Apr 30, 2012

प्रवीण परीक्षा द्वितीय प्रश्न पत्र

[सुबह किए वादे के अनुसार प्रवीण परीक्षा का द्वितीय प्रश्न पत्र (नवम्बर 2011) संशोधित कर दिया जा रहा है ]



वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की Definitional Dictionaries तथा अंग्रेज़ी से हिन्दी शब्दार्थ की सुविधा

वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की Definitional Dictionaries तथा अंग्रेज़ी से हिन्दी शब्दार्थ की सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है।  हिन्दी से अँग्रेजी शब्दार्थ के लिए लिंक नीचे दिया जा रहा है। लिंक को क्लिक करें तथा चित्र में दर्शाए गए स्थान पर अँग्रेजी शब्द टाइप करें और फिर GO क्लिक करें -
                                http://www.cstt.nic.in/#


Definitional Dictionaries में 34 विषयों के पारिभाषिक कोश उपलब्ध हैं जिनमें विस्तृत परिभाषाएँ दी गई हैं। लिंक नीचे दिया जा रहा है-
              http://csttindia.in/

(वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग से साभार)

प्रवीण परीक्षा प्रथम प्रश्न पत्र

[ दूरदराज़ के इलाकों में कार्यरत कई मित्रों  की शिकायत थी कि प्रवीण परीक्षा का कोई प्रश्न पत्र 'हिन्दी सबके लिए' में नहीं दिया गया है। उनकी माँग पर प्रवीण परीक्षा नवम्बर 2011 के प्रथम प्रश्न पत्र की सामग्री दो पृष्ठों में संपादित कर दी जा रही है। द्वितीय प्रश्न पत्र की सामग्री भी एक-दो दिन में दे दी जाएगी।] 

Apr 24, 2012

जनाब वसीम बरेलवी जी की एक ग़ज़ल पेश है

अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा

तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा भी नहीं
मैं गिरा तो मसअला बनकर खड़ा हो जाऊँगा

मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा

सारी दुनिया की नज़र में है मेरी अह्द-ए-वफ़ा
इक तेरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा

-वसीम बरेलवी

हिंदी सीखने के लिए दो नए लिंक

1
बहुत दिन बाद आज फिर से दो नए लिंक निशुल्क हिंदी सीखने के लिए यहाँ दिए जा रहे हैं। पहला लिंक केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की वेबसाइट से आपको  जोड़ेगा। इस साइट पर आपको "ऑनलाइन हिंदी भाषा दक्षता प्रमाणपत्र पाठावली" मिलेगी। यह पाठ्यक्रम हिंदी शिक्षण योजना के पुराने प्रबोध,  प्रवीण पाठ्यक्रमों का संगम जैसा है। पाथावली मेन कुछ नूतन तथा आकर्षक प्रयोग किए गए हैं जिनका लाभ हिंदी शिक्षण योजना के प्रबोध, प्रवीण के प्रशिक्षार्थी भी उठा सकते हैं। एक बार जरूर आज़माएँ- बस एक क्लिक की ही तो बात है-

(सौजन्य केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा)

2
दूसरा लिंक केंद्रीय हिंदी निदेशालय के ऑनलाइन पाठ्यक्रम का है जिसे सीडैक ने तैयार किया है। राजभाषा विभाग के लीला हिंदी पाठ्यक्रम भी सीडैक ने ही तैयार किए हैं अत: कुछ समानता का एहसास अवश्य होगा। एक बार परखने में क्या जाता है-  
 (सौजन्य सीएचडी एवं सीडैक)
 

Apr 17, 2012

एक कहानी ऐसी भी.......

(यह कहानी श्री महेंद्र कुमार जी ने मुझे अप्रेल 2010 में ईमेल द्वारा भेजी थी। कहानी "बरहा देवनागरी" फॉन्ट में थी और मेरे लिए इसे यूनिकोड में परिवर्तित कर पाना एवरेस्ट फतह कर पाने जैसा हो गया। श्री जगदीप दाँगी जी से राजभाषा समूह पर एक पोस्ट आई जिसमें सुझाव दिया गया कि उनके द्वारा तैयार प्रखर देवनागरी फॉन्ट कन्वर्टर से बरहा फॉन्ट में बने दस्तावेज़ों को भी शत-प्रतिशत शुद्धता के साथ यूनिकोड में कन्वर्ट किया जा सकता है। प्रखर के डेमो वर्जन का प्रयोग मैं प्रशिक्षण के दौरान काफी समय से कर रहा था मगर आज मुझे प्रखर फॉन्ट कन्वर्टर की मूल प्रति प्राप्त हुई और परिणाम आपके सामने है।  दो साल बाद मैं अपने प्रयास में कितना सफल हुआ और प्रखर की प्रखरता कैसी है जरूर बताइएगा । श्री महेंद्र कुमार जी केंद्रीय विद्यालय सीएलआरआई, चेन्नई में हिन्दी शिक्षक हैं, किसी जमाने में इप्टा से जुड़े रहे हैं और हाल ही में उनकी एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई है।      -अजय मलिक )
एक कहानी ऐसी भी.......

