किसी गीत की छांव तले
कितने शहरों तक गाँव चले
सब छूट गए पीपल पीछे
जब हाँफे-हारे पाँव चले
पनघट पनचक्की पतनाले
सब खेत गए लालावाले
न पछुवा चली न पुरवाई
झूले से रूठी अंगड़ाई
ओसारे का छप्पर छूटा
घर लुटा द्वार टूटा फूटा
बाबा की वह टूटी खटिया
जाने किसने लूटी बछिया
जिसने जो देखा छीन लिया
टूटा-फूटा तक बीन लिया
सब बदल गए इंसान भले
कितने शहरों तक गाँव चले
-अजय मलिक (c)
कितने शहरों तक गाँव चले
सब छूट गए पीपल पीछे
जब हाँफे-हारे पाँव चले
पनघट पनचक्की पतनाले
सब खेत गए लालावाले
न पछुवा चली न पुरवाई
झूले से रूठी अंगड़ाई
ओसारे का छप्पर छूटा
घर लुटा द्वार टूटा फूटा
बाबा की वह टूटी खटिया
जाने किसने लूटी बछिया
जिसने जो देखा छीन लिया
टूटा-फूटा तक बीन लिया
सब बदल गए इंसान भले
कितने शहरों तक गाँव चले
-अजय मलिक (c)
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