीवन सरल बना दिया है । शारीरिक श्रम कम हो गया है लेकिन मानसिक रूंप से हम आज तनावग्रस्त हो गए हैं । आज हम भौतिक सुविधाओं को पाने के लिए एक अंतहीन दौड़ में शामिल हो गए हैं । जीवन में सुख और संतो-ा नहीं रह गया है । हमारा मानसिक संतुलन बिगड़ रहा है ।
कभी-कभी एक-दूसरे से आगे बढ़ने की चाह में हम अपने व्यवहार व आचरण से दूसरों के लिए तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर देते हैं । एक संयत व्यिक्तत्व के विकास के लिए हमें प्रयास करना चाहिए । हम अपने घर में परिजनों के साथ हों या दफ़्तर में अपने सहयोगियों के साथ, एक स्वस्थ एवं खुशहाल माहौल बनाए रखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए ।
सर्वप्रथम हम कार्यालय में अनुशासन बनाए रखें । हम खुद अनुशासन का पालन करें तथा दूसरों को अनुशासन में रहने के लिए प्रेरित करें ।
हम हर छोटे-बड़े कर्मचारी/अधिकारी के मान-सम्मान का ध्यान रखें । उसके काम के महत्व को समझें ।
अधीनस्थ कर्मचारियों से अधिकतम काम करवाने के लिए टीम भावना का विकास करें तथा उनके सुख-दुख में उनका साथ दें । उनके प्रति सहानुभूति एवं अपनत्व की भावना रखें । उनका मनोबल बढ़ाने के लिए उनके अच्छे कामों की तारीफ़ करें ।
प्रशासन से जुड़े कर्मचारियों को अनुभवी, कार्यकुशल तथा नि-ठावान होना चाहिए । उन्हें नियमों की अद्यतन जानकारी होनी चाहिए । यही ज्ञान कर्मचारी में आत्मविश्वास पैदा करता है ।
दफ़्तर में काम को सुचारु रूप से चलाने के लिए मेरा आप सबसे विशेष अनुरोध है कि कभी लकीर के फ़कीर न बनें और नकारात्मक सोच से बचें ।
दफ़्तर के वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में सहयोग दें ।




पाठ - 48
पर्यावरण
सुबह-सुबह मुहल्ले में ख़बर फैली कि रामू की गाय सड़क पर मरी पड़ी है । लोगों को लगा कि किसी ने ज्रहर खिला दिया है । एकदम जवान गाय, अब तक ठीक-ठाक थी । खूब दूध देती थी । अचानक मर कैसे जाएगी । बेचारे रामू का बुरा हाल था । वह दूध बेचकर घर चलाता था । अब क्या होगा ?
रामू रोजाना सवेरे दूध दुहता और फिर गाय को खुला छोड़ देता । वह दिन भर गलियों में घूमती और कूड़े-कचरे के ढेर से सड़ी-गली चीज्रें खाती । फिर शाम को घर आ जाती । रामू खुश था कि उसे गाय को खिलाना नहीं पड़ता ।
थोड़ी देर में पुलिस की जीप आई और लाश ले गई । शाम को पुलिस इंस्पेक्टर सावंत वहाँ आए और लोगों को एकत्रित किया । उन्होंने बताया कि गाय के पेट में 10 कि.ग्रा. पॉलीथीन निकला है । यही उसकी मौत का कारण है । लोग पॉलीथीन बैग में बचा-खुचा खाना, सब्ज्री के टुकड़े भरकर कूड़े पर फेंक देते हैं । ऐसे बैग पशु खा जाते हैं । इन्हीं को खाकर यह गाय मर गई । यानी लोग लापरवाही से प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करेंगे तो यही होगा । अच्छा हो और चाहिए भी कि हम प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल कम से कम करें ।
कौसानी लौटते ही मोहन जी को लगा, स्वर्ग आ गए हैं । ऊँचे-ऊँचे पर्वत, सुंदर हरे-भरे जंगल । मोहन जी लखनऊ से लौटे थे । वहाँ कितनी तो भीड़ है । सड़कों पर गंदगी और बाजार में गाड़ियों का धुआँ । घर पहुँचते ही उनकी पत्नी बोली " गोपाल की तबीयत खराब है । स्कूल भी नहीं गया । डॉक्टर को दिखाना ज्ररूरी है । आपको अभी जाना होगा । "
" हाँ, क्यों नहीं, डॉक्टर का दवाख़ाना खुल गया होगा । अभी दिखा लाते हैं । " मोहन जी ने पानी का गिलास थामते हुए कहा ।
मोहन जी के घर से थोड़े ही फ़ासले पर डॉ. नेगी का दवाख़ाना था । वे गोपाल को लेकर डॉ. नेगी के दवाख़ाने पर पहुँच गए ।
" डॉ. साहब, इसका शरीर पीला पड़ता जा रहा है । जब से दिल्ली से लौटा है, बुखार भी है और हर वक्त खाँसता रहता है । "
" अच्छा, अभी देखता हूँ । " डॉ. नेगी गोपाल की नाड़ी जाँच करते हुए बोले ।
" बेटे, जरा मुँह खोलो, जीभ बाहर निकालो । " स्टेथेस्कोप को सीने और पीठ पर लगाते हुए उन्होंने गोपाल से ज्रोर-ज्रोर से साँस लेने को कहा । गहन जाँच के बाद डॉ. नेगी ने मोहन जी

