Aug 15, 2013

स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनाएँ और प्रभु से प्रार्थना.... वह शक्ति हमें दो दयानिधे

स्वतन्त्रता दिवस पर मुझे अपने इंटर कालेज की प्रार्थना याद आ रही है...


वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम, निज जीवन सफल बना जावें॥

हम दीन- दुःखी निबलों- विकलों, के सेवक बन सन्ताप हरें।
जो हों भूले, भटके, बिछुड़े, उनको तारें खुद तर जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे....॥

छल, द्वेष, दम्भ, पाखण्ड, झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें।
जीवन हो शुद्ध, सरल अपना, शुचि प्रेम सुधारस बरसावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे....॥

निज आन- मान, मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश, जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें॥
वह शक्ति हमें दो दयानिधे....॥

2 comments:



  1. निज आन- मान, मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
    जिस देश, जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जाएं
    वह शक्ति हमें दो दयानिधे
    कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं
    पर सेवा पर उपकार में हम
    निज जीवन सफल बना जाएं

    बहुत सुंदर प्रार्थना है...
    हम भी इसे अपने स्कूल के दिनों में दैनिक प्रार्थना में गाया करते थे ।

    आदरणीया प्रतिभा मलिक जी
    सादर अभिवादन !

    यदि आपके पास जानकारी है तो कृपया , बताने का कष्ट करें कि इस कालजयी रचना के रचनाकार कौन हैं ?
    पं.राम नरेश त्रिपाठी जी ,मुरारीलाल जी शर्मा ’बालबन्धु’ , अथवा पं.परशुराम पाण्डेय जी?


    साभार
    हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. रचनाकार हैं पंडित राम प्रसाद बिस्मिल ।

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