कुछ मित्रों को किसी तकनीकी कारण से केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान की लीला हिंदी प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ ऑनलाइन परीक्षाओं की मॉक परीक्षा के लोगिन में कठिनाई आ रही है। उनकी सुविधा के लिए राजभाषा विभाग द्वारा अपनी वेबसाइट www.rajbhasha.gov.in सीधा लिंक दिया जाना उपयोगी रहेगा.
Jul 29, 2010
प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ ऑनलाइन परीक्षाओं की मॉडल परीक्षा
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हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/29/2010 07:51:00 PM
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हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के लिए कुछ और भी
समय हो तो यूनीकोड के मामले में इन्हें भी देख सकते हैं-
Indian Languages
Processor
Cafe Hindi Unicode Typing Tool 1
Download
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Cafe Hindi Unicode Typing Tool 1
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Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/29/2010 11:10:00 AM
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हिंदी यूनीकोड के लिए ज़रा इन्हें भी आजमाइए
कुछ लिंक्स नीचे दिए जा रहे हैं। इनकी उपयोगिता के बारे में आप स्वयं इन्हें आजमाकर देखें। इनमें कुछ का दावा है कि विन्डोज़ 98 में भी वे हिंदी यूनीकोड सक्रिय करने में सक्षम हैं। हमारे किसी भी सिस्टम में फिलहाल विन्डोज़ 98 ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है, साथ ही यह मूल्याधारित है यानी निशुल्क नहीं है। इस परिस्थिति में हम यह आप पर छोड़ते हैं कि इनका परिक्षण आप करना चाहते हैं या नहीं।
गोपी का यूनिकोड कन्वर्टर लगभग इंडिक ट्रांसलिटिरेसन की तरह है। एक और विकल्प हो तो क्या बुरा है!
Gopi's Unicode Hindi Converter - Kamaraj 3.0
DevaNagari Unicode Software - Sugam
It facilitates easy entry of Unicode encoded Nagari in Windows 98.
DevaNagari (Hindi)Fonts
Sugam-2K
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हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/29/2010 10:00:00 AM
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Jul 26, 2010
बोलचाल की हिंदी क्रेज़ी लस्सी हिंदी lessons के सौजन्य से
कुछ प्रूफ की त्रुटियाँ हमारे ब्लॉग में अक्सर रह जाती हैं। कई बार इन्हें बार-बार सही करना पड़ता है। इन्हें यदि क्षम्य माना जा सके तो नीचे दिए गए CrazyLassi HINDI lessons के पाठों के लिंक्स बोलचाल की हिंदी सीखने में बहुत उपयोगी हो सकते हैं-
some very useful links for spoken hindi lerners are given bellow from CrazyLassi HINDI LESSONS-
ABSTRACT NOUNS
ADJECTIVES
Adverbs
AGE
ANIMALS
BAD WORDS
CLOTHES
COLORS
COLORS
DAYS OF THE WEEK
CrazyLassi HINDI LESSONS एवं www.learnhindifree.blogspot.com के सौजन्य से
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ABSTRACT NOUNS
ADJECTIVES
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BAD WORDS
CLOTHES
COLORS
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DAYS OF THE WEEK
CrazyLassi HINDI LESSONS एवं www.learnhindifree.blogspot.com के सौजन्य से
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/26/2010 12:28:00 PM
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एक साल बाद
आज 'हिंदी सबके लिए' को एक साल हो गया। पहली पोस्ट याकि चिट्ठा या लेख पिछले वर्ष आज ही के दिन यानी 26 जुलाई को ही हमने प्रकाशित किया था। इस एक साल में क्या खोया और क्या पाया, इसका हिसाब लगाना तो मुश्किल है। एक ओर माननीय संसदीय राजभाषा समिति की सराहना, पाठकों, मित्रों का स्नेह...
दूसरी ओर तरह-तरह की ढ़ेर सारी बातें, जिनमें ज्यादातर निराशा पैदा करने वाली थीं... बहुत सारी तरेरती आँखें जिनमें एक अजीब सा ईर्ष्या और नफ़रत का मिला-जुला भाव...नकारने की हज़ारों कोशिशों के बीच, बेहद हतोत्साहित करने वाली परिस्थितियों के बीच हम हिंदी के सहारे एक साल तक डटे रहने में तो कामयाब हो गए, आगे ईश्वर इच्छा और उन इंसानों की भी जो ईश्वर से बस थोड़ा सा ही स्वयं को कम मानते हैं और कभी-कभी ईश्वर से बड़े होने की गफलत में भी वे कुछ न कुछ तो अर्थ का अनर्थ अवश्य ही करते हैं।
हमने आपके इस ब्लॉग में तीन विज़ेट लगाए हुए हैं यह जानने के लिए कि क्या कोई इसे देख-पढ़ भी रहा है या फिर हम भी सिर्फ अपने ख्याली पुलावों के सहारे जी रहे हैं। तीनो विज़ेट का औसत निकालने पर पता चला कि पिछले 365 दिनों में विश्व भर से प्रतिदिन औसतन 36 सर्वरों ने हिंदी सबके लिए से संपर्क साधा। इस अवधि में हमने विविध विषयों पर 334 पोस्ट प्रकाशित कीं। लगभग 75 टिप्पणियाँ भी मिलीं। लगभग 2350 लोगों नें प्रोफ़ाइलें देखीं। 31 मित्रों ने हिंदी सबके लिए का अनुसरण किया।
यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है मगर लंबे रास्ते पर आगे बढ़ने और बढ़ते जाने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा चाहिए वह तो इसमें अवश्य ही मौजूद है। आपके स्नेह, प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करना तो पर्याप्त नहीं है मगर इसके सिवाय कुछ है भी तो नहीं। आशीर्वाद बनाए रखें और हमें साहस दें कि ब्लॉग के साथ हम वेबसाइट भी अच्छे से शुरू कर सकें।
-प्रतिभा मलिक -अजय मलिक
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/26/2010 08:35:00 AM
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Jul 24, 2010
इस हवा से क्या कहूँ?
(अजय मलिक की एक नई कविता )
ये हवा ...
मदहोशी से पुर ज़ोर बहती
इस हवा से क्या कहूँ?
भूली दिशा, दर्शन, वतन
परदेश में घर छोड़ आई
सीधी गली के मोड़ पर
सन-सना-सन सनसनाती
समंदर से मुँह मोड़ सूखी
इस हवा से क्या कहूँ?
लोभ से लब तक लबालब
झूठ का परचम उठाए
रात दिन दम ठोकती
और दनदनाती दसोंदिश
बौखलाहट से भरी, रीती
सिकुडती, काँपती थर-थर
थकी-हारी, अवश फुंकारती
इस हवा से क्या कहूँ?
