(आज सुबह फेसबुक पर ओम थानवी
की टिप्पणी के साथ यह दुर्लभ चित्र एक मित्र द्वारा साझा किए मिले। अज्ञेय
जी पर कुछ भी नया-पुराना मिलना मेरे लिए किसी लाटरी से कम नहीं है। साभार यह पोस्ट
यहाँ दी जा रही है )
हिंदी की तीन
विभूतियों का एक दुर्लभ और अब तक अप्रकाशित चित्र: ( बाएं से ) फणीश्वरनाथ रेणु, स.
ही. वात्स्यायन अज्ञेय और प्रफुल्लचंद्र ओझा मुक्त। तस्वीर सम्भवतः पटना रेलवे
स्टेशन पर ली गई थी। हिंदी के छुआछूत सम्प्रदायों की परवाह न कर रेणु अज्ञेय के
घोर प्रशंसक रहे। अज्ञेय जब 'दिनमान' के
लिए रेणु को साथ लेकर बिहार के सूखे की रिपोर्टिंग को निकले, तब रेणुने एक लम्बा रिपोर्ताज अज्ञेय के व्यक्तित्त्व और कार्यशैली पर ही
लिख दिया था। अज्ञेय भी रेणु के बड़े प्रशंसक थे। रेणु अज्ञेय से दस वर्ष छोटे थे,
पर दस वर्ष पहले (1977 में) चल बसे। तब अज्ञेय
ने प्रेमचंद, निराला आदि अग्रजों पर लिखे
"स्मृतिलेखा" पुस्तक के अपने संस्मरणों में एक संस्मरण अनुज रेणु पर भी
लिखा: "धरती का धनी"... परती परिकथा के महान सृजक को हिंदी साहित्य में
यह अनूठी श्रद्धांजलि मानी जाती है।
-ओम थानवी
बहुत ही दुर्लभ चित्र | धन्यवाद देते हैं आपका इसे लोगों तक पहुँचाने के लिए |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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