"खंडहर - टूटी हुई ईमारत, खंडेर क्या है पता नहीशहर - शहर तो शहर जहाँ आबादी रहती है लेकिन शेर तो एक जानवर है। महल एक आलीशान महल होता है जबकि मेल मिलन होता है। पहल की जाती है लेकिन चाकू पेल दी जाती है। कमीज
पहन ली जाती है लेकिन पेन से लिखी जाती है। बहरा कुछ सुन नही सकता पर बेरा क्या है नही जानता। सहज यानि आसान लेकिन सेज तो सुहाग की सेज जैसी होती है। गहरा तो कुँआ होता है लेकिन गेरा पंजाबी टाइटल होता है, पहरा तो पुलिस देती है लेकिन पेरा/पैरा एक पैराग्राफ को कहा जाता है। लहर समुद्र की ऊँची उठती है लेकिन लेर न जाने क्या होती है। रहना यानि हम घर में रहते है लेकिन रैना बीत जाती है। चहल यानि चहल पहल लेकिन चैल पता नही क्या होता है। जहर खाके मरना नही है लेकिन जैर का अर्थ क्या पता नही।"
अजय मलिक की प्रतिक्रया -
कुछ लोगों का मानना है कि यदि किसी हिंदी शब्द में "ह " के दोनों ओर "अ" स्वर है तो तथाकथित हिन्दी उच्चारण के नियमों (?) के अनुसार "ह", "ए " में बदल जाता है। ऐसी स्थिति में शहर को जंगली जानवर शेर हो जाना पड़ेगा कि नहीं ? महल को मेल बन जाने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प बचेगा क्या ...??
इसी तर्ज़ पर कुछ और भी शब्द पेश हैं -पहन ली जाती है लेकिन पेन से लिखी जाती है। बहरा कुछ सुन नही सकता पर बेरा क्या है नही जानता। सहज यानि आसान लेकिन सेज तो सुहाग की सेज जैसी होती है। गहरा तो कुँआ होता है लेकिन गेरा पंजाबी टाइटल होता है, पहरा तो पुलिस देती है लेकिन पेरा/पैरा एक पैराग्राफ को कहा जाता है। लहर समुद्र की ऊँची उठती है लेकिन लेर न जाने क्या होती है। रहना यानि हम घर में रहते है लेकिन रैना बीत जाती है। चहल यानि चहल पहल लेकिन चैल पता नही क्या होता है। जहर खाके मरना नही है लेकिन जैर का अर्थ क्या पता नही।"
अजय मलिक की प्रतिक्रया -
कुछ लोगों का मानना है कि यदि किसी हिंदी शब्द में "ह " के दोनों ओर "अ" स्वर है तो तथाकथित हिन्दी उच्चारण के नियमों (?) के अनुसार "ह", "ए " में बदल जाता है। ऐसी स्थिति में शहर को जंगली जानवर शेर हो जाना पड़ेगा कि नहीं ? महल को मेल बन जाने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प बचेगा क्या ...??
रहट, अहम , रहम , सहम , सहर्ष, सहला , नहला , पहला, दहला , टहल , सहन
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