हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ य'अनी
हमारे दोस्तों के बे-वफ़ा होने का वक़्त आया
-पंडित हरि चंद अख़्तर
दिल को पत्थर कर देने वाली यादो
अब अपना सर इस पत्थर से फ़ोड़ो मत
-अमीक़ हनफी
ग़ैरों से कहा तुमने, ग़ैरों से सुना तुमने
कुछ हमसे कहा होता, कुछ हमसे सुना होता
-चिराग़ हसन हसरत
इन्ही कदमों ने तुम्हारे, इन्ही कदमों की क़सम
ख़ाक में इतने मिलाये हैं कि जी जानता है
-मिर्जा दाग़ देहलवी
वोह बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वोह बात उनको बोहत नागवार गुजरी है
-फैज़ अहमद फैज़
लुट गया वोह तेरे कूचे में रखा जिसने क़दम
इस तरह की भी कहीं राह्ज़ानी होती है
-हफीज़ जौनपुरी
हर क़दम पर नित नये सांचे में ढल जाते हैं लोग
देखते ही देखते कितने बदल जाते हैं लोग
-हिमायत अली शाएर
समन्दरों को भी हैरत हुई कि डूबते वक़्त
किसी को हमने मदद के लिए पुकारा नहीं
-इफ्तिखार आरिफ
परियों के देस वाली कहानी भी ख़ूब थी
बच्चों को जिसने फिर यूं ही भुखा सुला दिया
-इजलाल मजीद
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
-जोन एलिया
हवाएं ज़ोर कितना ही लगाएं आंधियां बन कर
मगर जो घिर के आता है वो बादल छा ही जाता है
मुझको तो होश नहीं, तुम को खबर हो शायद
लोग कहते हैं कि तुमने मुझको बरबाद किया
-जोश मलीहाबादी
किसी भी मोड़ पर तुमसे वफ़ा-दारी नहीं होगी
हमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी
तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी
इससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था
-मुनव्वर राणा
दोस्त तो खैर, कोई किस का है
उसने दुश्मन भी न समझा, लोगो
-परवीन शाकिर
हो खुशी भी उनको हासिल ये ज़रूरी तो नहीं
गम छुपाने के लिए भी मुस्कुरा लेते हैं लोग
-क़तील शिफाई
बस एक शाम हमें चाहिए न पूछना क्यूँ
यह बात और किसी शाम पे उठा रखना
-ज़फर इकबाल
Nov 19, 2010
'शाइरी' के सौजन्य से पेश हैं कुछ शायरों के चुनिंदा शे'र
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
at
11/19/2010 10:49:00 PM
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