पिछले सप्ताह बड़ी ही अप्रिय स्थिति में एक 'कंप्यूटर पर हिन्दी और भारतीय भाषाएँ' विषय पर आयोजित एक कार्यशाला में इरोड जाना पड़ा। जाते समय एसी शयनयान में सामने की सीट पर विराजमान बंधु दारू के नशे में धुत ओर उल्टियाँ करने में मस्त ने खूब अस्त-व्यस्त-त्रस्त किया। रात को 50 रुपए वाले बिना चालू एसी के अतिथिगृह में मच्छरों के साथ चली लंबी लड़ाई के बाद आखिर सुबह हुई। कार्यक्रम 10 से 1 बजे तक था मगर आयोजकों के आग्रह पर 4 बजे तक बढ़ा दिया गया। यह जानकर अच्छा लगा कि लोग जानना चाहते हैं। शाम सवा पाँच बजे रेलगाड़ी पकड़नी थी तो अपने लैपटॉप के बैग को कंधे पर लादे गाड़ी में सवार हो गया। सोचा एसी डिब्बे के अनेक फ़ायदों (?) में से कुछ का आनंद मुझे भी उठाना चाहिए। लैपटॉप का चार्जर प्लग में लगा दिया। थोड़ी देर बाद चार्जर आहिस्ता से चरम निंद्रा में चला गया। लैपटॉप बंद कर दिया। रात लगभग सवा ग्यारह बजे चेन्नई सेंट्रल पर उतरा। बाहर निकला तो तेज़ बारिश शुरू हो गई। अच्छी तरह भीग-भाग कर घर पहुंचा।
अगले दिन acer के सेवा केंद्र का पता लगाया । वहाँ गया, चार्जर दिखाया, जवाब आया 2480 रुपए का नया आएगा, पुराना चूक गया है, अन्य कोई उपाय नहीं है। कुछ मेहरबानों की कृपा से इरोड की इस अप्रिय यात्रा में मुझे किराया, खाना खर्चा और इस चार्जर को मिलाकर लगभग 5000 का खर्चा करना पड़ गया। हिन्दी के लिए इतना तो मैं कर ही सकता हूँ।
सोचा जब पुराना बेकार हो ही चुका है तो कुछ मिस्त्रीगीरी खुद करके देखी जाए। कोशिश की कि चार्जर को किसी तरह खोल कर देखा जाए। खूब ढूंढा मगर कहीं कोई खोलबांध का रास्ता नहीं मिला। फिर गूगल की शरण गया। वहाँ पता चला कि चार्जर को चाकू से काटना पड़ेगा क्योंकि यह मोलडिड यानी ढलवां अर्थात प्लास्टिक को ढालकर बनाया गया है। चाकू और हथौड़े का प्रयोग किया गया और अंदर का दृश्य देखकर छोड़ दिया गया क्योंकि उसके आगे की राह पता नहीं थी। आप भी देखें -
चार्जर का पोस्ट मार्टम तो आपने खूब किया मलिक साहब, फिर शायद बेचारे को उसके हाल पर ही छोड़ दिया! अब पहले से मरा हुआ क्या जुबान खोलेगा! ऐसी कोशिश खुदा के लिए किसी इंसान पर नहीं अपनाइएगा क्योंकि भगवान ने इंसान को भी मोल्डेड ही बनाया है..... !!! प्रतिभा दीदी को और आपको शिक्षक दिवस की अनेकानेक शुभकामनायें....
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