मैं कौन!!
मैं समंदर, आ गले मिल ।
ले नशीले मेघ,
ले जाकर इन्हें,
भर दे धरा की गोद
और फिर झूम,
रूम-झुम नाचती मखमल भरी,
उन क्यारियों में ।
कोयलों की कूक से
भर जाएगा हर छोर।
गति मोड़कर हट छोड़
बन पुरवा सहला पलक के पोर
मैं समंदर, आ गले मिल...
अरे ए हवा .
ये हवा ...
मदहोशी से पुर ज़ोर बहती
इस हवा से क्या कहूँ?
भूली दिशा, दर्शन, वतन
परदेश में घर छोड़ आई
सीधी गली के मोड़ पर
सन-सना-सन सनसनाती
समंदर से मुँह मोड़ सूखी
इस हवा से क्या कहूँ?
लोभ से लब तक लबालब
झूठ का परचम उठाए
रात दिन दम ठोकती
और दनदनाती दसोंदिश
बौखलाहट से भरी, रीती
सिकुडती, काँपती थर-थर
थकी-हारी, अवश फुंकारती
इस हवा से क्या कहूँ?
मैं कौन!!
मैं समंदर, आ गले मिल ।
ले नशीले मेघ,
ले जाकर इन्हें,
भर दे धरा की गोद
और फिर झूम,
रूम-झुम नाचती मखमल भरी,
उन क्यारियों में ।
कोयलों की कूक से
भर जाएगा हर छोर।
गति मोड़कर हट छोड़
बन पुरवा सहला पलक के पोर
मैं समंदर, आ गले मिल...
अरे ए हवा .
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7/24/2010 07:35:00 PM
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Jul 21, 2010
हम धान की पौध से गेहूँ उगाएंगे...
(अशिष्ट जी फिर मुखातिब हैं एक तथाकथित नई कविता के साथ )
हम धान की पौध से गेहूँ उगाएंगे
गन्ने के रस से नई रूई बनाएंगे
गुड़ से बनेंगे कपड़े जलेबीदार
जई से बनेगी रबड़ी जायकेदार
चोर होंगे हमारे नए चौकीदार
सब काम हम नए ढंग से कराएंगे
अपने मुताबिक़ नई दुनिया बनाएंगे
भगवान से कहेंगे- रुको भागो नहीं
स्वर्ग में भी जल्द हम झाडू लगाएंगे
हम धान की पौध से गेहूँ उगाएंगे
गन्ने के रस से नई रूई बनाएंगे
गुड़ से बनेंगे कपड़े जलेबीदार
जई से बनेगी रबड़ी जायकेदार
चोर होंगे हमारे नए चौकीदार
सब काम हम नए ढंग से कराएंगे
अपने मुताबिक़ नई दुनिया बनाएंगे
भगवान से कहेंगे- रुको भागो नहीं
स्वर्ग में भी जल्द हम झाडू लगाएंगे
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7/21/2010 01:12:00 PM
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Jul 19, 2010
जो खोया जब उसकी भरपाई नहीं तो जो पाया उसकी तुलना क्या होगी
इस ख़ुशी को कैसे अभिव्यक्त करूँ !!
इस ख़ुशी की नींव जिन ग़मों पर रखी गई , उन्हें कैसे भुलाऊं... आज अगर वह होती तो थोड़ी बहुत गालियाँ सुनाकर हँसती...फिर दो-चार ताने देती और फिर हँसती, गर्व से गर्दन तानकर कहती- देख ले भैया, मैंने कर दिखाया यह भी। मैं उसकी गालियाँ सुनकर हँसता और उसे थोड़ा सा और चिढ़ाता ताकि वह कुछ और गालियाँ दे सके और फिर हँसे।
बचपन की यादें... उन यादों में उसकी गालियाँ बहुत भाती थीं। वक़्त अपना काम करता है और उससे बड़ा, उससे शक्तिशाली कोई नहीं। 20 फरवरी, 2003 का वह मनहूस दिन, एक दुर्घटना ने सब कुछ लील लिया। एक हँसता-मुस्कराता परिवार बैसाखियों पर आ गया। घर के मुखिया का एक समूचा पैर ही चला गया। उसके दोनों पैरों की हड्डियां जो टूटीं तो वह चारपाई पर आ गई। उसके स्वाभिमान का मैं सदैव कायल रहा। वह चारपाई से उठी भी मगर बार-बार चारपाई उस तक खिंच आती रही। परिस्थितियों ने ऐसा रंग बदला कि जहाँ इलाज संभव था वहीँ से वक़्त ने उसे वापस जाने पर मजबूर कर दिया और 29 नवम्बर को जन्मीं वह मेरी बहन पिछले वर्ष 11 नवम्बर को दुनियाँ से विदा हो गई। उसकी कराहटें आज भी कानों में गूँजती हैं।
घर के मुखिया की उदासी तक अपाहिज हो गई...और भी बहुत कुछ हुआ जिसे नहीं होना चाहिए था। गलतफहमियों का जंजाल बोलने से बढ़ता है तो चुप रहने से और भी ज्यादा उलझता है।
सुलझाता उसे वक्त ही है अन्यथा सारे प्रयास नाव को भंवर की ओर ही धकेलते हैं।
आज मैं उस मुखिया के चेहरे पर हजारों गुनी चमक देखने को आतुर हूँ। उन दोनों ने जिस धैर्य और संकल्प से शुरुआत की थी आज उसने बहुत सारी घूरती निगाहों को निश्तेज कर दिया है। बहन ने अपना जीवन न्योछावर करके, घर के मुखिया ने सब कुछ सहकर आज जो पाया है उसके लिए शब्द पूरे नहीं पड़ रहे हैं...
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/19/2010 07:41:00 PM
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Jul 17, 2010
जल्दी ही हिंदी सबके लिए की एक अपनी वेब साइट भी होगी
हिंदी सबके लिए यानी hindiforyou जल्दी ही अपनी वेबसाईट पर भी होगा। आप सबके स्नेह और प्रोत्साहन से प्रेरित होकर हमने डोमेन पंजीकृत करा लिया है, जिसका पता होगा-
hindiforyou.in
बस थोड़ा सा इंतज़ार और...
hindiforyou.in
बस थोड़ा सा इंतज़ार और...
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/17/2010 08:57:00 AM
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ज़रा बताएं तो भारत कोश में क्या नहीं है !!
