Dec 24, 2014

हिन्दी सीखने के लिए कुछ और नए-पुराने लिंक्स

मित्रों,
हिन्दी सीखने के लिए कुछ और नए-पुराने लिंक्स नीचे दिए जा रहे हैं-



Dec 23, 2014

विंडोज़ 10 की सैर

आइए विंडोज़ 10 की सैर कराता हूँ। हिन्दी के मामले में लगभग विंडोज़ 8.1 की तरह है। इंडिक 3 यानी आई एम ई 3 काम कर रहा है और यह पोस्ट में फोनेटिक की बोर्ड से विंडोज़ 10 में टाइप कर रहा हूँ. माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैड्ग्वेज इनपुट टूल्स भी धड़ल्ले से काम कर रहा है। इसमें भी माइक्रोसॉफ्ट इंडिक लैड्ग्वेज इनपुट टूल्स को इंस्टाल करने के लिए NET FRAMEWORK 2.0 अथवा 3.5 पहले इंस्टाल करना जरूरी है। एम एस ऑफिस 2007 के भी सभी फीचर्स काम कर रहे हैं । लीला हिन्दी प्रबोध आदि सॉफ्टवेयर भी अच्छी तरह काम कर रहे हैं। कुछ मात्राएँ जो विंडोज़ एक्सपी वगैरा में साफ दिखाई नहीं देती हैं वे भी इसमें खूब साफ़ दिखाई दे रहीं हैं।
बाकी नीचे दिए गए स्क्रीन शॉट्स से अनुमान लगाइए -







Nov 6, 2014

आपका मनचाहा कुंजीपटल आलेख पुन: अद्यतन करने का प्रयास किया गया है।

आपका मनचाहा कुंजीपटल आलेख एक बार फिर से संशोधित और अद्यतन करने का प्रयास किया गया है। लिंक नीचे दिया जा रहा है-

Sep 23, 2014

:: भारत का पैंतालीसवाँ अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव गोवा में :: :: 20 से 30 नवंबर 2014 तक ::

आप भी आइए, आपकी नुमाइंदगी का इंतज़ार है
पंजीकरण का लिंक नीचे दिया जा रहा है-


Sep 12, 2014

हिन्दी दिवस पर माननीय गृह मंत्री जी के संदेश का आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से सीधा प्रसारण होगा : राजभाषा विभाग

राजभाषा डॉटजीओवी डॉट इन के सौजन्य से

Sep 5, 2014

जाइए आप कहाँ जाएंगे, हिन्दी फिर लौट के छा जाएगी :: गूगल का ऑनलाइन हिन्दी श्रुतलेखन और वह भी बिलकुल मुफ्त :: अब तो दिल से हिन्दी दिवस मनाइए और हो सके तो सच्चे मन से मुस्कुराइए

