Sep 30, 2013

इनसे शिकायत करूँ भी तो कैसे ?


इनसे शिकायत

करूँ भी तो कैसे

ये मेरे नहीं हैं

न हैं मेरे जैसे

इनसे शिकायत

करूँ भी तो कैसे

- अजय मलिक

देखो वो दुनिया बदलने चले हैं


बहुत इतराते हैं

अपनी चतुराई पर

बहुत खुश होते हैं

हर इक बुराई पर

वो बदचलनी से  

दुनिया बदलने चले हैं

देखो वो दुनिया

बदलने चले हैं

-अजय मलिक

आओ जमकर झूठ बोलें


आओ

जमकर

झूठ बोलें

और जब तक

वह सच न लगे

तब तक

बोलते रहें

जब ये शरीर

नश्वर ही है

तो फिर

मरने तक

जितना हो सके

आओ

जमकर झूठ बोलें

-अजय मलिक


 

यहाँ हर सुबह रात आई है...


यहाँ हर सुबह

रात आई है

कालिख भरे

उजाले ने

अँधेरे की

इज्जत बचाई है

न हाथों में

राखी बंधवाई है

न माथे पर

बिंदी लगवाई है 

फिर भी

बस नाम के

उजाले ने

अपने भाई की

खातिर

आठों पहर

अंधेरे की

सलामती की

कसम खाई है

खुद पर

खुद ही कितनी 

कालिख लगाई है 

- अजय मलिक (c)

Sep 18, 2013

उनकी कोई जाति नहीं है

दरिंदगी का शिकार
कौन है?
जो भी दलित है

दलित कौन है?
जो भी है
दरिंदगी का शिकार

शिकार और शिकारी कौन हैं ?
जो भी हैं
आदमी हैं
उनकी कोई जाति नहीं है

जो जाति की बात करता है

दरिंदा है ।  

-अजय मलिक (c)

Sep 14, 2013

मैं हिंदी हूँ


आओ हिंदी दिवस मनाएँ

आओ हिंदी दिवस मनाएँ
आओ हिंदी को अपनाएं
हिंदी से दफ्तर चमकाएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ

 
भेजें चिट्ठी या अनुमान
हिंदी में हों सारे काम
जग भर में हिंदी फैलाएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ

 
आज्ञा, टिप्पण या आलेख
हिंदी में हों सब अभिलेख
हिंदी का परचम लहराएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ


हिंदी में ईमेल करें  हम
सारे जग से मेल करें हम
हिंदी को अभिमान बनाएँ  
आओ हिंदी दिवस मनाएँ

 
हिंदी में पैगाम लिखेंगे
हिंदी में ही नाम लिखेंगे
आओ इसकी कसम उठाएँ
आओ हिंदी दिवस मनाएँ


 - अजय मलिक (c)
 

Sep 10, 2013

हिंदी दिवस पर माननीय गृह मंत्री जी का संदेश


Sep 9, 2013

हिन्दी सीखने के लिए एक और लिंक

कृपया इसे भी परखें-


सभी को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ ... इस अवसर पर प्रस्तुत हैं गिरधर की कुंडलियाँ (भारत कोश के सौजन्य से)

दौलत पाइ न कीजिए सपने में अभिमान...

दौलत पाइ न कीजिए सपने में अभिमान
चंचल जल दिन चार को ठांव न रहत निदान
ठांव न रहत निदान जियत जग में जस लीजै
मीठ वचन सुनाय विनय सब ही की कीजै
कह गिरधर कविराय अरे यह सब घट तौलत
पाहुन निसि दिन चारि, रहत सबही के दौलत।

Sep 5, 2013

. . हिन्दी साहित्य- सीमांचल. . शिक्षक दिवस पर एक शिक्षक को शुभकामनाएँ

यूंही कुछ तलाश रहा था और यह अच्छी साइट मिल  गई । बहुत सामग्री है इस पर,  जरूर लाभान्वित हों ।

हिन्दी साहित्य- सीमांचल


अपने सभी गुरुजनों को प्रणाम के साथ लैपटॉप चार्जर पर कुछ

पिछले सप्ताह बड़ी ही अप्रिय स्थिति में एक 'कंप्यूटर पर हिन्दी और भारतीय भाषाएँ' विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में इरोड जाना पड़ा। जाते समय एसी शयनयान में सामने की सीट पर विराजमान बंधु दारू के नशे में धुत ओर उल्टियाँ करने में मस्त ने खूब अस्त-व्यस्त-त्रस्त किया। रात को 50 रुपए वाले बिना चालू एसी के अतिथिगृह में मच्छरों के साथ चली लंबी लड़ाई के बाद आखिर सुबह हुई। कार्यक्रम 10 से 1 बजे तक था मगर आयोजकों के आग्रह पर 4 बजे तक बढ़ा दिया गया। यह जानकर अच्छा लगा कि लोग जानना चाहते हैं। शाम सवा पाँच बजे रेलगाड़ी पकड़नी थी तो अपने लैपटॉप के बैग को कंधे पर लादे गाड़ी में सवार हो गया। सोचा एसी डिब्बे के अनेक फ़ायदों (?) में से कुछ का आनंद मुझे भी उठाना चाहिए। लैपटॉप का चार्जर प्लग में लगा दिया। थोड़ी देर बाद चार्जर आहिस्ता से चरम निंद्रा में चला गया। लैपटॉप बंद कर दिया। रात लगभग सवा ग्यारह बजे चेन्नई सेंट्रल पर उतरा। बाहर निकला तो तेज़ बारिश शुरू हो गई। अच्छी तरह भीग-भाग कर घर पहुंचा।