जी लेने दो
तुम ख़ुद को,
ख़ुदा कहो
ईसा कहो
पैग़म्बर या
अल्लाह कहो
तुम जो चाहो
जैसे चाहो, बनो
जिसे चाहो, चुप
या चिल्ला कर
पुकारो, बुलाओ,
आठों पहर आवाज़ दो
जन्नत की चाह में
जिओ कि मर जाओ
हमें कोई एतराज़ नहीं है
बस इस दुनिया को
दुनिया ही रहने दो
जहन्नुम न बनाओ
हमें, जय श्री राम
राम राम कहने दो
मर्यादाओं में क़ैद
मौन साधना में रत
मामूली इंसान रहने दो
स्वर्ग नरक सब तुम ले लो
हमें ये दुनिया प्रिय है
हमें इसी दुनिया में
प्यार मुहब्बत से
बस मरने तक,
जी लेने दो
-अजय मलिक
चेन्नई 02-04-2020
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