कॉन कहता हे कि आसमान मेँ सुराख नहीँ हो सकता कॉन कहता हे कि आसमान मेँ सुराख नहीँ हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो दोस्तो यह आश्चर्य जनक बात हे की जो काम हम करने के बारे मेँ सिर्फ सोचते रहे उसे गूगल ने कर डाला हे हिंदी मेँ बोलिए सिर्फ मेरे लिए हिंदी मे सिर्फ बोलते चले जाइए एक माइक्रो फोन लगाइए गूगल ट्रांसलेट न जाइए स्रोत भाषा हिंदी ० एक माइक्रोफोन एकॉन आपको दिखाई देगा उस माइक्रोफोन एकॉन को क्लिक कीजिए ओर गूगल ट्रांसलेट को माइक्रोफोन इस्तेमाल करने की अनुमति दीजिए ओर बस डिक्टेशन शुरु कीजिए आपको जो भी बोलना हे बोलते चले जाइए गूगल ट्रांसलेट का यह लेख खान सॉफ्टवेयर यह गूगल ट्रांसलेट की हसरत लेकर सुविधा आपके द्वारा बोली गई हिंदी को दनादन टाइप करती चली जाती हे ये सुविधा निशुल्क हे आपको सिर्फ ब्लड बंक कनेक्शन चाहिए broadband कनेक्शन इंटरनेट का ब्रांड बेंड कनेक्शन चाहिए अगर आपके पास गार्डन कनेक्शन हे तो फिर आप हिंदी टाइपिस्ट या हिंदी आशुलिपिक के बारे मेँ सोचना छोड़ दीजिए मुझे नहीँ लगता हे की कोई भी हिंदी टाइपिस्ट या हिंदी आशुलिपिक इतना अच्छा डिक्टेशन हिंदी का ले सकता हे ये सब मेँ आपके सामने १ नाईट लगाकर बोल रहा हूँ नई एकमत लगाकर यह सब बोल रहा हूँ ओर पहली बार बलराम आप देख सकते हेँ कि पहली बार बोलने पर भी सॉफ्टवेयर कितने कमाल का लिखते सुन रहा हे ओर मेरी गति भी बहुत धीमी नहीँ हे मेँ काफी तेजी से बोल रहा हूँ ओर प्रतिमिनट मुझे लगता हे कि इससे ज्यादा शब्द मेँ बोल रहा हूँ ओरिया सॉफ्टवेयर लगातार बिना किसी संकोच के दनादन टाइपकर्ता जा रहा हे इससे ज्यादा ओर आपको क्या चाहिए स्क्रीनशॉट्स आप देख सकते हेँ ओर इस सुविधा का लाभ उठाकर हिंदी के महीने मेँ हिंदी दिवस हिंदी सप्ताह ऑफ हिंदी पखवारा मनाने की सिर्फ ओपचारिकता से बाहर आकर कुछ नया करने की कोशिश करेँ मित्रोँ जब हमारे पास तकनीकी बाधाएँ नाम की चीज ही नहीँ बची हे तो फिर मन को थोडा बदल लिए मन को हिंदी मेँ क्या कीजिए हिंदी मे माँ को आना चाहिए हिंदी में अपने मन को डुबो डालिए एक बार आपके मन हिंदी से जुड़ गया तो फिर सारी चीजेँ सत्ता होती चली जाए मुझे उम्मीद हे कि आप सॉफ्टवेयर का सही से प्रयोग करेंगे मेँ बिना किसी संशोधनके यह टेक्स यह पाठ आपके सामने रख रहा हूँ आपको केसा लगा अपनी प्रतिक्रिया जरुर दीजिए बहुत बहुत धंयवाद
आपका
अजय मलिक


Sep 3, 2014

हिन्दी दिवस पर माननीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह का संदेश


सौजन्य : राजभाषा विभाग डॉट जीओवी डॉट इन 

Aug 31, 2014

आखिर क्या लिखूँ !!

अगस्त 2014 का अंतिम दिन है और मैं चुप हूँ। अगस्त में एक भी पोस्ट नहीं ! कुछ भी नहीं ...एक अजीब सी बोरियत...सभी कुछ से विरक्ति...यह कोई अच्छा लक्षण तो नहीं है। अजीब सा दौर है ये। लगता है कि सांस लेने पर भी पाबंदी है। तीन दिन की छुट्टियों में बहुत सारा काम करना था मगर कुछ भी नहीं हुआ। अब जिंदगी शायद यूं ही निकल जाएगी।

Jul 18, 2014

एण्ड्रोयड फोन पर कुछ और हिंदी-हिन्दी हो जाए -

आइए मुफ्त में हिंदी-हिंदी हो जाए
अपना फोन निकालिए और शुरू हो जाइए

अरे बाबा हिन्दी ही तो है
लिंक क्लिक तो कीजिए
डाउनलोड़िए, इंस्टालिए
और बस
शुरू हो जाइए  -





एण्ड्रोयड फोन पर हिन्दी की पढ़ाई, हिंदी व्याकरण और हिन्दी के लिए और भी बहुत कुछ

थक गया हूँ

थक गया हूँ
मन में अब
कोई ललक
बाकी नहीं है
आदमी को
जानने की
कोशिशों से
छक गया हूँ
तन में अब
कोई कसक

बाकी नहीं है 

- अजय मलिक (c)

::::: राजभाषा विभाग की वेबसाइट का नए युग में प्रवेश :::::: हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है


