कविता संग्रह "कोई हँसी बेचने आया था..." की दूसरी प्रमुख कविता
आने दे कुछ याद उसे भी
मन वैरागी रोना छोड़
कौन तेरा वो अपना मन है
उसका मन है उसकी ताने
क्यों रूंठा है वो ही जाने
अपना तो दिल साफ़ सुबह सा
रात विरह की फिर बीतेगी
निकलेगा हर तह का तोड़
मन वैरागी रोना छोड़
आने दे कुछ याद उसे भी
सबकी क़िस्मत लिखी हुई है
चौपड़ पग पग बिछी हुई है
हार जीत दोनों संग आते
जिसको जो मिलना वो पाते
तू क़िस्मत का तकना छोड़
मन वैरागी रोना छोड़
आने दे कुछ याद उसे भी
अगर साज सचमुच सच्चा है
सरगम से क्या घबराएगा
पत्थर दिल धड़केगा कैसे
तन भी पत्थर हो जाएगा
एक तार बस फिर से जोड़
मन वैरागी रोना छोड़
आने दे कुछ याद उसे भी
कौन तेरा वो अपना मन है
-अजय मलिक (c)
आने दे कुछ याद उसे भी
मन वैरागी रोना छोड़
कौन तेरा वो अपना मन है
उसका मन है उसकी ताने
क्यों रूंठा है वो ही जाने
अपना तो दिल साफ़ सुबह सा
रात विरह की फिर बीतेगी
निकलेगा हर तह का तोड़
मन वैरागी रोना छोड़
आने दे कुछ याद उसे भी
सबकी क़िस्मत लिखी हुई है
चौपड़ पग पग बिछी हुई है
हार जीत दोनों संग आते
जिसको जो मिलना वो पाते
तू क़िस्मत का तकना छोड़
मन वैरागी रोना छोड़
आने दे कुछ याद उसे भी
अगर साज सचमुच सच्चा है
सरगम से क्या घबराएगा
पत्थर दिल धड़केगा कैसे
तन भी पत्थर हो जाएगा
एक तार बस फिर से जोड़
मन वैरागी रोना छोड़
आने दे कुछ याद उसे भी
कौन तेरा वो अपना मन है
-अजय मलिक (c)
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