Oct 22, 2012

सच-सच बताइए सर !!!


(आज ही ई-मेल से मिली श्री अब्दुल हमीद खान की एक कविता पेश है )

निस्संदेह यह सच है सर,
आप लखपति,करोड़पति,
अरबपति और खरबपति हैं,
नेता हैं, अभिनेता हैं,
चेयरमैन हैं, एमडी हैं,
प्रोफ़ेसर हैं, ब्यूरोक्रैट हैं
और...और.....और
उद्योगपति भी हैं !



आपका देश और दुनिया के
गिनती के लोगों में शुमार है,
आपके तरह-तरह के
कारनामों और प्रशंसकों की
भरमार है !

आपके पास बेशुमार
बंगले हैं, द्वीप हैं,
मर्सिडीज़ का अम्बार है,
कई महाद्वीपों तक
आपका साम्राज्य है !

आपके हाथ में
अनेक पत्र हैं, पत्रकार हैं,
पेज थ्री पर तो
आपका एकक्षत्र राज है,
कहीं-कहीं तो
पूरा का पूरा अखबार है
जो आपके हाथ है,
आपके साथ है !

आपके पास अनेक स्टेज हैं,
ख़बरों में बने रहने के
दुर्लभ जादुई नुस्ख़े हैं,
नौकर-चाकर हैं और पहरेदार हैं,
इनसे भला किसे इंकार है !

पर सच-सच बताइए सर,
यह एक महज़ संयोग है
या फिर यह कैसा राजयोग है,
हर नेता अभिनेता है और
हर अभिनेता नेता !
और हाँ सर,
ये सबके सब करोड़पति
तो ज़रूर हैं,
ऐसा क्यों है !

सर, ये सारे के सारे
करोड़पति ही नहीं हैं,
वह भी हैं, वह भी हैं
और वह...वह.....वह...भी हैं !
और शेष सभी
यह भी हैं, वह भी हैं,
वह भी हैं, वह भी हैं
और वह,वह,वह और
वह भी हैं,
सर, वे क्या नहीं हैं !

सर, क्या यह भी एक संयोग है,
इन सबका परस्पर
ब्यूरोक्रैटों और तथाकथित
बुद्धिजीवियों से योग है !

सच-सच बताइए सर,
इन सबके पीछे
कितना श्रम है, उद्यम है, व्यापार है,
कितने तोहफ़े हैं, उपहार हैं,
कितनी सेवा है, तिकड़म है, चाल है,
कितना सच है, झूठ है, मायाजाल है,
कितना स्वार्थ और..
और.. कितना परमार्थ है !!!

-अब्दुल हमीद खान

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