Jul 12, 2014

एक उम्मीदवार का साक्षात्कार -

एक उम्मीदवार का साक्षात्कार -
प्रश्न : आपने ज़िन्दगी में कोई बड़ा काम किया है?
उम्मीदवार : अजी बड़े काम तो इतने किए हैं कि आप पूछिए मत। मैंने तो सारे ही काम बड़े किए है।
प्रश्न : कोई एक काम बताइए ?
उम्मीदवार: वैसे तो साब मैंने सारे ही काम बड़े किए हैं पर आप सिर्फ़ एक पूछ रहे हैं तो एक ही बता देता हूँ - छठी क्लास में मैं लगातार तीन साल तक माॅनीटर रहा था।
प्रश्न: आपको हिंदी आती है?
उम्मीदवार: साब हिन्दी तो ऐसी आती है कि बस पूछिए मत।
प्रश्न : अच्छा यह बताइए कि "चलती चाखी देख के दिया कबीरा रोय" का मतलब क्या है।
उम्मीदवार: साब ये तो कोई भी बता देगा। चाखी चल रही थी और कबीर का हाथ चाखी में आ गया और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा। जब उसका हाथ चाखी से निकाला तो वो लुहुलुहान था। कबीर रोते हुए बोला-देखो इन दो पाटो के बीच कुछ भी बाक़ी नहीं बचता।
प्रश्न : आपको उर्दू आती है?
उम्मीदवार: अजी साब उर्दू तो ऐसी आवे है कि ग़ालिब को भी न आवे।
प्रश्न : अच्छा "नीम- हकीम ख़तरा-ए-जान" का मतलब बताइए!
उम्मीदवार: अरे साब इसका मतलब है कि ओ मूर्ख हकीम, तू नीम के नीचे मत बैठ, तेरी जान को ख़तरा है।
प्रश्न : आपको अंग्रेज़ी आती है?
उम्मीदवार: साब, इंग्लिश तो ऐसी आवे है कि सारे अंग्रेज़ भाग जाए। आप सवाल पूछो..
प्रश्न ः अच्छा "फोर्टीफिकेशन" का मतलब बताओ?
उम्मीदवार: साब आप चालाक बन रहे हो। इंग्लिश और मैथ मिक्स करके पूछ रहे हो! कोई बात नहीं साब, मैं भी कोई कम चालाक नहीं हू।
फोर्टीफिकेशन वो होता है जिसमें ट्वेंटीफिकेशन में ट्वेंटीफिकेशन को जोड़ देते हैं।
प्रश्न ः आप कब से ड्यूटी पर आना चाहते हैं?
उम्मीदवार: साब, देखो जी आप मेरी बाट मत देखियो, मैं तो बस आपको आज़माने चला आया था नौकरी मेरे बस की बात नहीं है।

-
अजय (c) शर्मा जी से हुई वार्ता पर आधारित 

सोम के जन्मदिन पर मेरी 70 अधूरी कविताएं

(1)
जब तन मन से
बरसी बदली
बिजली चमकी
गरजी कड़की 
कुछ पल को धरा
अचम्भित सी
पुलकित परवश
किंचित काँपी 
थिरकी थमकर
थककर ठहरी
फिर सँभल गई

-
अजय (c)

(2)
हाँ, टूटना
अंतिम क्रिया है
पर टूटने तक पहुँचना 
टूटने के योग्य बनना
टूटने तक ख़ूब हँसना
बस यही 
जीवन हमारा

खेलना और 
खिलखिलाना
दिलों की 
दीवानगी का
राज बनना
लपलपाती 
कौंधती कोई
आग बनना

Jul 7, 2014

हिंदी के नाम पर खड़खड़ाती दीवारों के परे

इस ब्लॉग को बड़ी उम्मीदों के साथ सृजित करने की कोशिश की थी। पहले यही विचार था कि रोज कम से कम एक चिट्ठा इस पर चश्पा किया जाएगा और यह क्रम कभी नहीं टूटेगा। पर ऐसा क्रम बनने से पहले ही बिखरने लगा। फिर भी कोशिश जारी रखी कि रोज न सही तीन दिन में या फिर सप्ताह में एक चिट्ठा जरूर पोस्ट करेंगे मगर अब अंतराल लगभग तीन माह का हो गया। अगर खानापूर्ति के लिए डाली गई पोस्ट को छोड़ दिया जाए तो शायद पिछले छह माह में कोई गंभीर चर्चा हिंदी सबके लिए पर नहीं की जा सकी। कारण बहुत सारे गिनाए जा सकते हैं मगर सबसे प्रमुख है उस विश्वास का पूरी तरह टूट जाना जो देश की भाग्य विधाता बड़ी-बड़ी सस्थाओं पर था। मार्च 2014 में  हुई एक घटना ने सब कुछ इतना अविश्वसनीय बना दिया कि फिर किसी भी संस्था पर विश्वास करने का मन नहीं हुआ। अपनी पुरानी प्रकृति के अनुरूप चुनौती देने का मन भी हुआ मगर फिर निष्कर्ष यही निकाला कि मुर्दे को चुनौती का कोई प्रतिफल नहीं हो सकता । ज़िंदों से लड़ा जा सकता है, सुधारा जा सकता है मगर मुर्दों को कुछ नहीं किया जा सकता।
 
