अचानक जैसे सबकुछ बदल गया । 10 नवम्बर को वादा किया गया था कि गोवा में 23 नवम्बर से 3 दिसंबर तक चलने वाले भारत के चालीसवें अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव की प्रतिदिन की झलकियाँ, फ़िल्म समीक्षाएं आदि नियमित रूप से प्रस्तुत की जाएंगी मगर ठीक उसी दिन से डेंगू की दवाएं ढूढने की विवशता आ पड़ी । 11 नवम्बर की सुबह किसी बेहद अपने ने दुनिया को अलविदा कह दिया। गोवा के लुभावने समुद्र तटों की रेतीली सतहों पर लहराती पार्टियों के गुनगुनाते संगीत और आइनाक्स के रुपहले परदे पर बहुरंगी फिल्मों के ख़्वाब अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में कहीं गुम से गए। अब इसे क्या कहिएगा - ईश्वर इच्छा या खुदा की खुदाई ? इस मामले में हमारी कोशिशें , हमारे वादे सब व्यर्थ गए।
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