Sep 11, 2009

विजयवाड़ा से श्री हितेंद्र धूमाल

आदरणीय मलिक साहब

आपके और श्रीमती प्रतिभा मलिक द्वारा प्रस्तुत "हिंदी सबके लिए" साइट का अवलोकन किया। हिंदी भाषा की उन्नति के लिए जो कर गुजरने की आपकी तमन्ना थी, उसका सार्थक परिणाम आपकी इस साइट में पूरी तरह से सामने आया है। मैं जहां तक समझता हूं, हिंदी भाषा, साहित्य, और इनसे जुड़ी समग्र गतिविधियों को पूरी तरह से एक साथ प्रस्तुत कर जो समग्रता और सहजता आपने प्रदान की है, वह अतुलनीय है। ऎसा लगता है सभी भाषायी धाराओं को आपने हिंदी की नद में समाहित कर दिया है। आपके इस क्रांतिकारी कदम से अब तो एक ही विकल्प रह जाता है कि अगर आपको हिंदी से संबधित कुछ भी जानना हो तो आपको केवल "हिंदी सबके लिए" ही क्लिक करना पड़ेगा।
हिंदी के क्षेत्र में मंच पर खड़े होकर बड़े-बड़े लोगों को बड़ी-बड़ी बातें करते हुए मैंने बहुदा देखा है, लेकिन मंच से उतरने के पश्चात वास्तविकता के धरातल पर उन्हें ही जो कि वाकई में कुछ कर गुजरने में सक्षम होते हैं, अपनी कही गईं बातों से पलटते हुए भी देखा है.. पर ऎसे बिरले लोग भी होते हैं जो अपनी सक्षमता से भी बढकर सभी चुनौतियों को स्वीकार कर यथार्थता के धरातल पर रहकर अपना सर्वस्व हिंदी की सेवा में तर्पण कर देते है, और ऎसा ही एक व्यक्त्तित्व मलिकजी आपका हैं। मैं अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ऎसे ही एक व्यक्तित्व के साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। दो पंक्त्तियां आपको समर्पित करना चाहूंगा-
जमाने ने दी है ठोकरें हमें यारों
पर फिर भी शिकस्त हमें कबूल नहीं

कहते है हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला अवश्य होती है, पर यह आपका सौभाग्य है मलिक जी कि वो महिला आपके पीछे नहीं बल्कि आपके कदमों से कदम मिलाकर चल रही है। निसंदेह इस प्रस्तुति के श्रेय की वास्तविक हकदार वे ही हैं।
साइट की सामग्री के साथ ही इसकी प्रस्तुति एकदम सहज, सरल और अत्यंत आकर्षक है। मेरा विश्वास है कि अत्यंत अल्प समय में ही यह प्रत्येक हिंदी प्रेमी की पहली पसंद बन जाएगी।
ससम्मान
हितेन्द्र धूमाल
उपमुख्य अधिकारी-राजभाषा
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, विजयवाडा

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