Apr 27, 2020

मैं और नदी

मैं
नदी की ओर
जाता हूँ, नहाता हूँ,
उसमें घर बनाता हूँ
और नदी को
खा जाता हूँ

लोग
गाँव के घर से
शहर जाते हैं
महल बनाते हैं
झोपड़ी में जीते हैं
और सड़क पर
मर जाते हैं

शहर
गाँव की ओर
लपकते हैं
लहलहाते खेत
पलकें झपकते ही
पथरा जाते हैं
-अजय मलिक (c)

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