Aug 26, 2019

हारा नहीं...हारने वालो...और कभी न...मैं हारूँगा...तुम हारोगे।

हारा नहीं
हारने वालो
और कभी न
मैं हारूँगा

तुम हारोगे

घर में घुसकर
ग़द्दारों को
फिर मारूँगा

बस थोड़ा सा
थका हुआ हूँ

भारत भर में
जल नभ थल में
जन जन के
दिल ओ दिमाग़ में
हर सीने के
हर इक राग में
पलकों तक में
बसा हुआ हूँ

शांत नही, बस
चुप बैठा हूँ
बिके हुए
कायर गुर्गों से
लेशमात्र
आक्रांत नहीं हूँ

शांत नहीं हूँ

पल भर का
विश्राम मात्र है

फिर मेरी
हुंकार देखना
दुष्टों का
संहार देखना

गला फाड़ कर
और चार दिन
चोर चोर का
शोर मचा लो
हो हा कर लो
हंस लो गा लो
खा लो पी लो
और चार दिन

बाँग लगालो

बरसाती मेंढक
की मानिंद
टर टर कर लो

फिर शिवाजी
संग्राम देखना
राणा की
तलवार देखना

नहीं मात्र नर
मैं नरेंद्र हूँ
दामोदर हूँ
माँ भारती का
मैं चाकर
मैं सुरेंद्र हूँ
मैं योगी हूँ
लाल कृष्ण हूँ
सदा अटल हूँ
गोलवलकर हूँ
मैं सावरकर
भगत सिंह हूँ
सुखदेव हूँ
मैं बिस्मिल हूँ
गंगा माँ का
राजदुलारा
भारत के
जन जन का
प्यारा, कभी न हारा

मैं शतरंज का
बादशाह हूँ
तुम प्यादों को
पता नहीं है
मैं पटेल हूँ
निर्विवाद हूँ
आज़ाद हूँ
जयहिंद का
मैं सुभाष हूँ

तुम लोदी के
वंशज भर हो

जन जन
दुख की
गाज गिराती
एक ढीली सी
गठरी भर हो

भेड़ चाल हो
बकरी भर हो

सच को समझो
पहचान लो
‘पाक’ साफ़ है
यह जान लो
आज इसी पल
हार मान लो

भारत माँ के
चरणों में नत
मैं बोधी हूँ

सपने में भी
भूल न जाना
मैं ...दी हूँ

-अजय
19/05/2019
प्रात: 10.30

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