Mar 9, 2025

एक बात…दो बात

एक बात...

दो बात,

तीन बात...

बहुत सारी बातें हैं 

कहने, सुनने के लिए।

मगर अजीब गफ़लत है-

कहने वाले की 

कोई सुनता नहीं ।

सुनने वाले से 

कोई कहता नहीं ।

सारा शहर सुनसान सा शान्त है।

फिर भी हर ओर घोर अशान्ति है...

अराजकता के खुले मुँह में 

रसगुल्ला नीरस होकर

बेबस पड़ा है, 

निठल्लापन 

बक-बक करता

मस्त खड़ा है...

बेचारा आदमी

ज़हरीली हवा से

धुले आसमान में 

कुछ ढूँढ रहा है ।

-अजय

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