“सेन्सस ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉईस” यानी केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों की जनगणना, एक रिपोर्ट हैजिसे भारत सरकार, श्रम मंत्रालय, रोजगार एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय, जामनगर हाउस, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2003 में प्रकाशित किया गया। इसमें केंद्रीय सरकार के सिविलियन कर्मचारियों के 31 मार्च 2001 तक के आँकड़े दिए गए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001 में पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्रीय सरकार के नियमित कर्मचारियों की संख्या कुछ इस प्रकार थी-
असम -76,500; मणिपुर-4,800; मेघालय-16,600; नागालेंड-6,700; सिक्किम-400; त्रिपुरा-7,200; अरुणाचल प्रदेश-2000; मिजोरम-800 यानी कुल 1,15,000 केंद्रीय सरकार के नियमित कर्मचारी/ अधिकारी थे। इन आँकड़ों का अगर थोड़ा और विश्लेषण किया जाए तो असम और मेघालय को छोड़कर शेष संपूर्ण पूर्वोत्तर राज्यों में कुल 21,900 केंद्रीय सरकार के नियमित कर्मचारी/ अधिकारी थे। ये किसी एक राज्य विशेष के रहने वाले न होकर सभी राज्यों के विभिन्न भाषा-भाषी समुदाय के होने चाहिए।
उपर्युक्त रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2001 में पॉण्डिचेरी में 5,200 नियमित केंद्रीय सरकार के कर्मचारी थे। गोवा, दामन दीव में 5,900; दादरा नगर हवेली में 2,600; जम्मू-काश्मीर में 28,000 केंद्रीय सरकार के कर्मचारी थे।
वर्ष 2001 में बिहार में 1,80,200; छत्तीसगढ़ में 45,500; हरियाणा में 31,000; हिमाचल प्रदेश में 16,500; मध्यप्रदेश में 1,61,700; पंजाब में 79,000; राजस्थान में 1,64,700; उत्तर प्रदेश में 3,95,600; उत्तरांचल में 27,500; चंडीगढ़ में 16,900; अंडमान-निकोबार में 4,800 केंद्रीय सरकार के नियमित कर्मचारी थे।
यदि पिछले वर्षों में विभिन्न पदों में हुई कटौती पर विचार किया जाए तो वर्ष 2011 तक इस संख्या में कुछ प्रतिशत कमी आनी चाहिए?
मेरी जिज्ञासा का विषय यह है कि उपर्युक्त कर्मचारियों तथा अधिकारियों में कितने हिंदीभाषी अथवा हिन्दी जानने वाले रहे होंगे?
जिस रिपोर्ट के आधार पर यह आलेख तैयार किया गया है, उसका लिंक नीचे दिया जा रहा है-
- अजय मलिक
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