Apr 27, 2020

हार को ही हारना है

हार पर हार के बाद
रोज हार हार कर भी
मन कभी नहीं हारता
बस थक जाता है
थोड़े विश्राम के बाद
फिर नई हार को तैयार
सिर उठाए सीना ताने
नयन में निर्भीकता भर
दौड़ता है
अंतत:
एक दिन
हार कर
बिलखकर
झक मारकर
हार को ही
हारना है।
-अजय मलिक (c)

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