[एक कहानी... ]
बेचारा बनवारी
-अजय मलिक
बनवारी की मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही थीं। वे बिजली का बिल जमा करने गए थे। उस दिन बिल जमा करने की आखरी तारीख थी। लंबी कतार में कई घंटे खड़े रहने के बाद जब उनकी बारी आई तो उन्हें जंग जीत लेने जैसा एहसास होने लगा। मगर जल्द ही उन्हें इस विचार को त्याग देना पड़ा और फिर वे आईपीएल की किसी टीम के आखरी ओवर की अंतिम गेंद पर होने वाले चमत्कार या बिजली गिरने जैसी संभावनाओं पर विचार करने लगे।
बिल बाबू ने उन्हें घूर कर देखा और उनका पाँच सौ का कड़क नोट लौटा दिया। बनवारी ने सवाली नज़रों से देखा तो बिल बाबू ने खरखराती आवाज़ में दुलत्ती जमा दी– “आपका ये नोट सही नहीं है”।
बनवारी : “अच्छा-भला तो है, इसमें खराबी क्या है? नया नोट है, आज ही एटीएम से निकाला है”।
बिल बाबू : “नया नोट क्या खराब नहीं हो सकता?... एटीएम क्या हमसे ज्यादा जानता है?”