यह अद्भुत है। इसमें वेद हैं, पुराण हैं, उपनिषद् हैं, हिंदी काव्य है, गद्य है, कवि हैं , लेखक हैं , इतिहास है, पयटन है, व्याकरण है, हिंदी है, संस्कृत है ... अब आप ही बताइए कि "भारत कोश" में जो कि विकसित किए जाने की प्रक्रिया में है, हिंदी में ऐसा क्या है जो नहीं है?
भारत कोश से कुछ लिंक्स नीचे दिए जा रहे हैं-
(भारत कोश से साभार)
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/17/2010 08:40:00 AM
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ग़ालिब की शाइरी के लिए
मिर्ज़ा ग़ालिब की की शाइरी के लिए यहाँ कुछ लिंक्स दिए जा रहे हैं। बस संकोच यही है कि इनमें रोमन लिपि का प्रयोग है।
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Posted by:AM/PM
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7/17/2010 08:36:00 AM
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Jul 16, 2010
यूनीकोड क्या है?
यहाँ हम यूनीकोड से संबंधित वेबसाईट का लिंक दे रहे हैं जिससे आप यूनीकोड के बारे में बहुत कुछ जान-समझ सकते हैं-
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Posted by:AM/PM
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7/16/2010 07:26:00 AM
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Jul 15, 2010
शर्मा जी उवाच: इनसे बहुत कुछ सीखा है....
शर्मा जी और गुप्ता जी की दोस्ती जगजाहिर सी लगती थी। शर्मा जी गुप्ता जी से अनुभव एवं उम्र दोनों में बड़े थे किंतु गुप्ता जी से वर्तमान नौकरी में छ: माह बाद आए थे। जब शर्मा जी आए तब गुप्ता जी गोवा में ज्ञान बांटने का काम करते थे । गुप्ता जी से वहां जाकर शर्माजी ने ज्ञान का भंडार संभाल लिया और थोड़ा-थोड़ा कर वितरित करने लगे। कुछ दिन गुप्ता जी ज्ञान बांटने से मुक्ति पाकर मोक्ष प्राप्ति के चक्कर में गोवा में रूक गए। दोनों रोटियाँ बनाने का अभ्यास करते और गोवा के अंदाज़ में भोजन पूर्व सम्पूर्ण सामग्री के आचमनोपरांत भक्षण कर निश्चिंत निन्द्रालीन हो जाते। शर्माजी के अनुभव से गुप्ता जी भी अनुभवी होने का अनुभव करने लगे। गुप्ता जी गोवा में ज्ञान बांटते समय जो नहीं जानते थे उसके अभ्यस्त हो कर गोवा से चले गए।
शर्मा जी ने अपना अनुभव गुप्ता जी के मत्थे मढ़ दिया और धीरे-धीरे पान-बीडी-सिगरेट-तम्बाकू और शराब सबसे तौबा कर ली। शर्मा जी दृढ संकल्प वाले और लंगोट के पक्के आदमी थे। वे अपने अनुभव और व्यावहारिकता की बदौलत गोवा में छा गए। गुप्ता जी को जब शर्मा जी की वाहवाही सुनने को मिलती तो वे तिलमिलाकर रह जाते।
दिन गुजरते गए। गुप्ता जी व्यवसाय की नब्ज़ टटोलते-टटोलते एक दिन फ़ूड इंस्पेक्टर बन गए। एक दिन वे मुंबई के एक बड़े होटल में पहुंचे और मैनेजर से बताया कि पाकशाला का इंस्पेक्शन करने आए हैं। मैनेजर ने अपने असिस्टेंट से कहा - " साहब को पहले कॉफ़ी शॉप ले जाकर कुछ नाश्ता-पानी कराओ , उसके बाद जो भी साहब कहें वह करें। "
गुप्ता जी कॉफ़ी शॉप पहुंचे तो असिस्टेंट मैनेजर ने उन्हें मीनू कार्ड थमा दिया और बड़ी मिन्नत से पूछा कि साब को क्या पेश किया जाए। गुप्ता जी बहुत देर तक मीनू कार्ड को उलट-पलट कर देखते रहे। फिर एक जगह उनकी अंगुली थम गई । उन दिनों पांच सितारा होटलों में भी चाय- कॉफ़ी बमुश्किल दो-तीन रूपए की हुआ करती थी। मीनू कार्ड में सबसे महँगी चीज़ दस रूपए की थी जहाँ गुप्ता जी की अंगुली ठहरी थी। असिस्टेंट मैनेजर ने लाख समझाया कि साब यह तो बिलकुल पानी की तरह होता है, आप कुछ और ले लीजिए। मगर गुप्ता जी अड़ गए-" आप ये ही लाइए, हमें ये ही चलता है।" बेचारा असिस्टेंट मैनेज़र, एक बार फिर गुजारिश की मगर गुप्ता जी टस से मस नहीं हुए। मरता क्या न करता ! उसने वेटर को एक गिलास मिनरल वाटर लाने का आर्डर दे दिया। उन दिनों मिनरल वाटर की शरूआत का दौर था। पानी आ गया और गुप्ता जी ने जैसे ही पहली चुस्की ली माजरा समझ गए मगर अपनी मूर्खता जाहिर करने का समय नहीं था। फिर भी प्रभु इच्छा को कौन टाल सकता है, गुप्ता जी का चुस्की ले लेकर मिनरल वाटर पीने का अंदाज़ सब कुछ साफ़- साफ़ बतला रहा था। कॉफ़ी शॉप में बैठे सभी लोग मुस्करा रहे थे।
समय बीतता गया । दो दशक बाद गुप्ता जी की मुलाक़ात शर्मा जी से हैदराबाद में हुई। अब गुप्ता जी बहुत बड़े अफसर बन गए थे। होटल वाले उनके चारों ओर चक्कर लगाया करते। गुप्ता जी मिनरल वाटर का इस्तेमाल अलग ही तरीके से करते । उनके लिए नहाने के लिए मिनरल वाटर की बोतले टब में भरी जातीं। वे अब बड़े आकार के तोहफे नहीं कबूलते थे। उन्हें छोटे आकार की बेशकीमती वस्तुएं तोहफे में दी जातीं। वे खुश होते मगर ख़ुशी का इज़हार करने से बचते। उनके नहाने के लिए यदि मिनरल वाटर की ज़रा सी भी कमी होती तो उस होटल के बंद होने की नौबत आ जाती।
गुप्ता जी ने हैदराबाद प्रवास के दौरान शर्मा जी को अपने होटल के सूट में बुलवा भेजा। वहां कुछ बड़े लोगों के बीच शर्मा जी का हाल चाल पूछा गया। फिर जब खाने-पीने का दौर चला तो गुप्ता जी झूमते हुए शर्मा जी से बोले- "देखिए जी, ऐसा है शर्मा जी, हम आपको आज भी नहीं भूले। गोवा में तो आप हमारे जूनियर हुआ करते थे, याद है ना। "
