Apr 30, 2020

जाति की जाति


मैं जाति की जाति हूँ
जाती नहीं हूँ जाति हूँ
मैं सत्य सती हूँ
आदमी की अति हूँ

जो जाति के बाहर हैं
मैं उनकी भी जाति हूँ
सोते में भी जाति हूँ
रोते में भी जाति हूँ
इतनी बढ़ी जाति हूँ
कि पूरी प्रजाति हूँ
आती हूँ तो जाति हूँ
जाती हूँ तो जाति हूँ

खान पान सांस शरण
आन बान जन्म मरण
हार-जीत मार-पीट 
झूठ-गबन प्रेम-प्रीत
पाठ से पहाड़ तक
चीख से दहाड़ तक   
हर कदम साथ साथ
कहाँ नहीं जाती हूँ !

कहीं पर किराए में
कहीं कुर्सी पाए में
कहीं पर तिराहे में  
ब्याह-शादी-साये में
कफन से दफन तक
मेरी ही पुकार है
जीवन का लक्ष्य-मोक्ष  
जाति की दरकार है

घर हो या घेर हो
बकरी या शेर हो 
खेत या खलिहान हो
दफ्तर या दुकान हो
महल या श्मशान हो
मेरी ही सरकार है
अमीरी बेकार है
गरीबी बेकार है
मेरे बिना जग में
हर आदमी बेकार है 

31-01-2013

No comments:

Post a Comment