उसमें ज़हर है
इसमें ज़हर है
तुझमें ज़हर है
मुझमें ज़हर है
इसमें ज़हर है
तुझमें ज़हर है
मुझमें ज़हर है
कौन जानता है
किसमें ज़हर है!
हर ओर बस
कोरोना का क़हर है
किसमें ज़हर है!
हर ओर बस
कोरोना का क़हर है
हवा में
पानी में
दूध में
दवा में
रोटी में
बोटी में
दाल में
चाल में
माल में
रुपये पैसे में
ऐसे वैसे में
हर एक चीज में
बोये गए बीज में
सबमें ज़हर है।
कोरोना का क़हर है
पानी में
दूध में
दवा में
रोटी में
बोटी में
दाल में
चाल में
माल में
रुपये पैसे में
ऐसे वैसे में
हर एक चीज में
बोये गए बीज में
सबमें ज़हर है।
कोरोना का क़हर है
शायद मुँह पर
ढाटा बांधे छुपी
कहीं इंसानियत
बची हो सकती थी,
मगर...
ढाटा बांधे छुपी
कहीं इंसानियत
बची हो सकती थी,
मगर...
-अजय मलिक (c)
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