शर्मा जी ने अपना अनुभव गुप्ता जी के मत्थे मढ़ दिया और धीरे-धीरे पान-बीडी-सिगरेट-तम्बाकू और शराब सबसे तौबा कर ली। शर्मा जी दृढ संकल्प वाले और लंगोट के पक्के आदमी थे। वे अपने अनुभव और व्यावहारिकता की बदौलत गोवा में छा गए। गुप्ता जी को जब शर्मा जी की वाहवाही सुनने को मिलती तो वे तिलमिलाकर रह जाते।
दिन गुजरते गए। गुप्ता जी व्यवसाय की नब्ज़ टटोलते-टटोलते एक दिन फ़ूड इंस्पेक्टर बन गए। एक दिन वे मुंबई के एक बड़े होटल में पहुंचे और मैनेजर से बताया कि पाकशाला का इंस्पेक्शन करने आए हैं। मैनेजर ने अपने असिस्टेंट से कहा - " साहब को पहले कॉफ़ी शॉप ले जाकर कुछ नाश्ता-पानी कराओ , उसके बाद जो भी साहब कहें वह करें। "
गुप्ता जी कॉफ़ी शॉप पहुंचे तो असिस्टेंट मैनेजर ने उन्हें मीनू कार्ड थमा दिया और बड़ी मिन्नत से पूछा कि साब को क्या पेश किया जाए। गुप्ता जी बहुत देर तक मीनू कार्ड को उलट-पलट कर देखते रहे। फिर एक जगह उनकी अंगुली थम गई । उन दिनों पांच सितारा होटलों में भी चाय- कॉफ़ी बमुश्किल दो-तीन रूपए की हुआ करती थी। मीनू कार्ड में सबसे महँगी चीज़ दस रूपए की थी जहाँ गुप्ता जी की अंगुली ठहरी थी। असिस्टेंट मैनेजर ने लाख समझाया कि साब यह तो बिलकुल पानी की तरह होता है, आप कुछ और ले लीजिए। मगर गुप्ता जी अड़ गए-" आप ये ही लाइए, हमें ये ही चलता है।" बेचारा असिस्टेंट मैनेज़र, एक बार फिर गुजारिश की मगर गुप्ता जी टस से मस नहीं हुए। मरता क्या न करता ! उसने वेटर को एक गिलास मिनरल वाटर लाने का आर्डर दे दिया। उन दिनों मिनरल वाटर की शरूआत का दौर था। पानी आ गया और गुप्ता जी ने जैसे ही पहली चुस्की ली माजरा समझ गए मगर अपनी मूर्खता जाहिर करने का समय नहीं था। फिर भी प्रभु इच्छा को कौन टाल सकता है, गुप्ता जी का चुस्की ले लेकर मिनरल वाटर पीने का अंदाज़ सब कुछ साफ़- साफ़ बतला रहा था। कॉफ़ी शॉप में बैठे सभी लोग मुस्करा रहे थे।
समय बीतता गया । दो दशक बाद गुप्ता जी की मुलाक़ात शर्मा जी से हैदराबाद में हुई। अब गुप्ता जी बहुत बड़े अफसर बन गए थे। होटल वाले उनके चारों ओर चक्कर लगाया करते। गुप्ता जी मिनरल वाटर का इस्तेमाल अलग ही तरीके से करते । उनके लिए नहाने के लिए मिनरल वाटर की बोतले टब में भरी जातीं। वे अब बड़े आकार के तोहफे नहीं कबूलते थे। उन्हें छोटे आकार की बेशकीमती वस्तुएं तोहफे में दी जातीं। वे खुश होते मगर ख़ुशी का इज़हार करने से बचते। उनके नहाने के लिए यदि मिनरल वाटर की ज़रा सी भी कमी होती तो उस होटल के बंद होने की नौबत आ जाती।
गुप्ता जी ने हैदराबाद प्रवास के दौरान शर्मा जी को अपने होटल के सूट में बुलवा भेजा। वहां कुछ बड़े लोगों के बीच शर्मा जी का हाल चाल पूछा गया। फिर जब खाने-पीने का दौर चला तो गुप्ता जी झूमते हुए शर्मा जी से बोले- "देखिए जी, ऐसा है शर्मा जी, हम आपको आज भी नहीं भूले। गोवा में तो आप हमारे जूनियर हुआ करते थे, याद है ना। "
शर्मा जी मुस्करा कर बोले-" गोवा में तो गुप्ता जी आपसे मैंने बहुत कुछ सीखा था।"
गुप्ता जी प्रसंशा सुनकर कुछ और झूमने लगे मगर बड़प्पन दिखाते हुए कुछ और प्रसंशा की आशा में बोले-" अरे नहीं, आप तो...मैं तो ...बस "
शर्मा जी ने कहा-" नहीं गुप्ता जी, मैंने जो कुछ भी आपसे सीखा था वह मैं बिलकुल भी नहीं भूला हूँ और कभी भूल सकता भी नहीं। याद है, आप ही ने तो मुझे काकटेल पीना सिखाया था, सिगरेट पीना...हेरा-फेरी करना सिखाया... मैं कभी झूठ नहीं बोलता था मगर वह भी मुझे आपसे ही सीखने को मिला। मैं सरकारी अफसरी को जनता की सच्ची सेवा समझता था मगर आपने मुझे सिखाया कि जनता सरकार के लिए होती है। आप सरकारी हैं इसलिए जनता का यह दायित्व बनता है कि वह आपकी सेवा करे।"
तब तक गुप्ता जी प्रसंशा सुनके की हालत में नहीं बचे थे। वे मद मग्न हो चुके थे। महफ़िल के नुमाइंदों ने गुप्ता जी को बिस्तर पर लिटाया और निश्चिंत होकर शर्मा जी को प्रणाम कर विदा हो गए।
शर्मा जी ने कहा-" नहीं गुप्ता जी, मैंने जो कुछ भी आपसे सीखा था वह मैं बिलकुल भी नहीं भूला हूँ और कभी भूल सकता भी नहीं। याद है, आप ही ने तो मुझे काकटेल पीना सिखाया था, सिगरेट पीना...हेरा-फेरी करना सिखाया... मैं कभी झूठ नहीं बोलता था मगर वह भी मुझे आपसे ही सीखने को मिला। मैं सरकारी अफसरी को जनता की सच्ची सेवा समझता था मगर आपने मुझे सिखाया कि जनता सरकार के लिए होती है। आप सरकारी हैं इसलिए जनता का यह दायित्व बनता है कि वह आपकी सेवा करे।"
तब तक गुप्ता जी प्रसंशा सुनके की हालत में नहीं बचे थे। वे मद मग्न हो चुके थे। महफ़िल के नुमाइंदों ने गुप्ता जी को बिस्तर पर लिटाया और निश्चिंत होकर शर्मा जी को प्रणाम कर विदा हो गए।
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/15/2010 08:38:00 AM
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Jul 11, 2010
वे सही समझते है कि हम नासमझ कुछ नहीं समझते
उनकी गुर्राहट अक्सर उनकी मासूम मुस्कराहट में छुपी होती है। वे रोज बड़ी सहजता से सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने कभी किसी बात के लिए न नहीं कहा। आप उनसे यदि आसमान के तारे तोड़ लाने के लिए कहें तब भी उनका जवाब यही होगा- "हाँ, बिल्कुल।" उन्हें न इसके लिए नासा द्वारा तैयार किसी अन्तरिक्ष यान की आवश्यकता है, न ही किसी लांचिग पैड की। आप उनसे कहिए कि कल तो दुनिया का आखरी दिन होगा। वे बेखोफ़ कहेंगे-
"हाँ, बिल्कुल।"
किसी ने उनसे अनुरोध करते हुए कहा-
"जनाब, एक दिन के लिए किसी गेस्ट हाउस में ठहरने का इंतजाम करा देंगे ?"
