Sep 26, 2010
करियर व रोजगार की तलाश
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हिंदी सबके लिए : प्रतिभा मलिक (Hindi for All by Prathibha Malik)
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9/26/2010 08:57:00 PM
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चारों वेद एवं पुराण घर बैठे पाएं
वेद एवं पुराण
सभी आपके कंप्यूटर पर
चाहें तो सस्वर पाठ सुनें
लिंक नीचे दिए जा रहे हैं-
सभी आपके कंप्यूटर पर
चाहें तो सस्वर पाठ सुनें
लिंक नीचे दिए जा रहे हैं-
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9/26/2010 08:55:00 PM
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समाचार 4 मीडिया.कॉम : इतना अच्छा होगा सोचा न था।
यह समाचारों का समाचार है या मीडिया के लिए समाचार, मेरे लिए इसका फैसला कर पाना मुश्किल है। आप स्वयं विचार करें ... मैं तो सिर्फ इसका लिंक दे रहा हूँ। हिन्दी दिवस पर भी समाचार 4 मीडिया में कुछ वरिष्ठ पत्रकारों के गंभीर विचार हैं -
§ हॊम
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9/26/2010 07:45:00 PM
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Sep 24, 2010
हिंदी और मैं
-अजय मलिक
नासूर बनकर
पाताल के किसी अंधेरे कौने में
जा बसी है ये उदासी मेरी
खरपतवारों से पटे
खेत की मेढ़ पर
बस दो-चार बचे हैं
बरसिम से पौधे
किसी उम्मीद के धोखे में
राह तकते
लंबाई से भी लंबी
हो जाती हैं रातें
ज़ख्म गहरे हैं
मगर न रोने की रियायत है
न आह भरने की इजाजत है
किसी चौराहे पर
रंगीन पोस्टरों के बीच
एक बीते साल का कलेंडर हूँ मैं
नासूर बनकर
पाताल के किसी अंधेरे कौने में
जा बसी है ये उदासी मेरी
खरपतवारों से पटे
खेत की मेढ़ पर
बस दो-चार बचे हैं
बरसिम से पौधे
किसी उम्मीद के धोखे में
राह तकते
लंबाई से भी लंबी
हो जाती हैं रातें
ज़ख्म गहरे हैं
मगर न रोने की रियायत है
न आह भरने की इजाजत है
किसी चौराहे पर
रंगीन पोस्टरों के बीच
एक बीते साल का कलेंडर हूँ मैं
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9/24/2010 07:16:00 AM
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Sep 19, 2010
आप हिंदी अधिकारी हैं मगर और क्या करते हैं ?
(अशिष्ट जी की एक नई कहानी )
उनका नाम ही निरोगीलाल था। तन-मन और कर्म से अपने नाम की तरह पूरी तरह निरोग। उनकी प्रतिरोधक क्षमता इतनी की रोग के कीटाणु उनपर हमला करने की बजाय उनकी परछाई तक से दूर भागते थे। कुछ लोग उन्हें सलाह देते थे कि अपना देशी नाम थोड़ा सा टिप-टाप कर लें और तनिक स्टाइल में ज़रा सा आधुनिकता का तड़का लगाकर मिस्टर एन. जी. लाल बन जाएं तो मैनेज़री का रूतबा भी झलकने लगेगा। मगर वे अपने देशीपन से बाहर आने को तैयार नहीं थे। उनके मन पर ‘खोसला का घोसला’ के चिरोंजीलाल की अमिट छाप थी।
उनका नाम ही निरोगीलाल था। तन-मन और कर्म से अपने नाम की तरह पूरी तरह निरोग। उनकी प्रतिरोधक क्षमता इतनी की रोग के कीटाणु उनपर हमला करने की बजाय उनकी परछाई तक से दूर भागते थे। कुछ लोग उन्हें सलाह देते थे कि अपना देशी नाम थोड़ा सा टिप-टाप कर लें और तनिक स्टाइल में ज़रा सा आधुनिकता का तड़का लगाकर मिस्टर एन. जी. लाल बन जाएं तो मैनेज़री का रूतबा भी झलकने लगेगा। मगर वे अपने देशीपन से बाहर आने को तैयार नहीं थे। उनके मन पर ‘खोसला का घोसला’ के चिरोंजीलाल की अमिट छाप थी।
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9/19/2010 10:37:00 PM
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Sep 17, 2010
प्रवीण पाठमाला पाठ 3 से 6 तक का तमिल अनुवाद
(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lesson 3
மோகினி : ஓ, பிரசாந்த் நீ இன்றும் மிகவும் கவலையுடன் காணப்படுகிறாயே.