को बताया " मोहन जी, लड़के को न सिर्फ़ पीलिया बल्कि इसके फेफड़े में संक्रमण (इन्फ़ेक्शन) हो गया है । पीलिया तो खराब पानी पीने से हुआ है । फेफड़ों में धुआँ भर गया है इसलिए संक्रमण हो गया है । दो चार दिन दवाई लेनी होगी, ठीक हो जाएगा । "
फिर उन्होंने पूछा, " अच्छा यह बताइये, दिल्ली में गोपाल कहाँ ठहरा था ? "
" जी वह शाहदरा में था, मुख्य चौराहे पर ही चाचा का घर है । "
डॉक्टर साहब बोले, " लोग नदियों में कारखानों के अवशेष बहा देते हैं, ढेरों कूड़ा-करकट फेंकते हैं । इससे पानी खराब हो जाता है । इसी को प्रदूषण कहते हैं । इस पानी को पीने से पीलिया, हेपटाइटिस जैसे कितने ही रोग हो जाते हैं । इसे वायु प्रदूषण कहते हैं । इससे फेफड़े खराब होते हैं और साँस की बीमारियाँ हो जाती हैं । खैर, आप चिंता न करें । कौसानी की जलवायु उसे जल्दी ही ठीक कर देगी । मैं दवाएँ लिख रहा हूँ । आप उसे नियमित देते रहें और कुछ परहेज्र बताए देता हूँ । उसका पालन करेगा तो जल्दी ठीक हो जाएगा । "
घर लौटकर उन्होंने पत्नी से कहा - " पता नहीं लोग हवा, पानी, सबको क्यों दूषित करते हैं । हमें गाड़ियों का धुआँ कम करना चाहिए, पानी में कूड़ा नहीं फेंकना चाहिए । जीवन में सफ़ाई का ध्यान रखना चाहिए । " पत्नी बोली - "हाँ । बच्चों को भी ये सब बातें समझानी चाहिए ।












पाठ - 49
बिहू पर्व
उत्तर पूर्व का प्रवेश द्वार है असम का प्रमुख शहर -गुवाहाटी । यहाँ का एक बड़ा त्योहार है - बिहू । वर्ष में तीन बार बिहू मनाया जाता है । पहला "कंगाली " बिहू है । यह कार्तिक मास की संक्रांति के दिन मनाया जाता है । इस दिन तुलसी का नया पौधा रोप कर लोग दीपक जलाते हैं । इस मौके पर किसान अच्छी फसल के लिए देवी-देवताओं से प्रार्थना करते हैं ।
भोगालीञ्ज् असम का दूसरा बिहू है । जब किसान की मेहनत रंग लाती है, उसके खलिहान अन्न से भर जाते हैं तब घर-घर से " ढेकी " (अनाज कूटने के यंत्र) की आवाज्र आने लगती है । घर-घर में चावल के चूरे, तिल और नारियल से पीठा नामक मिठाई बनती है । धान के सूखे पौधों से झोंपड़ी बनाई जाती है । इसे भेला घर कहते हैं । इस भेला घर में लोग नाचते-गाते हैं । वहीं सब मिल-बैठकर खाना खाते हैं और फिर भेला घर में आग लगा देते हैं । भोगाली बिहू की ही तरह दक्षिण भारत में पोंगलञ्ज्, महारा-ट्र, गुजरात एवं उत्तर भारत में " मकर संक्रांति " और पंजाब में "लोहड़ी " मनाई जाती है ।
वैशाख के महीने में बोहागी बिहू मनाया जाता है इसे रंगाली बिहू भी कहते हैं । बिहू के एक दिन पहले "उरका " होता है । इस दिन लोग पूरे घर की सफ़ाई करते हैं । दूसरे दिन परिचितों को गमछा दिया जाता है । युवा लड़के ढोल बजाकर युवतियों को नाचने का निमंत्रण देते हैं । युवतियाँ ढोल की ताल पर नाचती हैं । अपने गीतों में वे प्रेम-भाव प्रकट करते हैं । युवक-युवतियों के विवाह भी इसी समय तय किए जाते हैं । पेपा और ढोल के सुर ताल पर युवतियों के पैर थिरकने लगते हैं । प्रकृति भी रंग-बिरंगे फूलों से भर जाती है । कपोह फूल के बिना बिहूटी (नर्तकी) का श्रृंगार अधूरा रहता है । असम में बिहू नृत्य उसी तरह है जैसे पंजाब में भाँगड़ा । बिहू जैसे पर्व भारत की भावनात्मक एकता के प्रतीक हैं ।







