'शाइरी' के सौजन्य से तीन बेहतरीन ग़ज़लें पेश हैं
1
तुमने तो कह दिया कि मोहब्बत नहीं मिली
मुझको तो ये भी कहने की मोहलत नहीं मिली
नींदों के देस जाते, कोई ख्वाब देखते
लेकिन दिया जलाने से फुरसत नहीं मिली
तुझको तो खैर शहर के लोगों का खौफ था
और मुझको अपने घर से इजाज़त नहीं मिली
फिर इख्तिलाफ-ए-राय की सूरत निकल पडी
अपनी यहाँ किसी से भी आदत नहीं मिली
बे-जार यूं हुए कि तेरे अहद मैं हमें
सब कुछ मिला, सुकून की दौलत नहीं मिली
- नोशी गिलानी
2
वोह दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ खुदा न करे
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िंदगी बन कर
यह और बात, मेरी ज़िंदगी वफ़ा न करे
यह ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
खुदा किसी से किस्सी को मगर जुदा न करे
सूना है उसको मोहब्बत दुआएं देती है
जो दिल पे चोट तो खाए मगर गिला न करे
बुझा दिया है नसीबों ने मेरे प्यार का चांद
कोई दिया मेरी पलकों पे अब जला न करे
ज़माना देख चुका है परख चुका है उसे
कतील जान से जाये पर इल्तिजा न करे
-क़तील शिफाई
3
काम सब गैर-ज़रूरी हैं जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं, ग़ज़ब करते हैं
हम पे हाकिम का कोई हुक्म नहीं चलता है
हम कलंदर हैं, शहंशाह लक़ब करते हैं
आप की नज़रों में सूरज की है जितनी अजमत
हम चिरागों का भी उतना ही अदब करते हैं
देखिये जिसको उसे धुन है मसीहाई की
आजकल शहरों के बीमार मतब करते हैं
-राहत इन्दौरी
Nov 19, 2010
'वोह दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे' -तीन बेहतरीन गज़लें
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
at
11/19/2010 10:37:00 PM
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