ஏதேனும் கஷ்டமிருந்தால் என்னிடம் கூறு.
ஒருவேளை நான் சற்று உதவி செய்யமுடியும்.
பிரசாந்த் : ஆம், அம்மணி.
நான் ரூ.25,000/- செலுத்தி, நகர வீட்டு வசதி வளர்ச்சி ஆணைக்குழுவின் கீழ் ஒரு அடுக்கு வீடு வாங்க விண்ணப்பம் செய்திருந்தேன்.இப்போது என் பெயர் அந்தக் குலுக்கலில் வந்துள்ளது.
Lesson 3
மோகினி : ஓ, பிரசாந்த் நீ இன்றும் மிகவும் கவலையுடன் காணப்படுகிறாயே.
ஏதேனும் கஷ்டமிருந்தால் என்னிடம் கூறு.
ஒருவேளை நான் சற்று உதவி செய்யமுடியும்.
பிரசாந்த் : ஆம், அம்மணி.
நான் ரூ.25,000/- செலுத்தி, நகர வீட்டு வசதி வளர்ச்சி ஆணைக்குழுவின் கீழ் ஒரு அடுக்கு வீடு வாங்க விண்ணப்பம் செய்திருந்தேன்.இப்போது என் பெயர் அந்தக் குலுக்கலில் வந்துள்ளது.
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9/17/2010 12:44:00 PM
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Sep 14, 2010
हिंदी दिवस पर मुझे क्या करना चाहिए?
आप ही बताइए, आज हिंदी दिवस पर मुझे क्या करना चाहिए?
राजभाषा हिंदी इकसठ साल की हो गई. इतनी आयु में तो नाती, पोते हो जाते हैं... कभी-कभी पडपोते भी!
राजभाषा हिंदी इकसठ साल की हो गई. इतनी आयु में तो नाती, पोते हो जाते हैं... कभी-कभी पडपोते भी!
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9/14/2010 09:28:00 AM
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Sep 13, 2010
प्रवीण पाठमाला विविधा 1 से 4 तक का अँग्रेज़ी अनुवाद
(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
VIVIDHA 1
Today the consumer in our country has become more aware than before. Giving importance to the protection of the rights of consumers the Government of India made provision of the Consumer Protection Act in 1986.The matter of protection of the rights of consumers comes under the 'Consumer Affairs, Food and Public Distribution Ministry'.
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9/13/2010 01:35:00 PM
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प्रवीण पाठमाला पाठ 19 से 24 तक का अँग्रेज़ी अनुवाद
(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lesson 19
Ramesh : Congratulations. I heard that this time the closing ceremony of the Hindi week was very well organised.
Dinesh : Yes, with everybody's continuous co-operation the programme was a success. This time a greater number of people were also present. The hall was jam-packed. Yes, tell me why didn't you come for the function? Didn't you receive the invitation card in time?
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9/13/2010 01:32:00 PM
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प्रवीण पाठमाला पाठ 13 से 18 तक का अँग्रेज़ी अनुवाद
(सौजन्य - राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lesson 13
Prakash : Listen, Deepa. Did Anant call? By now Anant and his friends must have reached Manali. Did you keep warm clothes and a blanket in his things or not? In the month of March it must be quite cold there in the morning and evening.
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9/13/2010 08:43:00 AM
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प्रवीण पाठमाला पाठ 7 से 12 तक का अँग्रेज़ी अनुवाद
(सौजन्य - राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lesson 7
Lesson 7
Patient : Namaste, doctor Sahib.
