Apr 18, 2011

टूटी दुकान में बड़ी तिजोरी है

टूटी फूटी सी दुकान में
चोरों ने देखा-
बड़ी सी एक तिजोरी में
बड़ा मजबूत सा ताला पड़ा है।

हैरान से हँसकर वे बोले-
गुरु घंटाल हैं बड़े
बेशर्म हैं जिनसे पाला पड़ा है।

ये खुरदरे चेहरे बड़े बे-रौनक सही
मगर हैं मगर
अंदर बड़ा घोटाला पड़ा है।

इस पुरानी
रेजगारी पर मत जाइए
तनिक घिसे सिक्कों को
परे सरकाइए

फिर देखिए
कितना बे-हिसाब और
बे-शुमार है
जो काला पड़ा है।

टूटी दुकान में बड़ी तिजोरी है
और तिजोरी में ताला पड़ा है।
-अजय मलिक
03-05-1985, प्रात: 9.00 बजे

बरस, दो-चार बरस

बरस, दो-चार बरस
वेदना-फुहार बरस
ज़ख्मों को छील-छील
प्रीत की पुकार बरस

चल कहीं दूर चलें
बरस दो चार बरस
भूल जाएं बीते सब
बरस दो चार बरस

आह से छलक-छलक
बीती बहार बरस
जीवन को लांघ कर
सपनों के पार बरस

पलकों की कोर छोड़
आंसू की धार बरस
हो सके तो बार-बार
और बहुत बार बरस

-अजय मलिक 
(01 -03 -1988) प्रात:

Apr 10, 2011

ए सी की सीली सीली सी हवा में

अब भी बहुत याद आता है
वह पुराना घर
वह घेर का ओसारा
बकांद के  पेड़ तले  बनी
गाय की खोर।

वह चौमासे की टपकती रात में
बिन बारिश भी
घंटों बरसती छान।

बूढ़े बाबा की बुनी वह खाट
और उसके बान, पायतें
वह हुक्का-गुडगुडी-चिलम
और दहकते अंगारे।

कोल्हू की वह रात-रात भर चलती जोटें
ताजे गुड की महक और
खोई की भट्टी का वह धुंआधार अलाव।

कुंडीवाले कुएं पर तपती दुपहरी में
घंटों डुबकियां लगाना - नहाना  
हरट के पतनाले की धार की गुलगुलियाँ,

वाह क्या खूब थी वह भी
हमारी जिंदादिल
चालीस साल पुरानी दुनियाँ।

अब पचास के चेहरे पर
सदाबहार तने तनाव के बीच
ए सी की सीली सीली सी हवा में
ये यादें  पुरवाइयां भर जाती हैं...

- अजय  मलिक  

Apr 7, 2011

दो अच्छी गज़लें

 (१)  
अजनबी देश है यह, जी यहाँ घबराता है
कोई आता है यहाँ पर न कोई जाता है

जागिए तो यहाँ मिलती नहीं आहट कोई,
नींद में जैसे कोई लौट-लौट जाता है

होश अपने का भी रहता नहीं मुझे जिस वक्त
द्वार मेरा कोई उस वक्त खटखटाता है

शोर उठता है कहीं दूर क़ाफिलों का-सा
कोई सहमी हुई आवाज़ में बुलाता है

देखिए तो वही बहकी हुई हवाएँ हैं,
फिर वही रात है, फिर-फिर वही सन्नाटा है

हम कहीं और चले जाते हैं अपनी धुन में
रास्ता है कि कहीं और चला जाता है

दिल को नासेह की ज़रूरत है न चारागर की
आप ही रोता है औ आप ही समझाता है ।
                                             -सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
(२)
अगर आप होते भुलाने के क़ाबिल,
तो होते कहां दिल लगाने के क़ाबिल !

वो वादा तुम्हारा , भरोसा हमारा ,
लगे कब हमें टूट जाने के क़ाबिल !

बसी है जो आंखों में तस्वीर तेरी ,
नहीं आंसुयों से मिटाने के क़ाबिल !

अँधेरे जुदाई के कुछ कम तो होते ,
जो होते तेरे ख़त जलाने के क़ाबिल !

मुहब्बत की शायद हक़ीक़त यही है ,
कि शै है ये सपने सजाने के क़ाबिल !

सनम मुझ को मंज़ूर मरना ख़ुशी से ,
बने मौत लेकिन फ़साने के क़ाबिल !

                                            -मधुभूषण शर्मा 'मधुर'


(कविता कोश के सौजन्य से) 

Apr 4, 2011

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ




नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। नवरात्रि संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें । यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शारदीय नवरात्रि, दूसरा है चैत्रीय नवरात्रि। नवरात्रि के नौ रातो में तीन हिंदू देवियों - पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हे नवदुर्गा कहते हैं ।

नौ देवियाँ है :-


श्री शैलपुत्री

श्री ब्रह्मचारिणी

श्री चंद्रघंटा

श्री कुष्मांडा

श्री स्कंदमाता

श्री कात्यायनी

श्री कालरात्रि

श्री महागौरी

श्री सिद्धिदात्री

शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की । तब से असत्य, अधर्म पर सत्य, धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं । नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।

नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं।

( उपर्युक्त पाठ  विकिपीडिया से साभार लिया गया है. विस्तृत पाठ संलग्न लिंक 

नवरात्रि 

 से से प्राप्त  किया जा सकता है  )



Apr 2, 2011

अब लीला पाठ्यक्रमों के साथ मॉडल ऑनलाइन परीक्षा भी


राजभाषा विभाग ने लीला हिंदी प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ पाठ्यक्रमों की ऑनलाइन परीक्षा के परीक्षार्थियों की सुविधा के लिए अब अपनी वेबसाईट http://www.rajbhasha.gov.in/ पर उपर्युक्त लीला पाठ्यक्रमों के साथ मॉडल ऑनलाइन परीक्षा भी उपलब्ध करा दी है। इस मॉडल परीक्षा का लिंक लीला पाठ्यक्रमों के पंजीकरण पृष्ठ पर दिया गया है। इस प्रयास से राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार में अवश्य ही प्रगति होगी।
हिंदी सबके लिए परिवार की और से साधुवाद।


(राजभाषा विभाग के सौजन्य से)

Apr 1, 2011

बहुवचन

निम्नलिखित शब्दों के बहुवचन बताएं -

१. चौथाई
२. आधा
३. तिहाई
४. पौना


( एक अप्रेल पर विशेष )