                   महेन्द्र कुमार

शहर का 'इलियट बीच'..... शाम का समय । अक्सर वहाँ सुबह-शाम सैलानी आते । बड़ी चहल-पहल रहती, रौनक रहती । यही वह उपयुक्त जगह थी जिसके एक कोने में बैठकर वे दोनों दोस्त घंटों समय बिताते । यह उनके मिलने और सुख-दुख बाँटने के लिए शायद इस शहर का सर्वाधिक सुरक्षित कोना था । आज भी बड़े उत्साह के साथ शर्मा जी ने आवाज लगाई थी उन्हें, टहलने में साथ देने के लिए । लेकिन पता नहीं क्यों मास्टर साहब ने अपना उत्साह ही नहीं दिखाया । सूनी आँखों से समुद्र की उठती-गिरती लहरों को निहारते हुए उन्होंने शर्मा जी को ही अपने पास बुलाया...... और बैठने के लिए कहा । शर्मा जी ने देखा कि वे काफी उदास और गुमसुम बैठे हैं । इसलिए उन्हें निराश न करने की इच्छा से सोचा कि चलो थोड़ी देर बैठकर गपशप कर लेते हैं फिर......। यह सोचकर कि  "जे न मित्र दुख होहिं दुखारी, तिन्हहीं बिलोकत पातक भारी", बैठ गए । और पूछा कि आखिर बात क्या है? क्यों आज बड़े गंभीर बने बैठे हैं? कहीं स्कूल में किसी से अनबन तो नहीं हो गई? वैसे स्वभाव से मास्टर साहब बड़े ही धीर-गंभीर व्यक्ति  थे ।

       "नहीं । अनबन क्यों होगी"- बड़ा संक्षिप्त सा उत्तर दिया उन्होंने । तो आखिर वजह क्या है इस गंभीरता की? शर्मा जी ने फिर से सवाल किया ।

Apr 15, 2012

ये कभी भी जाति का विनाश नहीं होने देगें -हस्तक्षेप.कॉम

उपर्युक्त विषय पर हस्तक्षेप . कॉम  पर एक बेहद विचारोत्तेजक लेख है जिसका लिंक निचे दिया जा रहा है-


http://hastakshep.com/?p=17419

Apr 5, 2012

ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है

(जनाब वसीम बरेलवी की एक ग़ज़ल कविताकोश से साभार)


उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी है
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है

मैं क़तरा होके तूफानों से जंग लड़ता हूँ
मुझे बचाना समंदर की जिम्मेदारी है

कोई बताये ये उसके गुरूर-ए-बेजा को
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है

दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है

-वसीम बरेलवी

यदि लैड्ग्वेज बार अक्षम (डिसेबिल) हो जाए ...

कंप्यूटर पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में कामकाज का प्रशिक्षण पूरा करके गए एक मित्र ने अपने कंप्यूटर के  विंडोज एक्सपी में भारतीय भाषाएँ यूनिकोड सक्रिय कर लिया। उन्होंने आईएमई-1 तथा माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैड्ग्वेज इनपुट टूल भी इन्स्टाल कर लिया किन्तु टास्क बार पर EN नहीं दिखाई दिया। उन्हों ने फोन पर संपर्क किया तो हमने लैड्ग्वेज बार क्लिक करने के लिए कहा तो जवाब आया लैड्ग्वेज बार तो डिसेबिल है - (नीचे दी गई तस्वीर देखें )



उनके जवाब से थोड़ी उलझन हुई। उनसे निवेदन किया कि जरा एडवांस्ड विकल्प क्लिक करें और नीचे दिए गए चित्र में सिस्टम कोन्फ़िग्रेशन का जो चयन हुआ दिखाई दे रहा  है उसे रद्द यानी डिसलेक्ट करें - 




अब अप्लाई और OK क्लिक करें। अब आपकी लैड्ग्वेज बार नीचे दिए चित्र की तरह सक्रिय हो जाएगी-

अब लैड्ग्वेज बार क्लिक करें और इस विषय पर हमारे 19 अक्तूबर 2011 के आलेख के अनुसार आगे बढ़ें। बस आपकी समस्या का समाधान हो गया।