Jun 10, 2012

काश, शंघाई की टीम से हिन्दी में गोल्डफिंगर बना पाता!

अचानक परीक्षित का फोन आया- अंकल, नेट पर हो तो जल्दी से शंघाई के प्रीमियर की बुकिंग करा लो। मैंने उसके उकसाने पर 4 टिकटें बुक करा लीं।  आज चौथे दिन भी फिल्म दिमाग पर छाई है। चेन्नै में "लगे रहो मुन्ना भाई" के बाद सिनेमा हाल में यह पहली फिल्म थी जो मैंने देखी। फिर कल रॉवड़ी राठौर भी देखी।


आज शंघाई की दो समीक्षाएं डेक्कन क्रॉनिकल में पढ़ीं। प्रतिष्ठित एवं बेहद वरिष्ठ फिल्म समीक्षक ख़ालिद मोहम्मद ने फिल्म को 50% अंक दिए हैं। यदि मुझे इस पर असहमत होने का हक है तो उनके दिए अंकों से मैं शतप्रतिशत असहमत हूँ। दूसरी समीक्षा सुपर्णा शर्मा की है जो शंघाई को 90% अंक देती है। मैं सुपर्णा शर्मा की समीक्षा को काफी हद तक  सटीक मानता हूँ।
शंघाई फिल्म की शुरुआत जरूर थोड़े हिचकोलों के साथ होती है परंतु जब भूमिका बंध जाती है तो  फिल्म उड़ने लगती है। दर्शक उसकी गति से डरता है, सहमता है मगर उड़ान का पूरा मज़ा लेने का लोभ है कि लगातार बढ़ता जाता है। फिल्म का तकनीकी पक्ष जितना मजबूत है उतना ही कलाकारों का अद्वितीय अभिनय। पटकथा, गीत-संगीत, संपादन सब प्रशंसनीय है।



इमरान हाशमी के अभिनय को लेकर हमेशा मेरे मन में संशय रहा है (भाई संजय मासूम क्षमा करें) मगर शंघाई में उसने जोगी परमार को जिस तरह साकार किया है उससे मैं उसका मुरीद बन गया हूँ...



और अभय देओल का तो कहना ही क्या है! कृष्णन के किरदार में दूसरा कौन है जो इतना परफेक्ट हो सकता था? फारूख शेख के अभिनय पर कुछ कहना तो सूरज को दीपक दिखाने जैसा होगा, अभिनय की इतनी समझ भी मुझमें नहीं है कि उनके बारे में कुछ कह सकूँ।


लेकिन प्रोसेनजीत चटर्जी  ने अहमदी की भूमिका में पृथ्वीराज कपूर और सोहराब मोदी की गरजती आवाज और बलराज साहनी के अभिनय की याद ताज़ा कर दी। कालकी कोचलीन ने भी अपनी भूमिका के साथ बेइंसाफ़ी नहीं होने दी।


भग्गू की भूमिका में पितोबास  त्रिपाठी में मुझे एक और इरफान नज़र आया। निर्देशक दिबाकर बनर्जी को बधाई। 
कुल मिलाकर कह सकता हूँ कि अगर मुझे इस फिल्म की टीम को लेकर फिल्म बनाने के लिए कहा जाए तो बेहिचक मैं हिन्दी में "गोल्डफिंगर" बनाऊँ,  अभय देओल को जेम्स बॉन्ड (सियान कोन्नेरी  ) बना डालूँ, इमरान हाशमी को ओड्डजोब (हेरोल्ड सकाटा) और  प्रोसेनजीत चटर्जी को औरी गोल्डफिंगर (गेर्ट फ़ोरबे) की भूमिका दूँ। फिल्म देखने का मन है तो शंघाई जरूर देखें।  
-अजय मलिक

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