हिंदी के नाम पर जिसे भी देखा - दंतहीन, पोपले मुंह वाला पाया। ऐसे मुँह से सिर्फ पतला-पतला सा हलुआ ही खाया जा सकता है। हिंदी और हलुआ ... बस मन भर गया। हिंदी के लिए हरेक निर्णय हिंदी न जानने वाला करता है, हिंदी जानने वाला सिर्फ हलुआ बना सकता है। हिंदी न जानने वाला हिंदी के शोध प्रबंध तक बिना पढे ही समझ लेता है और हलुआ खाकर मस्त हो जाता है। हिंदी के नाम पर बड़ी-बड़ी बातें कर हिंदी को लघु से लघुतर तक पहुंचाने के लिए दिन रात अँग्रेजी की ताल पर गाल बजाए जाते हैं, गोलबंदी की जाती है। हिन्दी के नाम पर जो दीवारें दिखाई देती हैं वे टीन की जंग लगी चादरें हैं जो अँग्रेजी के महल में चल रहे नए-नए शयन कक्षों के निर्माण कार्य से उठने वाली धूल और आवाजों को बेपरदा होने से रोकने के लिए अस्थायी रूप से लगाई गईं हैं। अंदर चल रहा पुख्ता और गगन चुंबी निर्माण कार्य नई-नई तकनीकों से लैस है और जब थोड़ी सी भी हवा चलती है तो टीन की पुरानी चादरें हिलने लगती हैं और उनसे खड़खड़ाहट उठने लगती है।

Apr 30, 2014

मेरी सात अधूरी कविताएं - अजय मलिक

(1)


जब तुम 
आ ही गए 
तो ठहरो 
जरा विश्राम करो 
जाने की 
इतनी भी
जल्दी क्या है 


(2)


तू ज़िद के साथ जी
मैं जज़्बात में बहता हूँ 
तू जीत का सुख ले
जुल्मी हार मैं सहता हूँ 



(3)


रूठे हुए सब 
खेत और खलिहान अपने
चल लौटता हूँ गाँव अपने



(4)


आसमां के आगे और 
आसमां कोई नहीं 
ज़िंदगी से मौत आगे
दास्ताँ कोई नहीं 



(5)


बीत गईं रातें कई 
बीत गए दिन 
जीत गईं यादें कई
प्रीत-पल-छिन



(6)


नहीं होगा मुझसे प्यार
यार मुझको छोड़ दे
दिल पर नहीं है एतबार
यार मुझको छोड़ दे



(7)


तू अगर ख़ुश है तो
ख़ुशी का इज़हार कर
हो सके तो बेवफ़ा 
तू भी किसी से प्यार कर
अरे आदमी है
आदमी की तरह व्यवहार कर

- अजय मलिक

हसीब सोज़ की एक ग़ज़ल

इतनी सी बात थी जो समंदर को खल गई
का़ग़ज़ की नाव कैसे भंवर से निकल गई

पहले ये पीलापन तो नहीं था गुलाब में
लगता है अबके गमले की मिट्टी बदल गई

फिर पूरे तीस दिन की रियासत मिली उसे
फिर मेरी बात अगले महीने पे टल गई

इतना बचा हूँ जितना तेरे *हाफ़ज़े में हूँ

वर्ना मेरी कहानी मेरे साथ जल गई

दिल ने मुझे मुआफ़ अभी तक नहीं किया
दुनिया की राये दूसरे दिन ही बदल गई
- हसीब सोज़

* हाफ़ज़े=यादाश्त