Feb 7, 2014

"पर्दे पर्दे में बहुत मुझ पे तेरे वार चले" - मुबारक अज़ीमाबादी

पर्दे पर्दे में बहुत मुझ पे तेरे वार चले
साफ़ अब हल्क़ पे ख़ंजर चले तलवार चले

दूरी-ए-मंज़िल-ए-मक़सद कोई हम से पूछे
बैठे सौ बार हम उस राह में सौ बार चले

कौन पामाल हुआ उस की बला देखती है
देखता अपनी ही जो शोख़ी-ए-रफ़्तार चले

बे-पिए चलता है यूँ झूम के वो मस्त शबाब
जिस तरह पी के कोई रिंद-ए-कद़ह-ख़्वार चले

चश्‍म ओ अब्रू की ये साज़िश जिगर ओ दिल को नवेद
एक का तीर चले एक की तलवार चले

कुछ इस अंदाज से सय्याद ने आज़ाद किया
जो चले छुट के कफ़स से वो गिरफ़्तार चले

जिस को रहना हो रहे क़ैदी-ए-ज़िंदाँ हो कर
हम तो ऐ हम-नफ़सो फाँद के दीवार चले

फिर ‘मुबारक’ वही घनघोर घटाएँ आई
जानिब-ए-मै-कदा फिर रिंद-ए-क़दह-ख़्वार चले
-मुबारक अज़ीमाबादी  

Feb 6, 2014

लीला प्रबोध ऑनलाइन परीक्षा के लिखित भाग की परीक्षा के लिए मॉडल प्रश्न पत्र -3


1. सुंदर लिखावट में लिखिए-
जाने माने फिल्म एवं रंगमंच कलाकार नसीरुद्दीन शाह का कहना है कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालयों (एनएसडी) जैसे बड़े संस्थानों की अपेक्षा क्षेत्रीय नाट्य विद्यालयों (थिएटर स्कूलों) को बढ़ावा देने की जरूरत है। एनएसडी के पूर्व छात्र और बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक नसीरुद्दीन ने स्पष्ट किया कि बड़े नाट्य विद्यालय अपने संस्थानों की चार दीवारी में अपने छात्रों को उनके शिल्प से अवगत कराने में असफल रहे हैं।
2. नीचे दिए गए पैरा के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में हामिश रदरफोर्ड को आउट करके टेस्ट क्रिकेट में 150 विकेट पूरे किये। ईशांत ने 154वें टेस्ट मैच में यह उपलब्धि हासिल की। जहीर खान के बाद वह भारत के सबसे अधिक अनुभवी तेज गेंदबाज हैं। कपिल देव, जवागल श्रीनाथ और जहीर के बाद ईशांत चौथे भारतीय तेज गेंदबाज हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 150 से अधिक विकेट लिये हैं।
1. ईशांत शर्मा कैसे गेंदबाज हैं?
2. ईशांत शर्मा ने पहले टेस्ट मैच में किसके खिलाफ, किसे आउट किया?
3. ईशांत ने 154वें टेस्ट मैच में क्या हासिल किया ?
4. टेस्ट क्रिकेट में 150 से अधिक विकेट लेने वाले 4 गेंदबाज कौन - कौन हैं?
5. जहीर खान के बाद भारत के सबसे अधिक अनुभवी तेज गेंदबाज कौन हैं?
3. निम्नलिखित में से किसी एक पाठ के बारे में 10 वाक्य लिखिए-
बिहू पर्व           भारत देश         पिकनिक
4. निम्नलिखित में से किसी एक के बारे में हिन्दी में 10 वाक्य लिखिए-
नई दिल्ली        अण्णा सालै       कोलकाता
5. निम्नलिखित में से किन्हीं 5 शब्दों को देवनागरी लिपि में लिखिए-
Noting    Duty     Bonus    Normal    Lift       
Income   Film    Posting    High     Typing    
Union    Recover

