राजभाषा विभाग द्वारा एक नया पाठ्यक्रम "पारंगत" प्रारम्भ किया जा
रहा है। यह पाठ्यक्रम काफी उच्च स्तर का है और इसे प्राज्ञ पाठ्यक्रम के विस्तार
के रूप में भी जाना जा सकता है। पहले प्राज्ञ पाठ्यक्रम को "कार्यालयीन
पद्धति" भी कहा जाता था। कार्यालयीन पद्धति को पढ़ने के बाद गुनने की
प्रक्रिया पारंगत के जरिए परोसी जा रही है। यह एक बेहद सराहनीय प्रयास है मगर इसमें
थोड़ी और स्पष्टता की मांग, समय की जरूरत है।
समस्या सरकारी है, बस इसे असरकारी बनाए जाने की आवश्यकता है। प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ के पाठ्यक्रमों में अनेक
त्रुटियाँ हैं जिनके संपादन और सुधार की आवश्यकता है। बहरहाल हिंदी सबके लिए का
प्रयास रहेगा की पहले पारंगत के पाठों की जानकारी असरकारी रूप से पाठकों को दे और
उसके बाद अभ्यास के लिए व्यावहारिक सामग्री उपलब्ध कराए। यदि संभव हुआ तो प्राज्ञ
पाठ्यक्रम में जो त्रुटियाँ हैं वे चाहे वर्तनी, व्यवहार या वैधानिक हों उन्हें सुधार के साथ पाठ-दर-पाठ
प्रकाशित किया जाएगा।
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