Nov 22, 2012
भारत का 43वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मेरे ब्लैकबेरी की नज़र से (1) - अजय मलिक
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हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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11/22/2012 08:49:00 PM
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भारत का 43वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मेरे ब्लैकबेरी की नज़र से (3) - अजय मलिक
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11/22/2012 01:46:00 PM
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भारत का 43वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मेरे ब्लैकबेरी की नज़र से (3) - अजय मलिक
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11/22/2012 01:38:00 PM
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भारत का 43वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव मेरे ब्लैकबेरी की नज़र से (4)- अजय मलिक
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11/22/2012 01:38:00 PM
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Nov 15, 2012
पहले दौर में विंडोज 8 में लीला पास, टिबिल फेल
पिछली पोस्ट में वादा किया था कि नई अतिसूक्ष्म नरम खिड़की 8 व्यावसायिक यानी माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 8 प्रोफेशनल में राजभाषा विभाग के लीला सॉफ्टवेयर्स और टिबिल का परीक्षण कर जानकारी दूंगा।
तो पहली अच्छी खबर यह है कि माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 8 प्रोफेशनल (64 बिट) में राजभाषा विभाग के तीनों लीला सॉफ्टवेयर्स (प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ ) बिना किसी परेशानी के इंस्टाल/ स्थापित हो जाते हैं।
विंडोज विस्ता जैसी नियंत्रक यानी अडमिनिस्ट्रेटर के जारिए ही चलाने की बाध्यता नहीं है। बस दो बार यानी डबल क्लिक कीजिए और शुरू हो जाइए। शायद ग्राफिक्स का कमाल है या कुछ और किन्तु फॉन्ट/अक्षर/शब्द ज्यादा आकर्षक और साफ दिखाई देते हैं। आवाज भी तुलनात्मक रूप से साफ सुनाई देती है।
लेकिन लीला प्रबोध में वर्णक्रम के अनुसार लिखना सिखने के अभ्यास की विंडो में पहले स्वर यानी अ पर पहले जैसी ही त्रुटि दिखाई देती है और इसे बंद करना पड़ता है। अन्य स्वर अथवा व्यंजन के साथ ऐसी कोई एरर / त्रुटि सामने नहीं आती।
यदि इस एक त्रुटि को नज़र अंदाज़ कर दिया जाए तो विंडोज 8 में तीनों लीला सॉफ्टवेयर आसानी से काम करते हैं।
विंडोज 8 प्रोफेशनल (64 बिट) में टिबिल के इन्स्टालेशन में कोई समस्या नहीं है। यह चलता भी है मगर परिणाम एरर के अतिरिक्त कुछ नहीं देता।
मुझे लगता है कि यह समस्या किसी अपडेट की वजह से है क्योंकि विंडोज 7 अल्टिमेट (32 तथा 64 बिट दोनों संस्करणों ) में भी अपडेट्स के बाद यह काम करने में ना-नुकर करता है। इस पर तो हमारे आईटी विशेषज्ञ ही कुछ बता सकते हैं।
- अजय मलिक
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11/15/2012 02:38:00 PM
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Nov 14, 2012
विंडोज़ 8, ऑफिस 2013 और हिंदी / इंडिक यूनिकोड
