Nov 22, 2013

तेरे मारने से


अगर तुझे लगता है

कि तेरे मारने से

मैं मर जाऊंगा

तो तुझे पहले

उस भगवान को

मारना होगा

जिसे तू

मानता ही नहीं है

क्योंकि मेरी मौत

तेरे हाथों में

तभी आ सकती है

जब तू भगवान को

मारकर

उसकी जगह भी

हथिया ले  

और इसके लिए

तुझे भगवान को

न सिर्फ

मानना होगा

बल्कि जानना भी होगा

इतनी समझ

और सामर्थ्य

तुझमें नहीं है

मैं ये अच्छी तरह

जानता हूँ  
 
फिर तेरे मारने से
 
........................?

-अजय मलिक (c)

Nov 10, 2013

बंदूकों में बाक़ी है क्या एक भी गोली बाबू जी

(पेश है गुरुवर डॉ कुँवर बेचैन की एक गजल )

प्यासे होठों से जब कोई झील न बोली बाबू जी
हमने अपने ही आँसू से आँख भिगो ली बाबू जी

फिर कोई काला सपना था पलकों के दरवाजों पर
हमने यूं ही डर के मारे आँख न खोली बाबू जी

भूले से भी तीर चला मत देना ऐसे कंधों पर
जिन कंधों पर, हो अंधे माँ-बाप की डोली बाबू जी

यह मत पूछो इस दुनिया ने कौन से अब त्योहार दिये
दी हमको अंधी दीवाली, खून की होली बाबू जी

दिन निकले ही मेहनत के घर हाथ जो हमने भेजे थे
वो ही खाली लेकर लौटे शाम को झोली बाबू जी

हम पर कितने ज़ुल्म हुए हैं कौन बताए दुनिया को
बंदूकों में बाक़ी है क्या एक भी गोली बाबू जी

वो भी अपनी आँखों में नाखून ही लेकर बैठे थे
दिखने में जिनकी सूरत थी बहुत ही भोली बाबू जी

ये कह-कहकर कल हमको सारी खुशियाँ मिल जाएंगीं
करते रहते हो क्यों हमसे रोज़ ठिठोली बाबू जी

उसमें कुछ टूटे सपने थे, कुछ आहें ,कुछ आँसू थे
जब-जब भी हमने ये अपनी जेब टटोली बाबू जी

अबकी बार तो राखी पर भी दे न सकी कुछ भैया को
अब उसके सूने माथे पर सिर्फ है रोली बाबू जी

-कुँअर बेचैन-

(कुँअर बेचैन के 'आंधियो धीरे चलो' नामक संग्रह से)"


फेस बुक से साभार

Nov 2, 2013

सभी को दिवाली की शुभकामनाएँ