Doctor : Namaste, Tell me, what is troubling you?
Patient : Doctor, since a few days I am feeling feverish. I have cough too. I don't feel hungry. I am not able to eat also.
Doctor : Since when have you been feeling like this? Patient : Since about one month.
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9/13/2010 08:37:00 AM
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Sep 12, 2010
प्रवीण पाठमाला पहले दो पाठों का तमिल अनुवाद
(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक )
Lesson 1
இம்முறை நாங்கள் விடுமுறைப் பயணச் சலுகை எடுத்து, இந்தியாவின் கிழக்கிலுள்ள ஒரிசா செல்ல திட்டமிட்டோம்.
ஒரிசா எங்களை எப்போதும் கவர்ந்து வருகிறது.
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9/12/2010 08:30:00 PM
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प्रवीण पाठमाला पहले छ: पाठों का अँग्रेज़ी अनुवाद
बहुत पहले हमने प्रवीण पाठमाला का अँग्रेज़ी अनुवाद उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था.पहली किस्त में पहले छ: पाठों का अँग्रेज़ी अनुवाद यहाँ दिया जा रहा है.
(सौजन्य राजभाषा विभाग एवं सी डेक)
Lesson 1
This time we made a programme to take leave travel concession and visit Orissa, situated in the east of India. Orissa has always attracted us. As we have deep faith in God, my wife and I wished to see Jagannath Puri. Along with this I also wanted to see the battle field of King Asoka’s Kalinga Victory and other historical sites. We reached Orissa is capital Bhubaneswar by train. From there we went by bus to Lord Jagannath’s town Puri . From Bhubaneswar the distance till Puri is approximately 52 kilometers.
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9/12/2010 08:26:00 PM
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Sep 11, 2010
तो मैं तर जाऊं ...
(इस लेख में व्यक्त विचार एक भारतीय नागरिक के नाते पूर्णत: मेरे व्यक्तिगत विचार हैं।इनका किसी सरकारी विभाग आदि से कोई संबंध नहीं है।)
जब एन सी ई आर टी में पढ़ रहा था तब भी व्यवहार कुशल नहीं था। अपने अध्यापकों का स्नेह तब भी पाया था। वे मेरी अव्यावहारिकता में कुछ अलग देखते थे जो जबरदस्त पढ़ाकुओं में नहीं होता था। मैंने मूर्खताएं भी कुछ कम नहीं की थीं। ये कहना ज्यादा सही रहेगा कि वह मेरा बिना लाग-लपेट वाला स्वाभाविक व्यवहार था। शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन डिप्लोमा पाठ्यक्रम की परीक्षा में हिंदी में लिखने वाला और विशेष योग्यता के साथ पास होने वाला शायद मैं पहला लड़का था। प्रोफ़ेसर सक्सेना जो राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा शुरू कराने वालों में से एक थे, हमारे विभागाध्यक्ष थे। डॉ बी० फालाचंद्रा हमारे कोर्स कोर्डिनेटर थे। कुल मिलाकर शैक्षिक मनोविज्ञान एवं परामर्श विभाग के लोग अपने क्षेत्र के जाने-माने विद्वान थे।