उन्होंने तपाक से जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
एक हफ्ते बाद उनसे पूछा गया-
"जनाब, क्या गेस्ट हाउस का कुछ हुआ?"
उन्होंने जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
"हाँ, बिल्कुल।"
फिर एक हफ्ते बाद उनसे पूछा गया-
"जनाब, गेस्ट हाउस का ज़रा नाम बता देते तो अच्छा था!"
उन्होंने फिर जवाब दिया-
उन्होंने फिर जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
अच्छा बताइए तो क्या नाम बताया?
उन्होंने जो नहीं बताया था तब तक सोचकर बता दिया।
पूछने वाले ने जब अपने आगमन पर गेस्ट हाउस जाने का रास्ता पूछा तो वह भी उन्होंने निसंकोच बता दिया।
रात के ग्यारह बजे जब आने वाला निश्चिंतता के साथ बताए हुए पते पर पहुंचा तो वहां गेस्ट हाउस नाम का शराब का एक ठेका मिला।
उसके बाद जब उनसे फोन पर पूछा गया कि जनाब यह तो गेस्ट हाउस नहीं बल्कि इस नाम का शराब का ठेका है।
तो उन्होंने फिर उसी मासूमियत से जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
- और उसके बाद फोन स्विच ऑफ कर दिया।
॰
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/11/2010 03:58:00 PM
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हिंदी में श्री गुरुग्रंथ साहिब: gurbanifiles.org के सौजन्य से
आज हम हिंदी में श्री गुरु ग्रन्थ साहिब सम्पूर्ण पाठ डाउन लोड करने के लिए लिंक दे रहे हैं -
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आपकी प्रतिक्रया की प्रतीक्षा रहेगी .
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आपकी प्रतिक्रया की प्रतीक्षा रहेगी .
Posted by:AM/PM
हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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7/11/2010 03:51:00 PM
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Jul 9, 2010
बाड़ क़ी भूख से कब तक बचोगे भगवन !!
"बाड़ खेत को खा गई" यह बहुत ही पुरानी, हर मौसम में मौजू और बेहद प्रचलित कहावत है। पहले वह सोचता था कि जो बाड़ खेत की चारदीवारी की तरह होती है वह खेत को कैसे खा सकती है भला? बड़े-बूढ़े समझाते थे- "बेटा जब तुम्हारे देखते-देखते यह सब होगा तब मान जाओगे। अभी बचपना है इसलिए बचकानी बाते करते हो, न जाने कितने खेत बाड़ के पेट में समा गए और ज़माना भौचक देखता रह गया।"
अब सब ओर वह यही देखता है कि खेत रो रहा है अपनी बेचारगी पर और बाड़ अट्टहास कर रही है अपनी दीवानगी पर। खेत को जैसे बाड़ ने अपने खूंखार जबड़ों में जकड़ा हुआ है... बड़े-बड़े नुकीले दांत खेत के सीने को छलनी करते जा रहे हैं मांस के लोथड़े चारों और बिखरे पड़े हैं... लहूलुहान है खेत का जर्रा-जर्रा... मगर यह सब देखकर भी जाने क्यों डरा हुआ सहमा-सहमा सा खामोश है विधाता ? क्या यही विधि का विधान है? क्या बाड़ और ब्लैक होल में कोई समानता है?
रेलगाड़ी का एक ऐसा इंजिन जिसके पहियों में जंग लगा हो, एक्सल टूटा हो, ब्रेक जाम हों, हर नट-बोल्ट से तेल रिस रहा हो, हर कल-पुर्जे से कान फोडू शोर निकलता हो, ऐसा इंजिन … अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नवनिर्मित डिब्बों को कैसे किसी पड़ाव तक पहुंचा सकता है? कैसे उन डिब्बों की अत्याधुनिक सभी सुख सुविधाओं से लबालब शायिकाओं को कोई सवारी मिल सकती है ?
सवारी को अपनी मंजिल तक पहुंचना है, लचर इंजिन के कोचों में सुनसान-बियाबान जंगलों में पड़े रहना कोई यात्री क्यों पसंद करेगा? फिर भी इंजिन को इस बात का गर्व है कि वह किसी भी अत्याधुनिक तकनीकी से निर्मित डिब्बे को कहीं भी, किसी भी जगह जाम कर देने, रोक देने, नाकारा और अनुपयोगी साबित करने में न सिर्फ सक्षम है बल्कि माहिर भी है।
बाड़ के खाने के लिए जब कोई खेत नहीं बचेगा तब क्या होगा? क्या बाड़ का अस्तित्व खेतों के बिना बचा रह सकेगा? वह भगवान् को पुकारना चाहता है मगर भगवान् भी बाड़ से भयभीत भागते नज़र आते हैं... मगर कब तक और कहाँ तक भागेंगे भगवान् ... एक दिन तो भगवान् को भी बाड़ क़ी चपेट में आकर लहुलुहान हो जाना ही पड़ेगा क्योंकि बाड़ क़ी भूख कभी मिटने वाली नहीं है।
- अजय मलिक
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Jul 7, 2010
भारत का इतिहास: शिशिर थडानी के ब्लॉग से साभार
नीचे दिए गए ऐतिहासिक लेखों के लिंक्स इतिहास के हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के साथ-साथ आम हिंदी पाठकों के लिए भी उपयोगी एवं रोचक हो सकते हैं। एक बार मुफ्त में आजमाने में आपका क्या जाता है?
