सच कहता हूँ
तुम झूठे हो।
मेरी वाणी को विराम दे
सबको हर दिन
तुम लूटे हो!
लोकलाज तक
भूल गए हो।
बेईमानों की महफ़िल में
किस मकसद से
तुम रूठे हो?
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