जनगणना के आंकड़ों के अनुसार पिछले 10 वर्षों में हिन्दी को मातृभाषा मानने वालों की संख्या 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हिन्दी के अतिरिक्त केवल तीन ही अन्य भाषाएँ क्रमश: गुजराती, कश्मीरी और मणिपुरी हैं जिनके बोलने वालों की संख्या मामूली तौर पर बढ़ी है। यह घबराहट का विषय है कि तमिल, मलयालम जैसी समृद्ध भाषाओं के बोलने वालों का प्रतिशत घटा है। हमें भारतीय भाषाओं के भविष्य को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता है।
सौजन्य : जनगणना निदेशालय