23 नवम्बर से गोवा में शुरू हो रहे भारत के 42वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के भारतीय पैनोरमा खंड में कुल 24 कथा फिल्में तथा 21 गैर-कथा फिल्में दिखाई जाएँगी। मशहूर फिल्मकार सई परांजपे की अध्यक्षता में गठित जूरी के 10 सदस्यों ने 21 दिन की मशक्कत के बाद 118 फिल्मों में से कुल 23 फिल्मों का चयन भारतीय पैनोरमा खंड के लिए किया। इसी के साथ इस वर्ष की सर्वश्रेष्ठ कथा फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजी गई निर्देशक सलीम अहमद की मलयालम प्रस्तुति 'आदामिन्टे मकन अबु' को परंपरानुसार सीधे प्रवेश मिला। कुल चौबीस कथा फिल्मों में से सर्वाधिक 7 मलयालम फिल्में हैं।
इस खंड में जहाँ हिन्दी, बांग्ला तथा मराठी की तीन-तीन फिल्में हैं वहीं असमिया, कन्नड़, भोजपुरी, कोंकणी, मणिपुरी, अंग्रेज़ी, तमिल तथा तेलुगु की मात्र एक-एक फिल्में ही स्थान बना सकीं। इस खंड की हिन्दी फिल्मों में हैं- निर्देशक प्रवीण डबास की "सही धंधे गलत बंदे";तिगमांशु धूलिया निर्देशित "शागिर्द" और जोया अख्तर निर्देशित " ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा"।
इस खंड में जहाँ हिन्दी, बांग्ला तथा मराठी की तीन-तीन फिल्में हैं वहीं असमिया, कन्नड़, भोजपुरी, कोंकणी, मणिपुरी, अंग्रेज़ी, तमिल तथा तेलुगु की मात्र एक-एक फिल्में ही स्थान बना सकीं। इस खंड की हिन्दी फिल्मों में हैं- निर्देशक प्रवीण डबास की "सही धंधे गलत बंदे";तिगमांशु धूलिया निर्देशित "शागिर्द" और जोया अख्तर निर्देशित " ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा"।
गैर कथा फिल्मों के लिए लेखक-निर्देशक अशोक राणे की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय जूरी ने 135 फिल्मों में से जिन 21 फिल्मों का चयन किया है उनमें सर्वाधिक 6 फिल्में हिन्दी भाषा की हैं। इसके अलावा अंग्रेज़ी की 4, बांग्ला, मणिपुरी, गुजराती तथा मराठी भाषा की एक-एक तथा शेष मिश्रित भाषा में बनी फिल्में हैं।
-अजय मलिक
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