Jan 14, 2010

सभी को पोंगल और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं


जिसको जैसे मिले राम जी उसने वैसे पाए।
जब-जब नैया फँसी भंवर में, तब-तब पार लगाए।
वह सतयुग का दौर आज कलयुग में भी भरमाए।
खाली हांड़ी चढ़ी चूल्हे में किससे आग जलाए ।
दाल-भात का स्वाद याद कर पति-पत्नी मुस्काए।
पानी तक बेमोल कहाँ, फिर कैसे पोंगल खाए ।





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