इससे पहले कि अंकल शेरसिंघ के
अनगिनत शेर झपट पडें... आइए, आज आपको विंडोज़ 8, ऑफिस 2013 और
हिंदी / इंडिक यूनिकोड का पिटारा अर्थात LILA दिखाता हूँ।
यह तो मैं पहले ही बता चुका हूँ कि
मैं एक अनगढ़, अनपढ़ जैसा आदमी हूँ और शायद इसी वजह से
पढे-लिखे लोगों के साथ मेरी पटरी कुछ कम ही बैठती है।
मेरे पास पढ़ने के लिए,
पढे -लिखे महानुभाव तो मेरे अनपढ़पन की वजह से नहीं आते और अनपढ़ मुँह
बिचका कर चले जाते हैं कि ये जब खुद अनपढ़ है तो हमें क्या पढ़ाएगा! अब ऐसे हालात
में मेरे पास खुद को ही कुछ पढ़ने-पढ़ाने और लगातार सताते रहने के अतिरिक्त कोई
चारा नहीं बचता। इस घनचक्करीपन में कई बार मैं घन की बजाय धड़े (पाँच किलो के लोहे के
बाट) से कीकर काटने लगता हूँ। इससे पेड़-वेड़ तो कुछ कटता-कटाता है नहीं परंतु
मेरे हाथ शायद मज़बूत होते हैं।
पिछले दो-तीन दिन से दिवाली के पटाखे
जलाने की बजाय मैं माइक्रोसॉफ्ट की नई खिड़की यानी विंडोज़ 8 के चार संस्करणों क्रमश: विंडोज़ 8 आरटी, विंडोज़ 8, विंडोज़ 8 प्रोफेशनल,
विंडोज़ 8 एंटरप्राइज़ की खोज-खबर लेने में
लगा रहा। अंतिम दो के बारे में, जोकि अधिक सुविधायुक्त हैं, मोटे तौर पर यह समझ में आया कि विंडोज़ 8 प्रोफेशनल
में, विंडोज़ 7 प्रोफेशनल एवं विंडोज़ 7
अल्टिमेट की सारी सुविधाएं हैं जबकि विंडोज़ 8 एंटरप्राइज़ इनका भी बाप ... मेरा मतलब इनसे काफी एडवांस है।
पिछले दिनों किसी मित्र ने लीना
महेंडले जी से पूछा था कि विंडोज़ 7 अल्टिमेट में देवनागरी /
हिंदी इनस्क्रिप्ट कुंजीपटल सही से है भी कि नहीं? तो
मित्रों विंडोज़ 7 अल्टिमेट ही नहीं बल्कि विंडोज़ 8 के भी सभी संस्करणों में देवनागरी / हिंदी इनस्क्रिप्ट कुंजीपटल बिलकुल
हृष्ट-पुष्ट-तंदुरुस्त स्थिति में मौजूद है और हिंदी ट्रेडीशनल भी बखूबी काम करता है।
इंडिक 2 यानी आईएमई 2 इसमें अभी काम
नहीं कर रहा है।
हिंदी, तमिल,
मलयालम एवं अन्य भारतीय लिपियों के लिए माइक्रोसॉफ़्ट इंडिक
लैड्ग्वेज इनपुट टूल स्थापित किया जा सकता है किन्तु पहले आपको एनईटी फ्रेमवर्क 3.5
जिसमें 2 भी शामिल है, स्थापित करना पड़ता है।
मैंने विंडोज़ 8 के प्रोफेशनल तथा एंटरप्राइज़ 64 बीआईटी संस्करणों पर ही हिंदी में हाथ-पैर मारे हैं और नैया पार लगने में
कोई कठिनाई नहीं हुई।
एक बात जरूर ध्यान में रखिएगा -बेसिक इनपुट लैड्ग्वेज के रूप में इंग्लिश यूएस या इन्टरनेशनल का चयन करना न भूलें वरना इंग्लिश यूके कुंजीपटल पर उलझकर रह जाएंगे।
अपना रीज़न/ क्षेत्र भी सही से चुनें। अन्य विंडोज़ की तरह कंट्रोल पैनल में लैड्ग्वेज और रिजनल फोल्डर साथ-साथ नहीं हैं बल्कि दो बिलकुल अलग फ़ोल्डर्स हैं।
अब एमएस ऑफिस 2013 बीटा वर्जन की कुछ चर्चा। हिंदी यूनिकोड के 6 फॉन्ट इसमें पहले से ही मौजूद हैं।
भारतीय भाषाओं में दस्तावेज़, स्लाइड
शो तैयार करने में कोई कठिनाई नहीं है। एक्सेल में भी कोई कठिनाई हिंदी यूनिकोड
में काम करने में मुझे नहीं हुई। सुविधाएं इतनी ज्यादा हैं कि समझने में बरसों लग
जाएंगे।
विंडोज़ 8 में टिबिल और लीला सॉफ्टवेर की चर्चा आगे फिर कभी। श्रुतलेखन का मामला कुछ ऐसा है कि डराता है मुझे... कभी रुलाता है...कभी चल भी जाता है तो कभी चलाता है मुझे... (दिल तो पागल है)!!!