ये लिंक्स शिशिर थडानी के ब्लॉग http://india_resource.tripod.com/Hindi-Essays.html से लिए गए हैं।
· आर्य आक्रमणः सिद्धांत, विपरीत सिद्धांत और ऐतिहासिक...
· उपनिषादिक तत्व मीमांसा से वैज्ञानिक यथार्थवादः दार...
· भारत में सामाजिक संबंधों का इतिहास
· भारत में गणित का इतिहास
· भारत में भौतिक विज्ञानों का इतिहास
· भारतीय कला और वास्तुशिल्प में प्रगति
· भारत में तकनीकी खोजें और उनके उपयोग
· भारत में हस्तकौशल और व्यापार के ऐतिहासिक स्वरूप
· भारतीय लोक चित्रकला
· बौद्ध नीतिशास्त्र और सामाजिक समीक्षा
· हिंदू और जैन परंपराओं के साथ प्रादेशिक सल्तनतों का...
· प्राचीन भारत में दार्शनिक विचार और वैज्ञानिक तौर त...
· उड़ीसा का इतिहासः एक परिचय
· सिंध की अरब विजय एवं इस्लामीकरण
· पंजाब और गजनी एवं गौर आक्रमण
· मुगलों का उत्थान और पतन
· इस्लाम और उपमहाद्वीपः उसके संघात का मूल्यांकन
· सूफी धारायें और इस्लामी राजदरबारों में सभ्यता
· भारतीय चित्राकला ( 16वीं से 19वीं सदी तक )
· व्यापार से उपनिवेशः ईस्ट इंडिया कंपनियों की ऐतिहास...
· भारतीय सामुद्रिक व्यापार पर यूरोपियन प्रभुत्व
· ब्रिटिश शासन में राजभक्ति पर दबाव - भाग एक
· ब्रिटिश शासन में राजभक्ति पर दबाव - भाग दो
· 1857 का क्रांतिकारी उभार
· गदर आंदोलन के महत्वपूर्ण दस्तावेज
· भारतीय स्वतंत्राता संग्राम में मूल युगांतरकारी घटन...
· भारतीय स्वतंत्राता संग्राम के दौरान की क्रान्तिकार...
· भारत में ब्रिटिश शिक्षा
· ब्रिटिश उपनिवेशिक बपौतीः भ्रान्तियां और जनसामान्य ...
· भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के लिए आदिवासी योगदान
· तिलक के इतिहास का मूल्यांकन
· दो राष्ट्र् नीति और विभाजन, ऐतिहासिक नजर
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7/07/2010 09:22:00 AM
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Jul 6, 2010
हिंदी प्रवीण ऑनलाइन परीक्षा देते हुए प्रशिक्षार्थी
राजभाषा विभाग , गृह मंत्रालय , केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित गहन हिंदी लीला प्रवीण की ऑनलाइन परीक्षा में टाइडल पार्क स्थित सी-डेक, चेन्नै के परीक्षा कक्ष में दस परीक्षार्थी शामिल हुए। परीक्षा के आयोजन में सहयोग हेतु सी-डेक पुणे के एप्लाइड ग्रुप के सदस्य श्री शैलेन्द्र भी उपस्थित थे.
- अजय मलिक
(फोटो (C) अजय मलिक )
- अजय मलिक
(फोटो (C) अजय मलिक )
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7/06/2010 03:37:00 PM
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नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति ( कार्यालय ) चेन्नै द्वारा आई आई टी में आयोजित हिंदी कार्यशाला
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7/06/2010 03:10:00 PM
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हिंदी प्रवीण ऑनलाइन परीक्षा के लिखित भाग की परीक्षा लिखते परीक्षार्थी
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7/06/2010 03:02:00 PM
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Jul 5, 2010
क्या मदुरै विश्वविद्यालय ने मैट्रिक परीक्षा का आयोजन कभी नहीं किया ?
सूचना अधिकार अधिनियम - 2005 के तहत मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यूनिवर्सिटी द्वारा मैट्रिक अथवा सैकंडरी की परीक्षा का आयोजन नहीं किया जाता। इस मामले में विश्वविद्यालय को दिनांक: 08.04.2010 तथा 16.04.2010 को पत्र लिखे गए थे। दिनांक: 08-04-2010 के उत्तर में विश्वविद्यालय ने अपने letter no. PIO/RTI/Info/10/232, dated 13.04.2010 द्वारा प्रमाणपत्र सत्यापन के लिए गैरसरकारी व्यक्तियों को रूपए 750 तथा सरकारी कार्यालयों आदि को रूपए 500 फ़ीस जमा कराने के नियम का उल्लेख किया था। किंतु दिनाक : 16-04-2010 के पत्र द्वारा जब विश्वविद्यालय से अनुरोध किया गया कि हमने प्रमाणपत्र सत्यापन का अनुरोध नहीं किया है बल्कि कुछ सूचना मांगी है तो विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उक्त विश्वविद्यालय मैट्रिक अथवा सैकेंडरी की परीक्षाओं का आयोजन नहीं करता। इस संबंध में विश्वविद्यालय से पूछे गए प्रश्न एवं Public Information Officer के दिनांक: 26-05-2010 के पत्र संख्या: PIO/RTI/info/10/232 द्वारा दिए गए उत्तर निम्न प्रकार थे - (रजिस्टर नंबर बदल दिए गए हैं ताकि किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस न पहुंचे )
प्रश्न .1. Kindly provide the name and the date of birth of the candidate (along with his/her father’s name) who appeared in the matriculation examination against Register No. xxxx(??), in March 1978 from Madurai University.
उत्तर: University does not conduct Matriculation Examinations.
(रजिस्टर नंबर बदल दिए गए हैं ताकि किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस न पहुंचे)
उत्तर: University does not conduct Matriculation Examinations.
(रजिस्टर नंबर बदल दिए गए हैं ताकि किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस न पहुंचे)
प्रश्न .2. Kindly provide the name and the date of birth of the candidate (along with his/her father’s name) who appeared and Passed the XI standard examination with Register No.xxxx (??) in March 1978 from Madurai University.
उत्तर: XI standard examination is also not conducted by University. Hence question not related to Madurai Kamraj University.
