Jul 11, 2010

वे सही समझते है कि हम नासमझ कुछ नहीं समझते

उनकी गुर्राहट अक्सर उनकी मासूम मुस्कराहट में छुपी होती है। वे रोज बड़ी सहजता से सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने कभी किसी बात के लिए न नहीं कहा। आप उनसे यदि आसमान के तारे तोड़ लाने के लिए कहें तब भी उनका जवाब यही होगा- "हाँ, बिल्कुल।" उन्हें न इसके लिए नासा द्वारा तैयार किसी अन्तरिक्ष यान की आवश्यकता है, न ही किसी लांचिग पैड की। आप उनसे कहिए कि कल तो दुनिया का आखरी दिन होगा। वे बेखोफ़ कहेंगे-
"हाँ, बिल्कुल।"
किसी ने उनसे अनुरोध करते हुए कहा-
"जनाब, एक दिन के लिए किसी गेस्ट हाउस में ठहरने का इंतजाम करा देंगे ?"
उन्होंने तपाक से जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
एक हफ्ते बाद उनसे पूछा गया-
"जनाब, क्या गेस्ट हाउस का कुछ हुआ?"
उन्होंने जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
फिर एक हफ्ते बाद उनसे पूछा गया-
"जनाब, गेस्ट हाउस का ज़रा नाम बता देते तो अच्छा था!"
उन्होंने फिर जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
अच्छा बताइए तो क्या नाम बताया?
उन्होंने जो नहीं बताया था तब तक सोचकर बता दिया।
पूछने वाले ने जब अपने आगमन पर गेस्ट हाउस जाने का रास्ता पूछा तो वह भी उन्होंने निसंकोच बता दिया।
रात के ग्यारह बजे जब आने वाला निश्चिंतता के साथ बताए हुए पते पर पहुंचा तो वहां गेस्ट हाउस नाम का शराब का एक ठेका मिला।
उसके बाद जब उनसे फोन पर पूछा गया कि जनाब यह तो गेस्ट हाउस नहीं बल्कि इस नाम का शराब का ठेका है।
तो उन्होंने फिर उसी मासूमियत से जवाब दिया-
"हाँ, बिल्कुल।"
- और उसके बाद फोन स्विच ऑफ कर दिया।

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