मैं हिंदी भाषा के प्रति पागल था मगर राजभाषा के रूप में हिंदी की कोई समझ नहीं थी। हिंदी शिक्षण योजना क्या है, राजभाषा विभाग क्या है? -इस सब की मुझे रत्ती भर भी जानकारी नहीं थी। मैं एक प्रशिक्षित परामर्शदाता बनकर हिंदी के लिए हिंदी शिक्षण योजना में चला आया।
आज बाईस बरस बाद यह सोचने का कोई अर्थ नहीं है कि मेरा निर्णय सही था अथवा गलत। मद्रास में पहली तैनाती हुई। दिल्ली से बहुत दूर जाने की सनक में मैं स्वेच्छा से लक्षद्वीप चला गया जहां कोई भी जाना नहीं चाहता था। वहाँ आत्मावलोकन का अच्छा अवसर मिला। वहीँ नौकरी के कायदे-क़ानून सीखने का अवसर भी मिला। वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त श्री वज़ाहत हबीबुल्ला साहेब तब लक्षद्वीप के प्रशासक थे और वे ही मेरे पहले सर्वकार्यभारी अधिकारी थे। उनकी विनम्रता और सादगी आज भी याद आती है। लक्षद्वीप के कवरत्ती द्वीप से तिरुचिरापल्ली और वहाँ से मुंबई। मुंबई में सब कुछ मिला, माँ मुंबा का आशीर्वाद भी मिला, दोस्त मिले, फ़िल्मकार-लेखक-कवि-सहयोगी-विरोधी-प्रतियोगी... इनमें बहुत सारे अच्छे थे और कुछ ऐसे भी थे जो बेमेल थे।
जब एन सी ई आर टी में पढ़ रहा था तब भी व्यवहार कुशल नहीं था। अपने अध्यापकों का स्नेह तब भी पाया था। वे मेरी अव्यावहारिकता में कुछ अलग देखते थे जो जबरदस्त पढ़ाकुओं में नहीं होता था। मैंने मूर्खताएं भी कुछ कम नहीं की थीं। ये कहना ज्यादा सही रहेगा कि वह मेरा बिना लाग-लपेट वाला स्वाभाविक व्यवहार था। शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन डिप्लोमा पाठ्यक्रम की परीक्षा में हिंदी में लिखने वाला और विशेष योग्यता के साथ पास होने वाला शायद मैं पहला लड़का था। प्रोफ़ेसर सक्सेना जो राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा शुरू कराने वालों में से एक थे, हमारे विभागाध्यक्ष थे। डॉ बी० फालाचंद्रा हमारे कोर्स कोर्डिनेटर थे। कुल मिलाकर शैक्षिक मनोविज्ञान एवं परामर्श विभाग के लोग अपने क्षेत्र के जाने-माने विद्वान थे।
मैं हिंदी भाषा के प्रति पागल था मगर राजभाषा के रूप में हिंदी की कोई समझ नहीं थी। हिंदी शिक्षण योजना क्या है, राजभाषा विभाग क्या है? -इस सब की मुझे रत्ती भर भी जानकारी नहीं थी। मैं एक प्रशिक्षित परामर्शदाता बनकर हिंदी के लिए हिंदी शिक्षण योजना में चला आया।
आज बाईस बरस बाद यह सोचने का कोई अर्थ नहीं है कि मेरा निर्णय सही था अथवा गलत। मद्रास में पहली तैनाती हुई। दिल्ली से बहुत दूर जाने की सनक में मैं स्वेच्छा से लक्षद्वीप चला गया जहां कोई भी जाना नहीं चाहता था। वहाँ आत्मावलोकन का अच्छा अवसर मिला। वहीँ नौकरी के कायदे-क़ानून सीखने का अवसर भी मिला। वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त श्री वज़ाहत हबीबुल्ला साहेब तब लक्षद्वीप के प्रशासक थे और वे ही मेरे पहले सर्वकार्यभारी अधिकारी थे। उनकी विनम्रता और सादगी आज भी याद आती है। लक्षद्वीप के कवरत्ती द्वीप से तिरुचिरापल्ली और वहाँ से मुंबई। मुंबई में सब कुछ मिला, माँ मुंबा का आशीर्वाद भी मिला, दोस्त मिले, फ़िल्मकार-लेखक-कवि-सहयोगी-विरोधी-प्रतियोगी... इनमें बहुत सारे अच्छे थे और कुछ ऐसे भी थे जो बेमेल थे।
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9/11/2010 05:11:00 PM
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गणपति बाप्पा मोरिया...