पाठ - 50
स्वदेशी और स्वभाषा के जनक गांधी जी
बीसवीं सदी के पहले दशक की बात है । दक्षिण अफ्रीका के एक स्टेशन पर रेलगाड़ी चलने के लिए तैयार खड़ी थी । एक भारतीय युवक पहले दर्जे के डिब्बे में सवार हुआ । तभी एक गोरा डिब्बे में दाखिल हुआ । हिंदुस्तानी आदमी को देखकर वह गोरा गुस्से में आ गया और चिल्लाने लगा - फौरन गाड़ी से उतर जाओ । हिंदुस्तानी युवक ने कहा कि मेरे पास पहले दर्जे का टिकट है । इतने में गाड़ी चल पड़ी । गोरे ने हिंदुस्तानी युवक को चलती गाड़ी से उठाकर बाहर फेंक दिया । तभी उस युवक ने संकल्प किया कि इस अन्याय और रंगभेद के खिलाफ़ जीवन-भर लड़ूँगा । इस युवक का नाम था - मोहनदास कर्मचंद गांधी ।
गांधी जी ने रंगभेद और अन्य अत्याचारों का विरोध करने के लिए दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन शुरूं किया । सत्याग्रही स्त्री-पुरुष शांतिपूर्ण तरीके से नारे लगाते हुए गलत कानूनों को तोड़ते थे, जेल जाते थे । एक बार की बात है, नेटाल के सत्याग्रह आश्रम में कुछ महिलाएँ और बच्चे रह गए थे । आश्रम के सभी पुरुष और कुछ महिलाएँ भी जेल में थीं । गांधी जी को इन बच्चों की शिक्षा के बारे में चिंता होने लगी । इन बच्चों में गुजराती और हिंदी भाषी बच्चों के अलावा बंगाली, तमिल और तेलुगु बोलने वाले बच्चे भी थे । गांधी जी ने देखा कि ये बच्चे खेलते समय हिंदी बोलते हैं । वे समझ गए कि भारत के भिन्न-भिन्न भाषा भाषियों को जोड़ने वाली भाषा हिंदी ही हो सकती है । वे उन्हें हिंदी के माध्यम से शिक्षा देने लगे ।
भारत लौटकर गांधी जी ने पूरे देश का भ्रमण किया । उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि देश के ज्यादातर हिस्सों में लोग आसानी से हिंदी समझ लेते हैं । जिन प्रदेशों में लोगों को हिंदी समझने में दिक्कत होती थी, गांधी जी ने वहाँ हिंदी प्रचार सभाओं की स्थापना की ।
हिंदी अपने देश की भाषा है । लोगों के अंदर स्वराज के लिए लड़ने की शक्ति तभी आ सकती है जब उनके मन में स्वभाषा और स्वदेशी के प्रति सम्मान का भाव हो, गांधी जी का यह पक्का विश्वास था । विदेशी सरकार यहाँ से कपास इंग्लैंड ले जाती थी और वहाँ की मिलें इससे कपड़ा तैयार कर हिंदुस्तान में बेचती थीं । इससे देशवासियों का पैसा विदेश चला जाता था । गांधी जी ने देश में चर्खे पर सूत कातने का अभियान चलाया । इससे गाँव के लोगों को रोज्रगार मिलने लगा और भारत का स्वाभिमान भी जाग उठा । गांधी जी के इशारे पर स्वराज के आंदोलन में कूदने के लिए लाखों नौजवान तैयार हो गए । इनमें महिलाओं की भी अच्छी संख्या थी । देश के इन नौजवानों, स्त्री-पुरुषों के त्याग और बलिदान से भारत को आज्रादी मिली । गांधी जी का यह मानना था कि इस अमूल्य स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए हमें स्वभाषा और स्वदेशी पर अभिमान करना चाहिए ।

