वो मीत जो मिले नहीं,
वो गीत जो सुने नहीं,
वो फूल जो खिले नहीं,
वो शूल जो चुभे नहीं,
वो होंठ जो हिले नहीं.. !
क्यूँ , दिल धडकाते हैं !
क्यूँ, याद बहुत आते हैं ?
-अजय मलिक
वो मीत जो मिले नहीं,
वो गीत जो सुने नहीं,
वो फूल जो खिले नहीं,
वो शूल जो चुभे नहीं,
वो होंठ जो हिले नहीं.. !
क्यूँ , दिल धडकाते हैं !
क्यूँ, याद बहुत आते हैं ?
-अजय मलिक
No comments:
Post a Comment