Dec 8, 2012

"जल रहा है देश सारा और हम खामोश हैं" - डॉ कुँवर बेचैन

(फेसबुक से ली गई डॉ कुँवर बेचैन की एक गजल के अंश )
जल रहा है देश सारा और हम खामोश हैं
ज़र्रा-ज़रा है अंगारा और हम खामोश हैं

चाकुओं की नोक पर हैं अब हमारी गरदने
गरदनों पर है दुधारा और हम खामोश हैं

-कुंवर बेचैन

No comments:

Post a Comment