उत्तर: XI standard examination is also not conducted by University. Hence question not related to Madurai Kamraj University.
(रजिस्टर नंबर बदल दिए गए हैं ताकि किसी व्यक्ति विशेष की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। )
प्रश्न .3. In which class or division above mentioned candidates passed the said examinations.
उत्तर: Does not arise.
क्या उपर्युक्त से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि
1. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय , Palkalai नगर, मदुरै -625021 के जन सूचना अधिकारी के अनुसार उक्त विश्वविद्यालय द्वारा मैट्रिक अथवा XI परीक्षाओं का आयोजन 1978 में नहीं किया गया ?
2. मदुरै कामराज विश्वविद्यालय सरकारी संस्थाओं द्वारा किसी डिग्री अथवा प्रमाणपत्र के सत्यापन के लिए रूपए 500 का शुल्क लेता है ?
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7/05/2010 07:56:00 AM
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Jul 4, 2010
32 बिट एवं 64 बिट के लिए IME अलग-अलग हैं
जब आप अपने कंप्यूटर में भारतीय भाषाएँ सक्रिय करने के लिए IME आदि डाउनलोड करें तो पहले इस बात का पता अवश्य लगा लें कि आपके कंप्यूटर का हार्डवेयर एवं ऑपरेटिंग सिस्टम (विंडोज़ आदि ) 32 बिट्स के हैं अथवा 64 बिट्स के। दोनों तरह के कंप्यूटर्स के लिए आई एम ई (IME) अलग-अलग हैं। आमतौर पर हमारे घरों में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर्स 32 बिट्स वाले होते हैं। 64 बिट्स वाले कम्प्यूटर्स काफी महंगे तथा स्पीड के मामले में बहुत तेज होते हैं। आई आई टी जैसे तकनीकी संस्थानों में अनुसंधान आदि के लिए 64 बिट्स वाले कम्प्यूटर्स उपयोग में लाए जाते हैं । इससे पहली पोस्ट में आई एम ई डाउनलोड लिंक्स 32 बिट्स वाले कंप्यूटर्स के लिए हैं।
-अजय मलिक
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7/04/2010 06:38:00 PM
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हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में र्इ-मेल और ऑनलाइन हिंदी प्रशिक्षण/ परीक्षा
हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में र्इ-मेल
1. जी मेल (Gmail ) : जी मेल/gmail से किसी भी भारतीय भारतीय भाषा में र्इ मेल लिखी और भेजी जा सकती है। आपको केवल अपनी भाषा का चयन करके रोमन में टाइप करना है। रोमन में tamil टाइप करने पर स्पेस बार दबाते ही आपकी भाषा / लिपि में तमिल बन जाता है।
2. IME – 1 और IME – 2 :- यदि आप htpp://bashaindia.com से IME –1(Download ) और IME –2 (Download ) – डाउनलोड कर इंस्टाल कर लें तो आप किसी भी ब्राउजर में किसी भी mail ( hotmail , yahoo mail etc.) में सीधे हिंदी अथवा अपनी भाषा में मेल तैयार कर भेज सकते हैं। यदि आप तमिल में मेल भेजना चाहते हैं तो तमिल IME-1 एवं IME-2 डाउनलोड कर इंस्टाल कीजिए और शुरु हो जाइए IME – 1 और IME – 2 से आप सीधे MS Office आदि में भी अपनी भाषा / लिपि में टाइप कर सकते हैं। विंडोज़ विस्ता तथा विंडोज़ – 7 में इसका प्रयोग तत्काल किया जा सकता है। किन्तु विंडोज़ 2000 एवं XP में पहले आपको हिंदी / भारतीय भाषाओं एवं उनके कुंजी पटल को सक्रिय ( activate ) करना होता है। उसके बाद सब कुछ सरल है।
3. Indic Transliteration – इसके द्वारा आप इंटरनेट पर सीधे हिंदी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं में Text ( पाठ ) तैयार कर MS Office अथवा मेल बाँक्स में कापी / पेस्ट कर सकते हैं।
4. quillpad – इसके द्वारा भी Indic transliteration वाली सारी सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इसी के साथ यदि आपने offline ( बिना इंटरनेट के ) अपनी भाषा में Romanized पाठ तैयार किया है तो उसका लिप्यंतरण आपकी लिपि में सेकेंडस में हो जाता है।
5. ऑन लाइन हिंदी प्रशिक्षण – हिंदी के अक्षर ज्ञान से लेकर हिंदी में नोटिंग / ड्राफ्टिंग करना तक ऑन लाइन सीखा जा सकता है। इसकी सुविधा राजभाषा विभाग ने निशुल्क उपलब्ध करार्इ है। आपको पहले अपने कंप्यूटर में हिंदी यूनीकोड की सक्रियता सुनिश्चित करनी है। उसके बाद किसी भी भारतीय भाषा ( तमिल, तेलुगू, मलयालम , कन्नड़ , बांग्ला आदि ) अथवा अंग्रेज़ी के माध्यम से आप हिंदी सीख सकते हैं। उसकी विधि यानी तरीका बेहद आसान है –
आप LILA - Hindi Prabodh, Praveen and Pragya अथवा rajbhasha.nic.in पर लाग ऑन करें और लीला प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ पर क्लिक करें। पाठ्यक्रम और अपना माध्यम चुनकर अपना रजिस्ट्रेशन करें; user name and password की पुष्टि होते ही सीखना शुरू कर दें। ऑनलाइन अध्ययन के साथ-साथ आप प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ की ऑन लाइन परीक्षा भी दे सकते हैं और तत्काल परीक्षा परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। इस पूर्णकालिक गहन प्रशिक्षण के दौरान परीक्षा से पहले ऑनलाइन मॉडल परीक्षा ( model exam ) का अभ्यास भी कराया जाता है। केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए यह प्रशिक्षण चेन्नई में ई-3-सी राजाजी भवन, बेसंट नगर, चेन्नई-600 090 में चलाया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के लिए भारत के किसी भी कौने से सरकारी कर्मचारी नामित किए जा सकते हैं।
1. जी मेल (Gmail ) : जी मेल/gmail से किसी भी भारतीय भारतीय भाषा में र्इ मेल लिखी और भेजी जा सकती है। आपको केवल अपनी भाषा का चयन करके रोमन में टाइप करना है। रोमन में tamil टाइप करने पर स्पेस बार दबाते ही आपकी भाषा / लिपि में तमिल बन जाता है।
