जी हाँ,
ऐसे कई काम और वादे हैं जो अधूरे हैं। इनमें सबसे ताज़ा है पारंगत पाठ्यक्रम की पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने का वादा... समय लगेगा इसमें। कोलकाता में समय मिलता है यदि दफ्तर में हूँ मगर अभी तक सही से रहने का प्रबंध नहीं हो पाया था। अब घर मिल गया है मगर बिजली का जुड़ाव बाकी है। अगले हफ्ते यह काम भी कराना है। जब कोलकाता में रहना है तो क्यों न सही से रहा जाए ! लैपटॉप बिना बिजली के कितनी देर चलेगा !
वैसे कभी-कभी अकीरा कुरोसोवा की लघु फिल्म " आ विलेज ऑफ वाटरमिल्स " की याद आती है तो सोचता हूँ- क्या वाकई बिना बिजली के नहीं रहा जा सकता है? खिड़कियों से इतनी तो रोशनी आ ही जाती है कि अपना साया नज़र आ सके! रात को थोड़ी देर मोमबत्ती जलाने से काम चल जाता है। सिर्फ मोबाइल चार्ज़ करने की समस्या के और कोई समस्या नहीं है बिना बिजली के...
कोलकाता में दिन जल्दी निकल आता है अत: सुबह पाँच- साढ़े पाँच बजे रोशनी से पूरा घर भर जाता है। खाना बाहर खाता हूँ...कुल्हड़ वाली पचास मिलिलीटरी चाय जो पाँच रुपए में मिलती है, दो कुल्हड़ के बिना तो होठ भी गीले नहीं होते...इस बात से खुंदक होती है कि कभी एक टके में गला तर कर देने वाली कोलकतिया चाय इतनी बेस्वादा कैसे हो गई!! पर हो गई तो हो गई...क्या कीजिएगा। फुटपाथ पर है तो और जब तक रसीली फुटपाथ पर चाय वालों का कब्ज़ा है तब तक बिन बारिश भी कोलकाता की सड़कों के किनारे हमेशा गीले रहने को विवश हैं।
मैगी के पीछे पड़ जाने वाली व्यवस्था कभी कोलकाता की फुटपाथ के भोजन का निरीक्षण-परीक्षण करने का साहस क्योंकर नहीं जुटा पाती? पता नहीं खाद्य-निरीक्षक बंधु कोलकाता की सड़कों पर कभी भी क्यों नहीं चलते...वैसे बिना चले भी कार-वार से भी सब दिखता है मगर काम के भार से थके निरीक्षकगण कोलकाता की सड़कों पर अगर चलते हैं तो भी निद्रा में चूर होते हैं।
मैं भी अक्सर दोपहर का भोजन फुटपाथियों से ही पाता हूँ। भारतीय हूँ तो सब डकार जाता हूँ। मैं विशुद्ध शाकाहारी हूँ बस इतना ही पंगा है। अवार्ड शवार्ड कभी कोई मिला नहीं इसलिए लौटाने वगैरा जैसे कई पंगों से बचा हुआ हूँ... वैसे लोग जानते हैं कि मैं कुछ भी लौटाने वालों में से नहीं हूँ...सच तो ये है कि जितने भी लौटाए गए हैं मैं बाइज्जत, बिना शर्त, पुरस्कार राशि सहित उन सभी को स्वीकारने को तैयार हूँ। सरकार चाहे तो ऐसे सभी पुरस्कारों को रखने के लिए एक छोटा दो-तीन मंज़िला घर भी साथ में दे सकती है। घर नहीं तो फ्लैट भी चलेगा। ऐसी छोटी-मोटी बातों से मुझे कोई एतराज़ नहीं है।