देवनागरी लिपि और हिंदी वर्तनी का भारतीय मानक अगस्त, 2012 में तैयार किया गया था। अनेक महान हिंदी विद्ववानों के अथक परिश्रम और समर्पण के बाद भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी आईएस/IS 16500 : 2012 की प्रति रुपए 180.00 में प्राप्त की जा सकती है। हमारे विद्वजन काम पूरा कर मुक्त हो जाते हैं और फिर पलटकर कभी नहीं देखते। मैं महा अज्ञानी सभी से क्षमा प्रार्थना के साथ निवेदन करना चाहता हूँ कि यदि कोई व्यक्ति अर्थात हिंदी लेखक या साहित्यकार या पत्रकार या सरकार या कवि या उपन्यासकार ...गद्यकार या पद्यकार ... --कार या ---कार मानकीकृत हिंदी लिपि या हिंदी वर्तनी का प्रयोग नहीं करता है तो
क्या उसपर बीआईएस मानकों के उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
ढेर सारे और भी कष्ट हैं -
जैसे -
उपर्युक्त मानक के पैरा- 3.4.2 में छ के लेखन की विधि और मानक अक्षर छ में कोई समानता क्यों नहीं है?
पैरा 4.2 कारक चिह्न या परसर्ग शीर्षक के तहत मानकीकृत रूप में मुझको सही है मुझ को गलत है। संदेह इस बात पर है कि मुझे किस खेत की मूली है - यह नहीं बताया गया है। यदि किसी को हमारी बेटी लिखना है तो मानकीकृत रूप में शायद (!) हमकी बेटी लिखा जाना चाहिए...
वगैरा-वगैरा ...
सभी विद्वाजनों से, मैं जो पीछे रह गया हूँ, उसे नहीं, उसको, एक बार पीछे मुड़कर देखने और देवनागरी के मानकीकृत मानकों पर फिर से एक नज़र डालने की प्रार्थना है...
- अजय मलिक