पाठ - 51
हिंदी का महत्व
हिंदी पखवाड़े के अवसर पर इस बार अधिकारियों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय रखा गया "संघ की राजभाषा हिंदी ही क्यों ? " विषय बड़ा रोचक था इसलिए श्रोताओं से कांफ्रेस हाल पूरा भर गया ।
सबसे पहले " क " ने अपना पक्ष रखा, " आज संसार में कुल बारह भाषा परिवारों की भाषाएँ बोली और व्यवहार में लाईं जाती हैं । हमारे देश में बाईस भाषाएं संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज हैं ।
संविधान बनाने वालों ने यह ज्ररूंरी समझा कि देश में ऐसी भाषा होनी चाहिए, जिसे सब लोग आसानी से बोल-समझ सकें । इससे लोग एक-दूसरे के नजदीक आ सकेंगे, तब यह तय हुआ कि हिंदी को ही ऐसी भाषा का दर्जा दिया जाए । संविधान के अनुच्छेद 343 में यह कहा गया है कि संघ सरकार के कामकाज की भाषा देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी होगी । अंको के रूंप में " भारतीय अंकों " का अंतर्राष्ट्रीय रूंप प्रयुक्त होगा । इसी के साथ संविधान के अनुच्छेद 351 में यह कहा गया है कि हिंदी भाषा का प्रचार और विकास करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार पर होगी । हिंदी के विकास के लिए ज्ररूंरी होगा कि जहाँ भी आवश्यक हो, हिंदी अपनी शब्द संख्या बढ़ाने के लिए मुख्य रूंप से संस्कृत तथा गौण रूंप से अन्य भारतीय भाषाओं से शब्द ले सकेगी - इस प्रकार स्पष्ट है कि हिंदी को हमारे यहाँ एक ऐसी भाषा माना गया जिसे राष्ट्र के सब लोग बोल सकें और उसमें कामकाज कर सकें ।
इसके बाद " ख " ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किए, " हिंदी संघ के सरकारी कामकाज यानी विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका में प्रयुक्त होने वाली राजभाषा ही नहीं बल्कि भारत देश की राष्ट्रभाषा भी है । राजभाषा संघ सरकार अथवा राज्य सरकार के कामकाज की भाषा है । भारत संघ की राजभाषा जहाँ हिंदी है वहीं राज्य सरकारों की राजभाषा उनके राज्य में बोली जाने वाली भाषा होती है जैसे तमिलनाडु की राजभाषा तमिल है, कर्नाटक की कन्नड़, आंध्र प्रदेश की तेलगु, केरल की मलयालम है। इसी तरह अन्य राज्यों की भी अपनी-अपनी राजभाषाएँ हैं । लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब आदि राज्यों ने अपनी भाषा के साथ-साथ हिंदी को भी राजभाषा के रूंप में स्वीकार किया है । हिंदी का क्षेत्र बहुत व्यापक है । इसलिए हिंदी अपनाने से व्यावसायिक लाभ भी मिलता है । गाँधी जी ने कहा था - " समस्त भारत के लिए प्रांतीय भाषा या भाषाओं के स्थान पर नहीं, बल्कि उनके अतिरिक्त संपर्क भाषा के रूंप में एक समान भाषा होनी चाहिए, यह भाषा केवल हिंदी-हिंदुस्तानी ही हो सकती है । "
इसके बाद " ग " मंच पर आईं । उन्होंने कहा - " हिंदी भारत में ही नहीं, विदेशों में भी प्रचलित है । हिंदी के गाने और फ़िल्में भारत में ही नहीं, विश्व के कई देशों में लोकप्रिय हैं । भाषा शास्त्री कहते हैं कि यह विश्व की सरलतम भाषा है । देश के बाहर भी लोग बड़ी संख्या में हिंदी बोलते हैं । मॉरीशस, फ़िजी, सूरीनाम, त्रिनिदाद, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, थाइलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया, जापान, चीन, रूंस, अफगानिस्तान, आस्ट्रेलिया, यूरोप, पश्चिमी एशिया आदि देशों में हिंदी बोली जाती है । हिंदी विश्व के 50-60 विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूंप में पढ़ाई जाती है । बोलने वालों की संख्या के आधार पर हिंदी का विश्व में तीसरा स्थान है ।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिंदी ने एक कड़ी के रूंप में कार्य किया । हिंदी की अपरिमित क्षमता को पहचान कर महात्मा गांधी, महादेव गोविंद रानाडे, विनोबा भावे, राजगोपालाचारी, सुभाष चंद्र बोस, सुनीति कुमार चटर्जी आदि ने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है ।
यहाँ पर हमें गांधी जी की यह बात याद रखनी चाहिए कि जिस प्रकार दक्षिण वालों के लिए हिंदी सीखना जरूंरी है, उसी तरह हिंदी वालों को भी दक्षिण की भाषाएँ भी सीखनी चाहिए ।
अंत में " घ " ने कहा,- " हमारे उपनिषद कहते हैं : " भाषा के बगैर न सत्य को पहचाना जा सकता है, न असत्य को । न अच्छे गुणों को, न बुरे गुणों को । न सुख को पहचान सकते हैं, न दुख को । इन सबकी पहचान भाषा से होती है । इसलिए भाषा पर मनन करो । " मेरे विचार से किसी भी समाज को एकता के सूत्र में बाँधने का महत्वपूर्ण कार्य भाषा करती है । हिंदी देश को एकता के सूत्र में बाँधने की ताकत रखती है, इसलिए "हिंदी ही क्यों ? " का उत्तर स्वयं ही मिल जाता है ।
इस प्रतियोगिता में शामिल चारों अधिकारियों को पुरस्कृत किया गया ।





