(1)
जब तुम
आ ही गए
तो ठहरो
जरा विश्राम करो
जाने की
इतनी भी
जल्दी क्या है
(2)
तू ज़िद के साथ जी
मैं जज़्बात में बहता हूँ
तू जीत का सुख ले
जुल्मी हार मैं सहता हूँ
(3)
रूठे हुए सब
खेत और खलिहान अपने
चल लौटता हूँ गाँव अपने
(4)
आसमां के आगे और
आसमां कोई नहीं
ज़िंदगी से मौत आगे
दास्ताँ कोई नहीं
(5)
बीत गईं रातें कई
बीत गए दिन
जीत गईं यादें कई
प्रीत-पल-छिन
(6)
नहीं होगा मुझसे प्यार
यार मुझको छोड़ दे
दिल पर नहीं है एतबार
यार मुझको छोड़ दे
(7)
तू अगर ख़ुश है तो
ख़ुशी का इज़हार कर
हो सके तो बेवफ़ा
तू भी किसी से प्यार कर
अरे आदमी है
आदमी की तरह व्यवहार कर
जब तुम
आ ही गए
तो ठहरो
जरा विश्राम करो
जाने की
इतनी भी
जल्दी क्या है
(2)
तू ज़िद के साथ जी
मैं जज़्बात में बहता हूँ
तू जीत का सुख ले
जुल्मी हार मैं सहता हूँ
(3)
रूठे हुए सब
खेत और खलिहान अपने
चल लौटता हूँ गाँव अपने
(4)
आसमां के आगे और
आसमां कोई नहीं
ज़िंदगी से मौत आगे
दास्ताँ कोई नहीं
(5)
बीत गईं रातें कई
बीत गए दिन
जीत गईं यादें कई
प्रीत-पल-छिन
(6)
नहीं होगा मुझसे प्यार
यार मुझको छोड़ दे
दिल पर नहीं है एतबार
यार मुझको छोड़ दे
(7)
तू अगर ख़ुश है तो
ख़ुशी का इज़हार कर
हो सके तो बेवफ़ा
तू भी किसी से प्यार कर
अरे आदमी है
आदमी की तरह व्यवहार कर
- अजय मलिक
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