विंडोज़ 8 में टिबिल और लीला सॉफ्टवेर की चर्चा आगे फिर कभी। श्रुतलेखन का मामला कुछ ऐसा है कि डराता है मुझे... कभी रुलाता है...कभी चल भी जाता है तो कभी चलाता है मुझे... (दिल तो पागल है)!!!
-अजय मलिक
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हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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11/14/2012 10:27:00 PM
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Nov 12, 2012
जलाओ दिए मगर रोशनी के
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11/12/2012 08:52:00 PM
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रखना दीप सँभालकर - डॉ कुंवर बेचैन
गुरुवर डॉ कुंवर बेचैन जी की प्रेमगीत पुस्तक के एक गीत के ज़रिये सभी को दिवाली और दीपावली की ढेर सारी फुलझड़ियों के साथ हार्दिक शुभकामनाएँ। क्षमा याचना के साथ एक फुलझड़ी के रूप में उनके इसी गीत का बिना किसी काट-छाट के अंग्रेज़ी में मशीनी अनुवाद भी दिया जा रहा है-
चढ़ो अटारी
धीरे-धीरे
रखना दीप
संभालकर
एक शिकन
भी रह न जाये अँधियारे के गाल पर ।
पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव
के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी
धीरे-धीरे
रखना दीप
सँभालकर
जैसे तुम
बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर
।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और
प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी
धीरे-धीरे
रखना दीप
संभालकर
ज्यों
मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी
धीरे-धीरे
रखना दीप
संभालकर
ज्यों तुम
विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन
(-डा॰ कुँअर बेचैन की "प्रेमगीत"
पुस्तक के पृष्ठ 41 से)पहन घाघरा)), चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41
पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41
पहन घाघरा, चूड़ी, बिछिया
छनका, घुँघरू पाँव के
ज्योतित कर सारे दीपों को
अपने तन के गाँव के
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप सँभालकर
जैसे तुम बेंदी रखती हो अपने गोरे भाल पर ।
करके मांग सिंदूरी अपनी
दृग में काजल आँजकर
अपने तन-मन की मूरत को
और प्यार से माँजकर
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों मंहदी के फूल काढ़तीं, तुम मन के रूमाल पर ।
हँसुली, हार और लटकारा
बाजूबंद हमेल से
कह देना नथुनी-कुंडल से
सदा रहें वे मेल से
चढ़ो अटारी धीरे-धीरे
रखना दीप संभालकर
ज्यों तुम विमल चाँदनी मलतीं, तन के लाल गुलाल पर।
-डा॰ कुँअर बेचैन-
-डा॰ कुँअर बेचैन के प्रेमगीत पुस्तक से, पृष्ठ 41
Keep lamp sanbhalkar
Climb slowly attic
Keep the lamp platform
Not a wrinkle on the cheek also should be andhiyare
Wear my ghaghra wouldn't stop, Bangle, bichiya
Chanka, toe, ghungharu
To all you jyotit dipon
Village of your Tan
Climb slowly attic
Keep lamp sanbhalkar
Looks like you're on your whites bendi holds
project
Your demand by sender
Drig anjakar in mascara
The mind of his Tan-murat
Manzarek and love
Climb slowly attic
Keep the lamp platform
Flowers of kadhtin, as manhadi you mind
handkerchief.
Helens, necklace and lektor
Bajuband from hamel
Nathuni to say-coil from the
Are they ever mail
Climb slowly attic
Keep the lamp platform
As you Bimal Moonlight on red galilee maltin, Tan
-Da॰-kunar restless
-Da॰ premgit
of the book, page 41 kunar restless
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11/12/2012 12:05:00 PM
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