यदि अँग्रेजी प्राध्यापक अँग्रेजी विषय की बजाय हिंदी साहित्य में एम. ए. हो और अँग्रेजी उसने केवल बी. ए. तक पढ़ी हो, तो क्या उसे अँग्रेजी में एम.फिल. के विद्यार्थियों के गाइड के रूप में नियुक्त किया जा सकता है?
मानता हूँ कि यह प्रश्न बेहद अटपटा है और स्वयं मुझे मूर्ख साबित करने के लिए पर्याप्त है, मगर दुर्भाग्य यही है कि मैं जहाँ केवल प्रश्न कर रहा हूँ, वहीं एक बेहद प्रबुद्ध संस्था ने हिंदी प्राध्यापकों के लिए हिंदी या अँग्रेजी में से किसी में भी एम.ए. होना पर्याप्त मान लिया है। घटना लगभग सवा आठ साल पुरानी है और एक तथाकथित विश्व विख्यात हिंदी के विद्वान के संबन्धित संस्था के निदेशक रहते हुई अंजाम तक पहुंचाई गई है।
इसमें कोई शक नहीं कि मेरा भारत महान है और सदैव रहेगा भी, मगर जिसने एम ए तक हिंदी न पढ़ी हो ऐसा अँग्रेजी में स्नातकोत्तर उपाधि धारक, अनेक विश्वविद्यालयों के एम ए हिंदी के स्तर के पाठ्यक्रम को पढ़ाने में न्याय तो कदापि नहीं कर पाएगा।
जय गोपाल।
-अजय मलिक
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