आवेदन पत्र का नमूना
आकस्मिक अवकाश के लिए
सेवा में
अवर सचिव (प्रशिक्षण)
गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग,
भारत सरकार, नई दिल्ली - 110003.

महोदय,
मुझे दो दिन से बुखार है इसलिए मैं कार्यालय आने में असमर्थ हूँ । कृपया मुझे दो दिन अर्थात् 14.6.2004 से 15.6.2004 का आकस्मिक अवकाश प्रदान करें ।
भवदीय,
ह /-
(क.ख.ग.)
दिनांक - 14.6.2004 नई दिल्ली सहायक
पता- ए/15, पंडारा रोड,


अन्य स्थितियाँ :
1. मुझे अपने बच्चे के प्रवेश के संबंध में विद्यालय जाना पड़ रहा है ।
2. मुझे अपने पिताजी की जाँच कराने हेतु डाक्टर के पास जाना है ।
3. मुझे घर की मरम्मत करानी है ।
4. मेरी पत्नी/मेरे पति कल दोपहर की गाड़ी से आ रही/रहे हैं, इसलिए मुझे उन्हें लेने के लिए स्टेशन जाना है ।
5. मुझे कल साक्षात्कार देने जाना है ।




कार्यालय में प्रयुक्त होने वाली नेमी टिप्पणियाँ -
नमूना - 1
1. आदेश के लिए ।
2. आवश्यक कार्रवाई के लिए ।
3. हस्ताक्षर के लिए ।
4. मसौदा अनुमोदन के लिए ।
5. अवलोकन/देखने के लिए ।
6. विचार के लिए ।
7. आदेश के लिए प्रस्तुत है ।
8. देरी के लिए खेद है ।
9. चर्चा कीजिए ।
10. कृपया बात करें ।
11. इसे फ़ाइल के साथ रखिए ।
12. सभी को दिखाकर इसे फ़ाइल कर दीजिए ।
13. मामला विचाराधीन है ।
14. संस्वीकृति/मंजूरी पत्र का मसौदा अनुमोदन के लिए प्रस्तुत है ।
15. प्रस्ताव अपने आप में स्पष्ट है ।

नमूना-2
1. सिफ़ारिश की जाती है ।
2. स्मरण-पत्र/अनुस्मारक भेजिए ।
3. मैं ऊपर "क" से सहमत हूँ ।
4. इसका हमारे विभाग से संबंध नहीं है ।
5. तत्काल सूचित कर दीजिए ।
6. आगे कोई कार्रवाई अपेक्षित नहीं है ।
7. उत्तर का मसौदा तैयार कीजिए ।
8. स्वच्छ प्रति हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत है ।
9. यथा प्रस्ताव अनुमोदित ।
10. इसका उत्तर आज ही भेजिए ।
11. पत्र संबद्ध विभाग को भेजा जा रहा है ।

नमूना-3
1. कृ. आदेश/अनुदेश (हिदायतें) दें ।
2. कृ. मामले पर आवश्यक कार्रवाई करें ।
3. कृ. व्यय के लिए मंजूरी/संस्वीकृति प्राप्त करें ।
4. कृपया पावती/प्राप्ति सूचना भेजें ।
5. देख लिया, धन्यवाद ।
6. कृ. चर्चा के अनुसार टिप्पणी तैयार करें ।
7. टिप्पणी से सहमत हूँ । आदेश जारी करें ।
8. इसे सचिव के पास भेजना ज्ररूंरी है/नहीं है ।
9. इस आदेश को सभी को दिखा कर फ़ाइल कर दीजिए ।

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