Mar 11, 2013

परमपूज्य डॉ बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था-

" एक भाषा जनता को एक सूत्र में बांध सकती है। दो भाषाएं निश्चित ही जनता में फूट डाल देंगी। यह एक अटल नियम है। भाषा, संस्कृति की संजीवनी होती है। चूंकि भारतवासी एकता चाहते हैं और एक समान संस्कृति विकसित करने के इच्छुक हैं, इसलिए सभी भारतीयों का कर्तव्य है कि वे हिंदी को अपनी भाषा के रूप में अपनाएँ। "
(डा.अंबेडकर संपूर्ण वाङ्मय, खंड एक, पृष्ठ 178..प्रकाशक-कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार )

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