हम वही देखते हैं, जो देखना चाहते हैं

एक आलेख में अभी अभी एक मनोवैज्ञानिक उक्ति पढ़ी- "हम वही देखते हैं, जो देखना चाहते हैं"। यदि रावण या कंस कोई अच्छी बात कहें तो हम उस अच्छी बात को नहीं देखते बल्कि रावण और कंस को देखते हैं और अच्छी बात अनदेखी रह जाती है। मैंने रावण या कंस को नहीं देखा मगर एक तस्वीर है जो रावण और कंस की मेरे मन में बनाई जा चुकी है अत: बिना रावण और कंस को देखे, बिना रावण और कंस को आजमाए-परखे मेरे दिमाग में एक पूर्वाग्रह है जो स्वत: ही रावण एवं कंस को ऐसे व्यक्तित्व बना देता है जो अच्छी बात कह ही नहीं सकते और इसके बाद मैं या हम रावण और कंस की अच्छी या बुरी बात पर विचार करने की बजाय  हमारे मस्तिष्क में विद्यमान रावण और कंस के सिर्फ कुरूप रूप को देखने तक सीमित हो जाते हैं। ऐसे अनेक लोग हैं जिनसे मैं कभी नहीं मिला, उनसे कभी बात तक नहीं हुई मगर उनकी कल्पना में मेरी एक तस्वीर है जो बड़े ही करीने से बनाई गई है। वह तस्वीर मेरे वास्तविक अच्छे या बुरे व्यक्तित्व की तुलना में हजारों गुना मज़बूत है। अगर मैं उनसे मिलता हूँ तब भी वे मुझे नहीं देखते बल्कि अपने दिमाग में पहले से मौजूद मेरी कृत्रिम मगर ठोस तस्वीर को देखते हैं। 
यही स्थिति जातिवाद की है। इंसान और उसके गुण या अवगुण अपनी जगह हैं मगर उनकी पहले से बनाई जा चुकी और निरंतर बनाई जा रही छवियाँ अपनी जगह हैं। फिर भी छवियों की अमिट छाप इतनी प्रबल है कि हमारा स्वभाव छवियों तक सीमित होकर रह गया है। एक पुरानी देहाती कहावत है- सूत न बुनाई, कोली से लट्ठमलट्ठा। मैं अपने बारे में इस बारे में बेहद पूर्वाग्रह देखता हूँ। यह भी हो सकता है मेरे ही दिमाग में  कोई ऐसा पूर्वाग्रह अथवा कृत्रिम छवि लोगों की बन गई हो कि लोग मेरे बारे में सिर्फ पूर्वाग्रह रखते हैं। अभी पिछले दिनों एक अपरिचित मित्र ने एक शपथपत्र नुमा दस्तावेज़ में कह दिया कि भारत की राजधानी बगदाद है। मैंने उन तक सूचना भिजवाई कि शायद किसी भूल वश उन्होंने शपथपत्रनुमा दस्तावेज़ में गलत सूचना दे दी है और वे दूसरा शपथ पत्र देकर पुराने को ले जाएँ। मगर जनाब उन्हें यह बात इतनी बुरी लगी कि मुझे संसार का सबसे गंदा, दुराचारी, घृणित, समस्याएँ पैदा करने वाला ...और न जाने क्या-क्या कह डाला। मैंने अंतत: उनका शपथपत्रनुमा दस्तावेज़ पंचायतनुमा जगह जमा करा दिया। अब देखना यह है कि पंचायतनुमा जगह क्या निर्णय होता है क्योंकि वहाँ भी महत्वपूर्ण तथ्य भारत की राजधानी का बगदाद की जगह नई दिल्ली होना नहीं है बल्कि पूर्वाग्रह ग्रस्त एक रावण या कंस की मानिद बनाई गई मेरी बेहद मजबूत और करीने  से तराशी गई कृत्रिम तस्वीर है जिसे पचासों लोगों द्वारा बड़ी मशक्कत से रोज सुपर रिन की सफेदी की चमकार से भी अधिक चमकीला बनाने की कोशिश की जाती है। मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा आदमी नहीं हूँ और न ही डॉक्टर-वाक्टर जैसा कुछ हूँ -फिर भी कारलाइल का एक कथन मेरे दिमाग में हमेशा घूमता  रहता है- "आँख उसी को देखती है,जिसमें यह क्षमता हो कि वह आँख को दिखा दे"। 
-अजय मलिक