जुलाई 2009 से शुरू हिन्दी सबके लिए का सिलसिला धीमी गति से ही सही मगर चलता रहा। शुरु में कई लोगों ने इसे बंद कराने का भरसक असफल प्रयास किया मगर ... ऐसा हो न सका। माननीय संसदीय राजभाषा समिति से दो बार सराहना पत्र प्राप्त हुए तो हिम्मत और बढ़ी। इस छोटे से चौखटे पर हिन्दी सीखने - सिखाने की उपयोगी सामग्री ही परोसने का प्रयास किया गया। पाठकों की प्रतिक्रिया पर किसी भी तरह की कोई बंदिश नहीं थी, मगर करीब छह माह पूर्व किसी अज्ञात खाली दिमाग शैतान का घर ने पहले कुछ विज्ञापनों के लिंक कमेंट्स बाक्स में डालने शुरू किए और उसके बाद कुछ अश्लील साइट्स को हिंदी सबके लिए के कमेंट्स बाक्स से लिंक करना शुरू कर दिया। परिणामत: कमेंट्स की स्वतन्त्रता बाधित करनी पड़ी। मुझे उम्मीद है कि जिसने भी यह सब किया वह शर्मिंदा होने वाला प्राणी तो हो ही नहीं सकता है।
आशा है कि गंभीर पाठक इस विवशता को अन्यत्र नहीं लेंगे।
-अजय मलिक
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