2. IME – 1 और IME – 2 :- यदि आप htpp://bashaindia.com से IME –1(Download ) और IME –2 (Download ) – डाउनलोड कर इंस्टाल कर लें तो आप किसी भी ब्राउजर में किसी भी mail ( hotmail , yahoo mail etc.) में सीधे हिंदी अथवा अपनी भाषा में मेल तैयार कर भेज सकते हैं। यदि आप तमिल में मेल भेजना चाहते हैं तो तमिल IME-1 एवं IME-2 डाउनलोड कर इंस्टाल कीजिए और शुरु हो जाइए IME – 1 और IME – 2 से आप सीधे MS Office आदि में भी अपनी भाषा / लिपि में टाइप कर सकते हैं। विंडोज़ विस्ता तथा विंडोज़ – 7 में इसका प्रयोग तत्काल किया जा सकता है। किन्तु विंडोज़ 2000 एवं XP में पहले आपको हिंदी / भारतीय भाषाओं एवं उनके कुंजी पटल को सक्रिय ( activate ) करना होता है। उसके बाद सब कुछ सरल है।
3. Indic Transliteration – इसके द्वारा आप इंटरनेट पर सीधे हिंदी अथवा अन्य भारतीय भाषाओं में Text ( पाठ ) तैयार कर MS Office अथवा मेल बाँक्स में कापी / पेस्ट कर सकते हैं।
4. quillpad – इसके द्वारा भी Indic transliteration वाली सारी सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इसी के साथ यदि आपने offline ( बिना इंटरनेट के ) अपनी भाषा में Romanized पाठ तैयार किया है तो उसका लिप्यंतरण आपकी लिपि में सेकेंडस में हो जाता है।
5. ऑन लाइन हिंदी प्रशिक्षण – हिंदी के अक्षर ज्ञान से लेकर हिंदी में नोटिंग / ड्राफ्टिंग करना तक ऑन लाइन सीखा जा सकता है। इसकी सुविधा राजभाषा विभाग ने निशुल्क उपलब्ध करार्इ है। आपको पहले अपने कंप्यूटर में हिंदी यूनीकोड की सक्रियता सुनिश्चित करनी है। उसके बाद किसी भी भारतीय भाषा ( तमिल, तेलुगू, मलयालम , कन्नड़ , बांग्ला आदि ) अथवा अंग्रेज़ी के माध्यम से आप हिंदी सीख सकते हैं। उसकी विधि यानी तरीका बेहद आसान है –
आप LILA - Hindi Prabodh, Praveen and Pragya अथवा rajbhasha.nic.in पर लाग ऑन करें और लीला प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ पर क्लिक करें। पाठ्यक्रम और अपना माध्यम चुनकर अपना रजिस्ट्रेशन करें; user name and password की पुष्टि होते ही सीखना शुरू कर दें। ऑनलाइन अध्ययन के साथ-साथ आप प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ की ऑन लाइन परीक्षा भी दे सकते हैं और तत्काल परीक्षा परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। इस पूर्णकालिक गहन प्रशिक्षण के दौरान परीक्षा से पहले ऑनलाइन मॉडल परीक्षा ( model exam ) का अभ्यास भी कराया जाता है। केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए यह प्रशिक्षण चेन्नई में ई-3-सी राजाजी भवन, बेसंट नगर, चेन्नई-600 090 में चलाया जा रहा है। इस प्रशिक्षण के लिए भारत के किसी भी कौने से सरकारी कर्मचारी नामित किए जा सकते हैं।
इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिए 09444713211 पर संपर्क किया जा सकता है।
-अजय मलिक
e-mail : hindiforyou@gmail.com
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7/04/2010 01:36:00 PM
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Jul 2, 2010
उनकी याद और मेरी याददाश्त और कुंजम्मा
आज उनका जन्मदिन है और कल उनकी बहुत याद आई। किसी एक पल के लिए नहीं बल्कि पूरे दिन उनकी याद ...यादों की जैसे मूसलाधार बारिश हो रही थी। मैं उनकी यादों में सराबोर थी फिर भी भीगी हुई नहीं लग रही थी। उनकी यादों की नमी बार-बार मेरी आँखों से छलक पड़ना चाहती थी। मैं मंच से अपनी बात कहते हुए हर पल उन्हें अपने पीछे साक्षात उपस्थित पा रही थी। साढ़े दस बरस पहले संसार से विदा ले चुकीं गीता जी मुझे जैसे पल-पल लोरी सुना रही थीं। ऐसा क्यूं होता है कि जो नहीं हैं वे अपने होने के अहसास से जीने की और बढ़ते जाने की प्रेरणा देते हैं और जो हैं उन्हें हम भुलाए रहते हैं ?
गीता जी को हिंदी से लगाव क्यों था ? अपनी गुरु के इस विशेष लगाव के बारे में मैं कभी नहीं जान पाई। हाँ, मुझे हिंदी से लगाव अपनी गुरु के लगाव के कारण ही हुआ। मलयालम भाषी होते हुए भी हिंदी के प्रति इस लगाव ने मुझे कभी न धोखा दिया, न ही कभी सिर झुकाने की नौबत ही आने दी। सच कहूं तो इसी हिंदी के प्रति श्रद्धा के कारण मैंने सिर उठाकर जीना सीखा। खैर, इस सब के दोहराने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि यह तो अपना-अपना नज़रिया है। परसों कुंजम्मा सेवानिवृत हो गईं। उनका फोन नंबर इंटनेट से तलाशा मगर तब तक रात के साढ़े दस हो गए थे। फोन तो मिला मगर बात न हो सकी। कल सुबह उनसे बात हुई। अच्छा लगा... बहुत अच्छा लगा। गीता जी बारह साल बड़ी थीं उनसे। आज होतीं तो सब कैसे तो बतिया रहे होते। समय असमय ही बीत जाता है। कुंजम्मा भी किसी क्षण मेरी प्रेरणा बनी थीं। वे सिंह थीं तो मैं मलिक बन गई।
यादों के इन झरोखों से क्या कुछ तो छलक गया है। यादों की बौछार से आखों का रूखापन कुछ कम हो गया। कल आई आई टी चेन्नै में इन यादों का साया मेरा रक्षा कवच बन गया और लोगों को लगा कि मैं बोल रही हूँ शायद कोई मेरठ वाली ...या फिर कोई पंजाबिन ... या फिर कोई अलीगढ़- आगरा - मथुरा वाली... देहातिन जाटनी... पर मेरे सिवाय ये कोई नहीं समझ पाया कि मैं स्वर्गीय गीता जी की प्रतिभा और मलिक बोल रही हूँ। है ना कुंजम्मा , क्या आप समझ पायीं इस रहस्य को ?
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7/02/2010 08:48:00 PM
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