Feb 18, 2013

कुछ रोशन करूँ - अजय मलिक

जलना ही है तो

दिये की लौ बनूँ

कुछ रोशन करूँ
 
थोड़ी तपन दूँ

 -अजय मलिक

2 comments:

  1. बहुत खूब उत्कर्ष रचना
    मेरी नई रचना
    फरियाद
    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
    दिनेश पारीक

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  2. प्रिय श्री admin बंधु,
    आपके स्नेह के लिए आभारी हूँ। हमारा यह ब्लॉग किसी भी व्यावसायिक सोच से परे है तथा हमारी राजभाषा हिन्दी और मेरी मातृभाषा हिन्दी के निशुल्क प्रचार-प्रसार के लिए है। किसी भी तरह के आर्थिक लाभ के लिए यह ब्लॉग नहीं बनाया गया है।
    सादर

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