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9/11/2010 07:09:00 AM
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Sep 10, 2010
"हिंदी पखवाड़े में हिंदी पर बवाल!" -दैनिक भास्कर से एक खबर
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9/10/2010 07:46:00 PM
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Sep 4, 2010
मगर क्या करूँ ‘कंट्रोल’ नहीं होता।
कुछ कहने पर तूफान उठा लेती है दुनियाँ… मगर क्या करूँ ‘कंट्रोल’ नहीं होता।
हिंदी की तनख्वाह से जो नित अँग्रेजी शराब का आनंद उठाते हैं और अँग्रेजी के प्रति जिनका मोह बस अँग्रेजी शराब के प्रति मोह जितना है… रोज मदिरापान के बाद नशाबंदी पर प्रवचन देना जिनकी लत है और हर शाम जिसकी भी मिल जाए मुर्गे, बकरे या भैंसे की टांग चबाने के बाद अहिंसा पर भाषण देकर नकदी प्राप्त करना जिनकी नियति है… जो हिन्दी के औपचारिक और अनौपचारिक ट्यूशन्स के लिए जाने जाते हैं… जिनके वाक्यों की संरचना कुछ ऐसी होती है -
“मैं जो आपको आठ आना दिया हूँ वो उनके कहने पर दिया हूँ“…
जो हिन्दी के बड़े ठेकेदार होते या कहे जाते हैं और दिन-रात हिंदी के नदी-नाले, पुल, बंकर आदि बनाने के बड़े-बड़े ठेके जिनके नाम पर छूटते हैं… सितंबर के महीने में जिनकी ठेकेदारी कुछ ज्यादा ही फलती-फूलती है… हर साल जो इस मौसमी महीने में सैंकड़ों हिंदी के पुल रेत के घरोंदों की तरह बनवाने का ढिंढोरा पीटकर फूली-फूली चुनते और चुगते हैं… अँग्रेजी की बेहद मरी-मरी सी लहरें जिनके बनाए तथाकथित पुल वगैरा को पल भर में मटियामेट कर देती हैं… जो अपने टेंडर हमेशा अँग्रेजी में भेजते हैं… जो अँग्रेजी की मोहर को रुतबे का प्रतीक मानते हैं तथा अँग्रेजी में लिखी अपनी नामपट्टिका को देखकर गद्गद हो जाते हैं… हिंदी की दुहाई देते हुए हिंदी भाषियों तक के हिन्दी मेँ भेजे गए पत्रों के जवाब में जो अँग्रेजी पत्रों द्वारा हिंदी में कामकाज करने के नुस्खे बताते हैं और यह सब वे हिंदी की सेवा के नाम पर करते हैं… हिंदी के साथ-साथ अँग्रेजी पर भी जिनकी पकड़ उतनी ही जबरदस्त और मजबूत है जितनी सड़क पर लावारिस पड़े केले के छिलके और उस पर अनजाने में पड़ जाने वाले किसी बदकिस्मत पैर की होती है…
हिंदी के ऐसे सदाबहार ठेकेदार महापुरुषों को मेरा प्रणाम।
उनके लिए क्या आप भी कोई संदेश देना चाहेंगे?
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9/04/2010 04:12:00 PM
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Sep 2, 2010
हिंदी के नए विद्यार्थियों के लिए कुछ उपयोगी सामग्री
अभी-अभी जिन्होंने हिंदी सीखना शुरू किया है उन विद्यार्थियों के लिए कुछ उपयोगी सामग्री नीचे दिए गए लिंक्स में उपलब्ध है।
Grammar New York University Virtual Hindi course एवं हिन्दी कॉर्नर से साभार
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9/02/2010 08:50:00 AM
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Sep 1, 2010
तीन बेहद उपयोगी ब्लॉग
सबसे पहले मोनू का धन्यवाद जिनके माध्यम से इन तीन ब्लोग्स की जानकारी मिली। अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो नीचे दिए गए लिंक्स से इन बहुपयोगी तीनों ब्लोग्स को देखना मत भूलिएगा। इनमें आल एक्ज़ाम गुरु अंग्रेजी में है तथा शेष दोनों हिंदी में।
All Exam गुरु
सामान्य ज्ञान हिन्दी में world General Knowledge
साहित्यालोचन
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साहित्यालोचन
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9/01/2010 09:01:00 PM
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