Jul 30, 2022

मैं आज थक गया हूँ

सच खूब पक गया हूँ 

मैं आज थक गया हूँ 

यूँ साँस बची है अभी 

कुछ आस बची है अभी।  


पर राह मिट गई 

सब चाह मिट गई 

कदम लड़खड़ा गए 

कि पर फड़फड़ा गए । 


कहीं दूर आसमान में 

जाने किस बियाबान में 

सब तार तार हो गया 

तटहि मझधार हो गया । 


सारे आसरे बिसर गए 

फूल राख बन बिखर गए!

-अजय मलिक  (c)


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